राज्य कृषि समाचार (State News)

लो टनल तकनीक से बेमौसम सब्ज़ियों की खेती से हो रहा मुनाफ़ा

लेखक: डॉ. दशरथ प्रसाद, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवम् अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केन्द्र, पोकरण जैसलमेर

25 जनवरी 2025, भोपाल: लो टनल तकनीक से बेमौसम सब्ज़ियों की खेती से हो रहा मुनाफ़ा – लो टनल टेक्नोलॉजी एक आधुनिक कृषि तकनीक है, जिसका उपयोग पौधों को प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों से बचाने और उनकी उपज बढ़ाने के लिए किया जाता है। इसमें खेतों में उगाए गए पौधों को प्लास्टिक या अन्य हल्के ढांचे के जरिए ढक दिया जाता है। यह तकनीक विशेष रूप से सब्जियों और फसलों को ठंड, ओस, या तेज़ हवा से बचाने के लिए उपयोगी है। समय और पानी की बचत कर आगामी फसल की तैयारी के लिए किसान लो टनल तकनीक का उपयोग कर सकते हैं। इस  तकनीक से बहुत कम लागत में सब्जियों की पौध तैयार हो जाती है।

केंद्र पर तैयार की प्रदर्शन इकाई

डॉ. दशरथ प्रसाद, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवम् अध्यक्ष , कृषि विज्ञान केन्द्र, पोकरण ने बताया कि लो टनल तकनीक से केविके पर पहली बार किसानो के लिए बंदगोभी, मिर्ची, टमाटर, प्याज, बेंगन आदि की प्रदर्शन इकाई लगायी है जिससे किसान देख कर सब्जी वर्गीय उत्पादन ले सकते है केन्द्र पर इसका प्रशिक्षण दिया जा रहा है इसको बनाने के लिए पतले बांस से गुफानुमा आकार तैयार की जाती है। लो टनल तकनीक में बाहर की अपेक्षा के अन्दर तापमान 10 डिग्री सेल्सियस अधिक रहता है जिससे पौधा अपनी जैविक क्रियाए आसानी से कर पता है। किसानों को यहां बुलाकर उन्हें इसके बारे में बताया जा रहा है। कोशिश की जा रही है कि भविष्य में सभी किसान इस पद्धति को अपनाएं।

क्या है लो टनल प्लास्टिक तकनीक

लो टनल प्लास्टिक तकनीक की मदद से कम तापमान और पाला पड़ने से होने वाले नुकसान से फसल को बचाना आसान होता है। यह तकनीक फसलों को तापमान में गिरावट के दौरान नुकसान से बचाएगी। पौधे के विकास के लिए 10 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान जरूरी होता है। अक्सर सर्दियों के मौसम में मिट्टी व हवा का तापमान रात में काफी कम हो जाता है, इसलिए सब्जियों के पौधों की देखभाल करना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में पोकरण कृषि विज्ञान केन्द्र ने लो टनल प्लास्टिक तकनीक विकसित किया है।

कम लागत में हो जाती है तैयार

लो टनल की जी.आई. पाइपों को अर्धगोलाकार मोड़कर तथा उन्हें सरिया के टुकड़ों के सहारे खेत में खड़ा करके व प्लास्टिक से ढंककर बनाई जाने वाली संरक्षित संरचना हैं। इन्हें सर्दी के मौसम में बेमौसम सब्जी जैसे खरबूजा, तरबूज, खीरा, चप्पन कद्दू या अन्य कद्दूवर्गीय सब्जियां उगाने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। इसकी लम्बाई आवश्यकतानुसार बढ़ाई जा सकती है। इन्हें बनाने में काफी कम लागत आती है। इनकी देखभाल भी सरलतापूर्वक की जा सकती है। इन संरचनाओं का उपयोग केवल सर्दियों में ही किया जा सकता है।

नुकसान से बचाव

लो टनल ऐसी संरक्षित संरचना है जिसे फसल रोपाई के बाद प्रत्येक क्यारी के ऊपर कम ऊंचाई पर प्लास्टिक की चादर ढक कर बनाया जाता है। यह फसल को कम तापमान से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए बनाई जाती है। यह तकनीक सब्जियों की बेमौसम खेती के लिए बहुत उपयोगी है। जहां सर्दी के मौसम में रात का तापमान अपने न्यूनतम स्तर पर चला जाता है। इसके लिए सब्जियों की पौध प्लास्टिक प्लग ट्रे तकनीक से सर्दी में ही तैयार किया जाता है।

लो टनल प्लास्टिक तकनीक की विशेषताएं

  • इस तकनीकी में हवा की आद्रता को नियंत्रित किया जाता है।
  • पानी व खाद की बचत के साथ ही खरपतवार व मिट्टी के तापमान को नियंत्रित किया जाता है।
  • इस तकनीक को कम लागत में अपनाया जा सकता है।
  • इससे सर्दियों में कम तापमान व पाला पड़ने की स्थिति में फसलों को नुकसान से बचाया जा सकता है।

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