राज्य कृषि समाचार (State News)फसल की खेती (Crop Cultivation)

राजस्थान: खरीफ फसलों में कीट और रोग का बढ़ता खतरा, कृषि विभाग ने किया सर्वे

26 अगस्त 2024, जयपुर: राजस्थान: खरीफ फसलों में कीट और रोग का बढ़ता खतरा, कृषि विभाग ने किया सर्वे – राजस्थान के अजमेर जिले में कृषि विभाग की टीम ने बाजरा, ज्वार, मक्का, मूंग और मिर्च जैसी खरीफ फसलों पर कीट-व्याधि प्रकोप का सघन सर्वेक्षण किया। इस सर्वे का उद्देश्य किसानों को कीट-रोगों से फसलों को बचाने और प्रभावी नियंत्रण के उपाय प्रदान करना था। सर्वे टीम का नेतृत्व जयपुर खंड के अतिरिक्त निदेशक श्री एल. एन. बैरवा ने किया, और उनके साथ संयुक्त निदेशक श्री शंकर लाल मीणा, सहायक निदेशक श्रीमती रेखा चौधरी, कृषि अधिकारी श्री पुष्पेंद्र सिंह, और कृषि अनुसंधान अधिकारी डॉ. जितेंद्र शर्मा शामिल थे।

सर्वे के दौरान बाजरा और ज्वार में फड़का कीट, बाजरा में ब्लास्ट रोग, मक्का में एफिड और फॉल आर्मीवर्म, मूंग में सफेद मक्खी और जीवाणुज चित्ती रोग, और मिर्च में पर्ण कुंचन रोग एवं सफेद मक्खी का प्रकोप पाया गया। टीम ने किसानों को विभागीय सिफारिशों के अनुसार कीट-रोगों से निपटने के उपाय बताए।

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बाजरा और ज्वार: फड़का कीट के नियंत्रण के लिए क्यूनालफॉस 1.5% चूर्ण 25 किलो प्रति हेक्टेयर छिड़कें। ब्लास्ट रोग के नियंत्रण के लिए प्रोपीकोनाजॉल 25  ईसी अथवा ट्राइफ्लोक्सीस्ट्रोबिन 25 प्रतिशत और टेबुकोनाजोल 50 प्रतिशत (75 डब्ल्यूजी) कवकनाशी का 0.05 प्रतिशत का घोल बनाकर छिड़काव करें व 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव दोहरावें।

मक्का: फाल आर्मी वर्म कीट के नियंत्रण के लिए इमामेक्टिन बेन्जोएट 5 प्रतिशत एसजी 6 ग्राम प्रति 15 लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर पोटों में डालें एवं एफिड के नियंत्रण के लिए एक लीटर मिथाइल डिमेटोन 25 ईसी प्रति हैक्टेयर के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें। 

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मूंग: सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए एक लीटर डायमिथेएट 30 ईसी कीटनाशी का प्रति हैक्टेयर के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें। जीवाणुज चित्ती रोग के नियंत्राण के लिए एक ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन एवं 20 ग्राम कॉपर ऑक्सीक्लोराइड दवा का 10 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें व आवश्यकतानुसार छिड़काव दोहरावें।

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मिर्च: पर्ण कुंचन रोग व सफेद मक्खी कीट के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8  एसएल एक मिली प्रति 3 लीटर पानी या डायमिथेएट 30 ईसी एक मिली प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिड़काव करें। साथ ही पर्ण कुंचन रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर मिट्टी में दबा कर नष्ट करें।

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