देवास में वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक सम्पन्न
22 जून 2024, देवास: देवास में वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक सम्पन्न – कृषि विज्ञान केन्द्र, देवास में गत दिनों 34वीं वैज्ञानिक सलाहकार समिति बैठक का आयोजन हाइब्रिड माध्यम से किया गया। उक्त कार्यक्रम में अध्यक्ष डॉ. वाय.पी.सिंह, निदेशक विस्तार सेवाएं, रा.वि.सिं.कृ.वि.वि, ग्वालियर वर्चुअल माध्यम से उपस्थित हुए। मुख्य अतिथि डॉ. के.एच. सिंह, निदेशक भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर थे। विशिष्ट अतिथि डॉ. बुद्धेश्वर दुपारे, प्रधान वैज्ञानिक, भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर ,डॉ. के.एन. पाठक,अधिष्ठाता एवं डॉ. शरद चौधरी, प्राध्यापक, कृषि महाविद्यालय, इंदौर, डॉ. डी.के. मिश्रा, कृषि विज्ञान केन्द्र, इंदौर एवं कृषि विज्ञान केंद्र शाजापुर से डॉ. जी.आर. अम्बावतिया थे। इसके अलावा श्री आर.पी. कनेरिया, उप-संचालक कृषि, श्री पंकज शर्मा, उप-संचालक, उद्यानिकी,डॉ. प्रदीप कुमार पंड्या, अतिरिक्त उप-संचालक, पशुपालन विभाग, श्री गोविन्द दांगी, मत्स्य निरीक्षक, मत्स्य विभाग, श्री ओजस्वी दीक्षित, जिला प्रबंधक, नाबार्ड, श्री पी.एस. ठाकुर, जिला प्रबंधक कृषि, एन.आर.एल.एम, श्री राजेश पाटीदार, क्षेत्र प्रबंधक, इफको एवं सहायक यंत्री, कृषि अभियांत्रिकी के प्रतिनिधि श्री अंशुल बारोड़ के साथ-साथ जिले के 04 कृषक उत्पादन संगठन एवं 04 गैर-शासकीय संस्थाओं के अधिकारीगण उपस्थित थे।
आरम्भ में केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. ए.के.बड़ाया ने कार्यक्रम की रूपरेखा एवं उद्देश्य के बारे में बताया। डॉ. महेन्द्र सिंह, शस्य वैज्ञानिक द्वारा विगत 6 माह की आयोजित गतिविधियों का प्रगति प्रतिवेदन एवं आगामी 6 माह की प्रस्तावित कार्ययोजना के बारे में विस्तृत प्रस्तुतीकरण दिया गया। डॉ के एच सिंह ने फसल विविधीकरण एवं रेज्ड बेड पद्धति के साथ- साथ जल संरक्षण हेतु वर्षा जल संरक्षण पर कार्य योजना बनाने की सलाह दी। सोयाबीन में अंतरवर्ती फसलें लेने एवं बुवाई के समय बीज दर और पौध से पौध की उचित दूरी रखने की भी सलाह दी। डॉ. वाय.पी.सिंह ने सोयाबीन के मूल्य संवर्धन सम्बन्धी प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन सम्बन्धी सुझाव दिया। साथ ही मृदा उर्वरता को बनाए रखने के लिए उचित फसल प्रणाली अपनाने एवं मृदा स्वास्थ्य परीक्षण उपरांत ही विभिन्न पोषक तत्वों के उपयोग करने की अनुशंसा करने का सुझाव दिया। फसल अवशेष प्रबंधन हेतु हैप्पी सीडर का प्रयोग करने का भी सुझाव दिया।
डॉ एस. के. चौधरी ने प्राकृतिक स्रोत प्रबंधन एवं जल संरक्षण सम्बन्धी सुझाव दिए। श्री आर.पी.कनेरिया ने सोयाबीन फसल में विभिन्न प्रक्षेत्र परीक्षणों एवं प्रदर्शनों के माध्यम से उचित बीज दर अपनाने के साथ साथ ब्राड बेड फरो तकनीक से बुवाई करने का सुझाव दिया। उन्होंने फसल विविधीकरण में मक्का एवं ज्वार फसल को बढ़ावा देने का सुझाव दिया। इस बैठक में जिले के प्रगतिशील कृषकों के साथ-साथ केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ के एस भार्गव, डॉ महेंद्र सिंह, डॉ मनीष कुमार, डॉ. निशिथ गुप्ता, श्रीमती नीरजा पटेल , डॉ सविता कुमारी एवं श्री पवन कुमार राजपूत की सराहनीय भूमिका रही।
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