राज्य कृषि समाचार (State News)

रबी फसलों के लिए खाद और बिजली की आपूर्ति !

05 दिसंबर 2024, भोपाल: रबी फसलों के लिए खाद और बिजली की आपूर्ति ! – रबी फसलों की बोवनी का काम शुरू हो चुका है। इन्हीं दिनों किसान खाद की कमी और बिजली की अपर्याप्त आपूर्ति की समस्या से भी जूझ रहे हैं। अनेक जिलों से खबरें आ रही हैं कि किसानों को खाद के लिए धरना, प्रदर्शन और सड़कों पर जाम तक लगाने पड़ रहे हैं। सरकार दावा कर रही है कि खाद की कोई कमी नहीं है। सरकार के दावे पर भरोसा करें तो किसानों को आसानी से जरूरत के मुताबिक खाद मिल जानी चाहिए लेकिन किसानों को समय पर खाद तो नहीं नहीं, केवल आश्वासन मिल रहा है कि खाद की आपूर्ति शीघ्र की जाएगी। इससे यह बात तो पुख्ता हो रही है कि सरकारी स्तर पर कहीं कुछ गड़बड़ तो जरूर है। यदि पर्याप्त मात्रा में खाद उपलब्ध है तो किसानों को आआंदोलन करने की क्यों जरूरत पड़ रही है? या तो खाद की वाकई कमी है और सरकार किसानों को आश्वस्त करना चाहती है कि खाद की कोई कमी नहीं होगी। इसलिए यह रटा रटाया वाक्य प्रचारित किया जा रहा है कि खाद की कोई कमी नहीं है और किसानों को पर्याप्त मात्रा में खाद की आपूर्ति की जाएगी। इन आश्वासनों के झूले पर झूल रहे किसानों ने बोवनी शुरू कर दी है और समय निकालकर धरना-प्रदर्शन भी कर रहे हैं।

इस बीच अनेक स्थानों से बिजली की पर्याप्त आपूर्ति न होने की भी शिकायतें आ रही हैं। कृषि के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में 12 घंटे बिजली की आपूर्ति होने के समाचार हैं। दो चरणों में 6-6 घंटे बिजली की आपूर्ति की जा रही है लेकिन आपूर्ति के समय को लेकर भी किसानों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। आपूर्ति चक्र के कारण किसानों को सिंचाई के लिए रात-रात भर भी जागना पड़ रहा है। इसके अलावा कुछ क्षेत्रों में बिजली की आपूर्ति के समय वोल्टेज कम होने की शिकायतें भी आ रही है। कम वोल्टेज से मोटरें भी खराब हो जाती हैं। वर्तमान समय में अधिकांश किसान बोरवेल से सिंचाई कर रहे हैं। बोरवेल का समर्सिबल मोटर का रखरखाव और सुधरवाना सामान्य परम्परागत मोटरों की तुलना में अधिक होता है। यदि सिंचाई के समय मोटर खराब हो जाती है तो फसल को भी नुकसान होने की संभावना बनी रहती है।

Advertisement
Advertisement

खाद की कमी और बिजली की अनियमित आपूर्ति की समस्या हर साल ही बनी रहती है लेकिन जैसे ही मांग बढ़ती है, सरकार/प्रशासन सक्रिय हो जाते हैं। फसल का मौसम समाप्त होने के बाद फिर वह अतीत की बात हो जाती है। जहां तक खाद की कमी का प्रश्न है, इसके लिए आयात में कमी या उत्पादन में कमी हो सकती है। खाद का विकल्प किसानों के पास है लेकिन जमीन में अंधाधुंध रासायनिक खादों के उपयोग के कारण कृषि भूमि की उर्वराशक्ति कम होने से उत्पादन पर असर पड़ता है, इसलिए किसान रासायनिक खादों का अधिक उपयोग करते हैं। हालाकि सरकार जैविक कृषि को बढ़ावा दे रही है लेकिन पूर्णतया जैविक खेती के लिए तीन-चार साल का समय लग जाता है। फिर जैविक उत्पादों की कीमतें अधिक होने से विपणन की समस्या भी आती है। देश की बढ़ती जनसंख्या की खाद्यात्र की आपूर्ति के लिए उत्पादन बढ़ाना भी आवश्यक है। ऐसी स्थिति में चरणबद्ध तरीके से रासायनिक खादों पर निर्भरता कम की जा सकती है। रही बात बिजली की कमी की तो इसमें किसान आंशिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकते हैं। पीएम- कुसुम (प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान) योजना के तहत अपने बोरवेल पर सोलर ऊर्जा का उपयोग सिंचाई के लिए कर सकते हैं। वर्तमान में सोलर पैनल लगाने के लिए सरकार द्वारा सब्सिडी भी दी जा रही है। हालांकि बोरवेलों में सबमर्सिबल मोटर का एच.पी. अधिक होता है इसलिए अधिक सोलर पैनल लगाने की जरूरत पड़ेगी। भारत में करीब-करीब 9 माह सूर्य की भरपूर धूप मिलती है इसलिए सोलर पैनल से उत्पादित बिजली कर सिंचाई के पंप और सबमर्सिबल मोटर चलाना फायदेमंद हो सकता है। सिंचाई के लिए बिजली में कुछ हद तक आत्मनिर्भर बनाने में प्रधानमंत्री कुसुम योजना का लाभ उठाया जा सकता है। यदि किसानों के पास बंजर भूमि है तो वह अधिक मात्रा में सोलर पैनल लगवा कर ग्रिड से जोड़कर आर्थिक लाभ भी कमा सकते हैं। भारत में 70 प्रतिशत से अधिक बिजली का उत्पादन ताप विद्युत घरों से हो रहा है जिससे बड़ी मात्रा में प्रदूषण भी होता है। पवन चक्की, जल विद्युत और सौर ऊर्जा के उत्पादन पर सरकार जोर दे रही है लेकिन किसानों के स्तर घर केवल सौलर पैनल से बिजली बनाना संभव है। इसलिए केंद्र और राज्य सरकारों को चाहिए कि वह सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए सबसे ज्यादा प्रयास करें और सब्सिडी भी बढ़ा दें ताकि अधिकांश किसान इस योजना का लाभ उठाकर अपने खेतों में सौर ऊर्जा से सिंचाई कर सकें। अधिकांश लघु और सीमांत किसान हैं और ये कृषि भूमि पर अधिक सोलर पैनल नहीं लगा सकते। इसलिए शासकीय भूमि व सोलर पैनल लगाए जा सकते हैं। इस दिशा में प्रयोग के तौर पर किसी एक विकासखंड में सभी किसानों के कुओं/बोरवेलों पर सोलर पैनल लगाकर शुरुआत की जा सकती है।

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

Advertisement8
Advertisement

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

Advertisement8
Advertisement

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisements
Advertisement5
Advertisement