राज्य कृषि समाचार (State News)फसल की खेती (Crop Cultivation)

धान, मक्का फसलों में आ रही समस्याओं का समाधान: केवीके सिवनी के वैज्ञानिकों ने कृषि ओपीडी में दी तकनीकी सलाह

21 जुलाई 2025, सिवनी: धान, मक्का फसलों में आ रही समस्याओं का समाधान: केवीके सिवनी के वैज्ञानिकों ने कृषि ओपीडी में दी तकनीकी सलाह –  कृषि विज्ञान केंद्र, सिवनी द्वारा खरीफ फसलों में वर्तमान में सामने आ रही समस्याओं के निराकरण हेतु किसानों को कृषि ओपीडी के माध्यम से समसामयिक तकनीकी सलाह एवं मार्गदर्शन प्रदान किया गया।

केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. शेखर सिंह बघेल ने किसानों को बताया कि वर्षा काल में सोयाबीन एवं मक्का जैसी फसलों में जलभराव की स्थिति नुकसानदायक होती है। उन्होंने किसानों को रेज्ड बेड प्लांटर तकनीक (मेड एवं गहरी नाली पद्धति) अपनाने की सलाह दी, जिससे अतिरिक्त वर्षा जल स्वतः निकल जाता है और फसल सुरक्षित रहती है।

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कृषि ओपीडी में ग्राम सिमरिया के प्रगतिशील कृषक श्री शिवराम सनोडिया, ग्राम फरेदा के श्री भुजबल गहलोत सहित कई किसानों ने भाग लिया।

वैज्ञानिक डॉ. के.के. देशमुख ने बताया कि जिन खेतों में धान की सीधी बुवाई की गई है और जल रुकाव नहीं होता, वहां पौधों में पीलापन की समस्या देखी जा रही है। समाधान हेतु उन्होंने दो विकल्प सुझाए:

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  • फेरस सल्फेट 10 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर 2-3 बार पत्तियों पर छिड़काव करें।
  • या फिर फेरस ई.डी.टी.ए. (12% आयरन) 200 ग्राम प्रति 200 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

मक्का फसल में यदि पत्तियों में जामुनी धारियां दिखें, तो यह पोषक तत्वों की कमी का संकेत है। समाधान के लिए किग्रा डीएपी को 200 लीटर पानी में घोलकर छानें और इस घोल का 2-3 बार छिड़काव करें।

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डॉ. निखिल सिंह, ने बताया कि धान की 20-25 दिन पुरानी नर्सरी की रोपाई वर्षा कम होने पर की जानी चाहिए। रोपाई करते समय पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20 सेंटीमीटर एवं पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखें। उन्होंने यह भी कहा कि मिर्च व बैंगन की नर्सरी की रोपाई मौसम अनुकूल होने पर ही करें।

इसके अतिरिक्त, मक्का फसल में फॉल आर्मी वर्म के प्रकोप की रोकथाम हेतु इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG की 100 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ छिड़काव करने की सिफारिश की गई।

सुरक्षा एवं अन्य सावधानियां:

  • खेतों में जल निकासी की उचित व्यवस्था करें, नालियों व मेंड़ों को साफ रखें।
  • जब तक मौसम स्थिर न हो, कीटनाशक या खरपतवारनाशी दवाओं का छिड़काव न करें।
  • बीज, खाद व औजारों को ऊँचे एवं सुरक्षित स्थानों पर रखें।
  • सब्जियों में स्टेकिंग (सहारा) हेतु बाँस या मजबूत जाल का उपयोग करें।
  • जलभराव वाले खेतों में मशीनरी का उपयोग टालें।

पशुपालन संबंधी सुझाव:

  • वर्षा काल में पशुओं को फुट रॉट व सांस संक्रमण से बचाने हेतु टीकाकरण कराएं।
  • तेज बारिश, बिजली या हवा के दौरान पशुओं को बाहर न चराएं।
  • पशुओं को शेड में रखें एवं बिजली के खंभों/उपकरणों से दूर रखें।

अधिक जानकारी एवं सलाह के लिए संपर्क करें:

कृषि विज्ञान केंद्र, सिवनी, (आईसीएआर – जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर),  दूरभाष: [9425888646]

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