राज्य कृषि समाचार (State News)

सोयाबीन – कपास का रकबा होगा कम, लेकिन मक्का का बढ़ेगा

17 मई 2025, इंदौर: सोयाबीन – कपास का रकबा होगा कम, लेकिन मक्का का बढ़ेगा –  उपार्जन केंद्रों पर समर्थन मूल्य पर गेहूं फसल बेचने और इस वर्ष मानसून की जल्द आमद की खबर के बाद अधिकांश किसान इन दिनों खरीफ सत्र के कार्यों में जुट गए हैं।  किसान खेत को तैयार करने के साथ ही खाद -बीज की व्यवस्था में लगे हुए हैं। इस बीच कृषक जगत ने आगामी खरीफ सीजन में संभावित फसलों को लेकर निमाड़ -मालवा के किसानों एवं कृषि आदान विक्रेताओं से चर्चा की।  इस चर्चा में इस वर्ष खरीफ में मक्का का रकबा 30 % बढ़ने के साथ ही सोयाबीन और कपास के वाजिब दाम नहीं  मिलने से इनका रकबा 20 % तक घटने का अनुमान है , जबकि उद्यानिकी फसलों में केला और पपीता का रकबा बढ़ने , टमाटर  के साथ ही  मिर्च का रकबा 30  % कम होने की  संभावनाएं जताई जा रही हैं। यदि किसानों को  घोड़ारोज की समस्या से मुक्ति मिल जाए, तो मालवा क्षेत्र में मक्का का रकबा और बढ़ सकता है।

ग्राम अजड़ावदा ( उज्जैन ) के उन्नत कृषक श्री योगेंद्र कौशिक ने कहा  कि वैसे तो मालवा में अधिकांशतः  सोयाबीन ही बोई जाती है , लेकिन इस बार खरीफ में मक्का और मूंग /उड़द का रकबा बढ़ने की संभावना है , क्योंकि सोयाबीन में पिछले दो साल से किसानों को घाटा होने से वे पिछड़ गए हैं। मक्का की हाइब्रिड किस्मों का उत्पादन अच्छा मिलने से  किसानों का मक्का की ओर रुझान दिख रहा है। वहीं ग्राम पालखांदा ( उज्जैन ) के प्रगतिशील कृषक श्री शैलेन्द्र सिंह झाला ने कहा कि इस क्षेत्र में सभी दूर सोयाबीन ही लगाई जाती है।जबकि उज्जैन -आगर रोड़ और उन्हेल  बेल्ट में मक्का लगाई जाती है। देवास -उज्जैन रोड़ पर कुछ जगह धान  भी लगाई जाने लगी है। उज्जैन जिले के  ग्राम रोहलकलां  के श्री भेरूलाल परमार ने कहा कि क्षेत्र में खरीफ में करीब 95% सोयाबीन ही लगाई जाती है। वे खुद भी इस साल दो हैक्टेयर में अच्छी किस्म  की  सोयाबीन लगाएंगे।  

हरदा जिले के ग्राम जिनवान्या के श्री करण पटेल ने जहां  स्वयं सोयाबीन लगाने की बात कही, वहीं  क्षेत्र में 10 -15  % मक्का का रकबा बढ़ने की संभावना भी जताई , क्योंकि किसानों को मक्का का दोनों सीजन में अच्छा उत्पादन मिल जाता है। नागदा ( धार ) के उन्नत किसान श्री कृष्णा सांखला ने उद्यानिकी फसलों में पत्ता गोभी , वीएनआर अमरुद लगाया है।  इस वर्ष भी वे पिकाडोर मिर्च लगाएंगे जिसने गत वर्ष भी अच्छा उत्पादन दिया था। श्री सांखला ने किसानों को सोयाबीन के बजाय मक्का लगाने की सलाह दी, क्योंकि अब सोयाबीन लगाना घाटे का सौदा हो गया है।अब तो  मक्का से बायोडीज़ल और  एथेनॉल बनने  लगा है। इसके अलावा मक्का से  मुर्गी आहार भी बनता है, जो किसानों के लिए लाभप्रद होगा। ग्राम मारोल ( धार ) के श्री हरिओम पाटीदार ने कहा कि सोयाबीन की खेती जैविक और रासायनिक दोनों तरीके से करते हैं।सोयाबीन ही लगाएंगे, क्योंकि मक्का में इल्लियों का प्रकोप अधिक होता है । चिकलिया (धार ) के श्री मनोज पाटीदार भी 20  बीघा में सोयाबीन लगाएंगे,लेकिन मक्का लगाने को लेकर वे असमंजस में  दिखे  ।  भोंडवास ( इंदौर ) के श्री जीवन सिंह 15 बीघे में सोयाबीन और 2 बीघे में मक्का लगाएंगे। 3 -4  साल से मक्का भी लगा रहे हैं। 2023 में तो इन्होंने एक बीघे में 17  क्विंटल मक्का का उत्पादन लिया था। पालकांकरिया ( इंदौर ) के श्री बबलू जाधव ने कहा कि सोयाबीन के दामों में लगातार गिरावट से इस साल किसानों का रुझान मक्का और मूंग /उड़द की ओर दिखाई दे रहा है।

बड़वानी जिले के ग्राम कुंआ के श्री अजय पाटीदार ने कहा कि क्षेत्र में कपास ,सोयाबीन , मक्का और मिर्च की फसल ली जाती है। लेकिन इस वर्ष सोयाबीन का रकबा घटेगा, वहीं गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष सब्जी खासतौर से टमाटर का रकबा घटेगा। वे 35 बीघा में मिर्च लगाएंगे। जबकि ठीकरी ( बड़वानी ) के श्री चंद्रवीर चौहान ने अपने खेत में 15 एकड़ में कपास और 15 एकड़ में मक्का  लगाने की बात कही , लेकिन  इस वर्ष कपास का रकबा 40 % कम होने की भी संभावना जताई। खरगोन जिले के  ग्राम बिठेर ( कसरावद ) के श्री गजेंद्र पाटीदार कपास के अलावा पपीता और मिर्च की खेती करते हैं। पहले सोयाबीन लगाते थे, लेकिन औसत उत्पादन, अधिक लागत  और दाम कम मिलने से अब सोयाबीन नहीं लगाते हैं। ग्राम इटावदी ( महेश्वर ) के श्री दीपक पाटीदार सोयाबीन और कपास में घाटा होने से इस साल नहीं लगाएंगे। मक्का के अलावा खीरा और करेला  फसल लेंगे।  गत वर्ष 15 बीघा में मक्का लगाया था, जिसका 500  क्विंटल उत्पादन मिला। 1900 रु / क्विंटल की दर से  स्थानीय बाजार में बेचा। जबकि कोठा बरुड़ (गोगांवा ) के श्री दीपक कुशवाह करीब 8 -8  एकड़  में मक्का और सोयाबीन लगाएंगे। कपास में लागत अधिक आने , मजदूरों की समस्या और पकी फसल के समय वर्षा होने  के कारण हानि होने से कपास नहीं लगाते हैं। ग्राम कलमा ( देवास ) के श्री अनिल राजपूत ने कहा कि क्षेत्र के अधिकांश किसान सोयाबीन की फसल ही लेते हैं। इस वर्ष करीब  80 बीघा  रकबे में सोयाबीन की बोनी संभावित है। कन्नौद -खातेगांव क्षेत्र में मक्का की फसल ली जाती है। घोड़ारोज की समस्या से इधर मक्का नहीं  लगाते  हैं। ग्राम बड़ी चुरलाई  (देवास )के श्री देवकरण पाटीदार करीब 25  बीघा में सोयाबीन लगाएंगे। ये भी घोड़ारोज की समस्या के कारण मक्का नहीं लगाते हैं।

कृषि आदान विक्रेताओं के विचार – जयश्री एग्रो कसरावद के श्री सुनील पाटीदार के अनुसार इस साल  कपास का रकबा कम होगा ,जबकि मक्का का बढ़ेगा। क्षेत्र में उद्यानिकी फसलों में केला और पपीता का रकबा बढ़ेगा। वहीं शिवम ट्रेडर्स करही के श्री अरविन्द पाटीदार ने  मक्का और कपास  का रकबा बढ़ने और  सोयाबीन का कम होने की संभावना  व्यक्त की है। जबकि अवनी ट्रेडर्स ,सनावद के श्री दीपक मंडलोई का कहना था कि इस साल मक्का और कपास का रकबा बढ़ेगा , जबकि सोयाबीन का उत्पादन कम होने और उचित दाम नहीं मिलने से इसका रकबा घटने की संभावना है, वहीं गत वर्ष मिर्च की फसल खराब होने से इस खरीफ में इसका रकबा भी घटेगा। कृषि आदान विक्रेताओं की चर्चा में मक्का का रकबा 30 % बढ़ने, वहीं कपास का 20 % और सोयाबीन का 10 % रकबा घटने का अनुमान जताया है। मिर्च के रकबे में 30 %  की कमी के साथ टमाटर के रकबे में भी कमी की संभावना जताई गई है।

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