धान घोटाला: हाईकोर्ट ने रोकी नीलामी, सत्यापन में तेजी के आदेश
26 अप्रैल 2025, भोपाल: धान घोटाला: हाईकोर्ट ने रोकी नीलामी, सत्यापन में तेजी के आदेश – ग्वालियर के सिद्धेश्वरी वेयरहाउस में रखी 32,683 क्विंटल धान को लेकर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने इस धान का तुरंत भौतिक सत्यापन करने का आदेश दिया, क्योंकि यह किसानों की मेहनत का फल है और इससे उनका बकाया भुगतान संभव होगा। इसके साथ ही, इस धान के आधार पर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से लिया गया 7.25 करोड़ रुपये का लोन भी जनता के पैसे से जुड़ा है। कोर्ट ने किसानों और बैंक दोनों के हितों की रक्षा पर जोर दिया।
क्या है पूरा मामला?
मै. दुर्गादेवी ट्रेडिंग कंपनी ने मंडी में किसानों से धान खरीदा, लेकिन भुगतान नहीं किया। कंपनी ने इस धान को वेयरहाउस में जमा कर 54,400 बोरियों में पैक किया और वेयरहाउस रसीद के आधार पर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से 7.25 करोड़ रुपये का लोन ले लिया। अब विवाद इस बात पर है कि धान की नीलामी से पहले किसानों का भुगतान हो या बैंक का लोन सुरक्षित किया जाए।
हाईकोर्ट की नाराजगी और निर्देश
कोर्ट ने सत्यापन में देरी पर कड़ी नाराजगी जताई। डेढ़ दिन में 20 मजदूर सिर्फ 2,100 बोरियां ही गिन पाए। कोर्ट ने कलेक्टर को 100 मजदूरों की व्यवस्था कर 15 दिन में सत्यापन पूरा करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने लश्कर कृषि उपज मंडी के सचिव आलोक कुमार वर्मा के दावे पर भी सवाल उठाए, जिसमें उन्होंने कहा था कि बोरियों की गिनती कुछ घंटों में हो गई थी। कोर्ट ने मंडी के जप्तीनामे को फर्जी बताया, क्योंकि उसमें वेयरहाउस का नाम तक नहीं था।
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई। कोर्ट ने बैंक द्वारा पेश की गई तस्वीरों को भ्रामक करार दिया और सवाल किया कि बिना पुख्ता सत्यापन के इतना बड़ा लोन कैसे दिया गया। कोर्ट ने कलेक्टर रुचिका चौहान को वेयरहाउस की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश दिया। अगली सुनवाई 9 मई को होगी।
नीलामी पर अस्थायी रोक
कृषि उपज मंडी, लश्कर ने किसानों के भुगतान के लिए धान की नीलामी शुरू की थी, लेकिन सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि धान की रसीदें उनके पास गिरवी हैं और नीलामी से उन्हें नुकसान होगा। इस पर कोर्ट ने नीलामी पर अस्थायी रोक लगा दी।
कोर्ट के सख्त सवाल
हाईकोर्ट ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से धान की बोरियों के सत्यापन से जुड़ी सभी रिपोर्ट पेश करने को कहा। साथ ही, यह भी स्पष्ट करने को कहा कि बोरियों की गिनती कुछ घंटों में कैसे हो सकती है। कोर्ट ने साफ किया कि किसानों और बैंक दोनों के हितों में संतुलन बनाना जरूरी है।
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