राज्य कृषि समाचार (State News)

PAU वैज्ञानिकों की किसानों को सलाह: सिंचाई से पहले कराएं पानी और मिट्टी की जांच

19 जुलाई 2025, भोपाल: PAU वैज्ञानिकों की किसानों को सलाह: सिंचाई से पहले कराएं पानी और मिट्टी की जांच – पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (PAU), लुधियाना के निर्देशन में संगुर जिले के फार्म एडवाइजरी सर्विस सेंटर, संगुर की ओर से गांव भुंदर भैणी (मूनक के पास) में “खराब पानी के उचित उपयोग” पर किसानों के लिए प्रशिक्षण कैंप आयोजित किया गया। इस कैंप में 50 से ज्यादा किसानों ने भाग लिया।

सिंचाई वाले पानी का पहले करवाएं टेस्ट

कैंप की अगुवाई कर रहे जिला विस्तार वैज्ञानिक और केंद्र के इंचार्ज डॉ. अशोक कुमार ने किसानों को सिंचाई में इस्तेमाल होने वाले खराब पानी की विभिन्न श्रेणियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पानी लगाने से पहले उसका परीक्षण जरूर कराना चाहिए, क्योंकि लगातार लवणीय या खारे पानी के इस्तेमाल से खेत खराब हो सकते हैं।

उन्होंने समझाया कि अगर पानी की चालकता (Conductivity) 2000 माइक्रो मोस प्रति सेंटीमीटर से कम है, तो पानी लवणीय नहीं होता। वहीं अगर Residual Sodium Carbonate (RSC) की मात्रा 2.5 मिलीइक्विवेलेंट प्रति लीटर से कम है, तो खारे पानी की कोई समस्या नहीं होती। लेकिन जैसे-जैसे चालकता और RSC की मात्रा बढ़ती है, पानी का असर खेत की उपजाऊ शक्ति पर पड़ता है।

पानी और मिट्टी की रिपोर्ट का किया विश्लेषण

डॉ. अशोक कुमार ने कैंप के दौरान कई किसानों के पानी और मिट्टी की रिपोर्ट का विश्लेषण भी किया और पानी के सही इस्तेमाल के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि सही सलाह के लिए किसानों को समय-समय पर पानी और मिट्टी की जांच करानी चाहिए।

झोने में जिंक की कमी पर भी दी सलाह

उन्होंने बताया कि इस समय धान (झोने) की फसल में जिंक की कमी के लक्षण दिख रहे हैं। इसलिए किसान कृषि विशेषज्ञों की सलाह लेकर सिफारिश की गई जिंक की मात्रा का प्रयोग करें।

खेत में दिखाई गई फसल सुरक्षा की तकनीक

कैंप में खेती साहित्य, फसल सुरक्षा के धातु चूर्ण, फल मक्खी से बचाव के लिए ट्रैप की जानकारी और बिक्री की गई। अमरूद को काणे से बचाने के लिए फल मक्खी ट्रैप के महत्व को बताया गया।

डॉ. अशोक कुमार ने किसानों को सलाह दी कि खरपतवार नियंत्रण में अलग-अलग प्रकार के रसायनों को मिलाकर छिड़काव करने से बचें। जिन किसानों ने अभी तक पीआर-126 धान किस्म की बुआई नहीं की है, उन्हें जल्द बुआई करने की सलाह दी गई। धान और बासमती की फसल में तना छेदक, पत्ती लपेट सुंडी जैसे कीटों का निरीक्षण करते रहने और इकनॉमिक थ्रेशहोल्ड से अधिक होने पर ही दवाई के छिड़काव की बात कही गई।

किसानों के सवालों के दिए जवाब

किसानों को पोटाशियम नाइट्रेट के प्रयोग के साथ-साथ प्रभावशाली खरपतवार नाशक और जिप्सम के सही उपयोग के बारे में जानकारी दी गई। चूहों के रोकथाम के आसान उपाय भी विस्तार से समझाए गए।

खेत का किया दौरा, दी फसल सुधार की सलाह

अंत में स. जसवंत सिंह के खेत का दौरा किया गया, जहां धान और मक्का की फसलों में जिंक की कमी के लक्षण दिखाई दिए। किसानों को तुरंत जिंक का स्प्रे करने की सलाह दी गई। मौके पर अमरूद, केला, लीची और अन्य फलदार पौधों का भी अवलोकन किया गया। इस पूरे कैंप के सफल आयोजन में स. जसवंत सिंह, स. तरसेम सिंह, स. जोगा सिंह और अन्य किसानों का अहम योगदान रहा।

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