सोयाबीन किसान सावधान! फसल को नुकसान पहुंचा रहे तना मक्खी और फली छेदक कीट, जानिए बचाव के उपाय
29 सितम्बर 2025,भोपाल: सोयाबीन किसान सावधान! फसल को नुकसान पहुंचा रहे तना मक्खी और फली छेदक कीट, जानिए बचाव के उपाय – मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में सोयाबीन की फसल में तना मक्खी, फली छेदक और पत्ती खाने वाले कीटों से काफी नुकसान हो रहा है। ये कीट फसल के शुरुआती दिनों में ही पौधों को कमजोर कर देते हैं। तना मक्खी कीट के कारण तने पर लाल-भूरे रंग के सड़न वाले निशान और छोटे-छिद्र दिखाई देते हैं, जिससे पौधे की वृद्धि रुक जाती है और वे बौने हो जाते हैं। फली छेदक कीट सोयाबीन की फली को नुकसान पहुंचाता है, जिससे फलियाँ फली विहीन हो जाती हैं और उपज में भारी कमी आ जाती है। इसके अलावा पत्ती खाने वाले कीट पत्तियों को खाकर फसल को कमजोर करते हैं और पत्तियां पीली पड़ जाती हैं।
कीटों का प्रभाव और पहचान
तना मक्खी, फली छेदक और पत्ती खाने वाले कीट मुख्य रूप से पौधे के तने, फली और पत्तियों पर पाए जाते हैं। पत्ती खाने वाले कीट पत्तियों के नीचे और तने पर छिपे रहते हैं, जिससे पौधे की पत्तियां क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और पौधे कमजोर होकर पीले पड़ जाते हैं। इन कीटों के कारण पौधे पूरी तरह विकसित नहीं हो पाते और किसानों की मेहनत पर पानी फिर जाता है।
नियंत्रण के उपाय
बीज उपचार और जैविक नियंत्रण
बुवाई से पहले थियामेथोक्जाम जैसे कीटनाशकों से बीज का उपचार करना चाहिए, इससे कीट प्रारंभिक अवस्था में ही नियंत्रित हो जाते हैं। जैविक नियंत्रण के लिए, खेतों में पत्तियां खाने वाले पक्षियों को आकर्षित करने की व्यवस्था करें। बैसिलस थुरिजियेसिस (बीटी), ब्यूवेरिया बैसियाना और नोमूरिया रिलेई जैसे जैविक कीटनाशकों का भी प्रयोग किया जा सकता है। इसके साथ ही एनपीवी का उपयोग तना मक्खी और फली छेदक के नियंत्रण में प्रभावी रहता है।
रासायनिक नियंत्रण
फूल आने से कुछ दिन पहले क्लोरेट्रानिलिप्रोल कीटनाशक का छिड़काव पत्ती खाने वाले और फली छेदक कीटों को रोकने के लिए किया जा सकता है। तना मक्खी और सफेद मक्खी के शुरुआती चरण में थियामेथोक्जाम 25 डब्ल्यूजी का उपयोग करें। फली छेदक कीट के लिए बायर सोलोमन जैसे कीटनाशक का छिड़काव प्रभावी होता है।
एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM)
किसानों को फसल की नियमित निगरानी करनी चाहिए और कीट प्रकोप दिखते ही समय पर नियंत्रण के उपाय अपनाने चाहिए। फेरोमोन जाल और लाइट ट्रैप का इस्तेमाल करके कीटों को आकर्षित कर पकड़ा जा सकता है। रासायनिक कीटनाशकों का प्रयोग केवल तब करें जब कीट प्रकोप ज्यादा हो। इससे फसल का नुकसान कम होता है और पर्यावरण को भी बचाया जा सकता है।
आपने उपरोक्त समाचार कृषक जगत वेबसाइट पर पढ़ा: हमसे जुड़ें
> नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, व्हाट्सएप्प
> कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें
> कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: E-Paper
> कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: Global Agriculture