हरियाणा में आज से एमएसपी पर धान की खरीद हुई शुरू, किसानों को मिलेगा 2389 रुपए प्रति क्विंटल रेट
22 सितम्बर 2025, भोपाल: हरियाणा में आज से एमएसपी पर धान की खरीद हुई शुरू, किसानों को मिलेगा 2389 रुपए प्रति क्विंटल रेट – हरियाणा सरकार ने किसानों को बड़ी राहत देते हुए इस बार धान की सरकारी खरीद एक सप्ताह पहले शुरू कर दी है। अब 22 सितंबर से ही खरीफ फसलों की खरीद एमएसपी पर शुरू हो गई है। यह फैसला राज्य में हो रही लगातार बारिश और खेतों में आग लगने के बढ़ते खतरे को देखते हुए लिया गया है। प्रदेश के कृषि मंत्री श्याम सिंह राणा ने इस बात की जानकारी दी है।
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि सरकार किसानों के हितों की पूरी रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने बताया कि खरीद प्रक्रिया पहले एक अक्टूबर से शुरू होनी थी, लेकिन वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए इसे पहले कर दिया गया है। किसानों को धान का MSP 2389 रुपये प्रति क्विंटल मिलेगा, जो पिछले वर्षों की तुलना में काफी बढ़ा हुआ है। उदाहरण के तौर पर, वर्ष 2014 में कामन धान का MSP 1360 रुपये प्रति क्विंटल था, जो अब 2369 रुपये तक पहुंच गया है। इसी प्रकार ग्रेड-ए धान का MSP 1400 रुपये से बढ़कर आज 2389 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है।
कृषि मंत्री ने यह भी बताया कि पराली जलाने से बचने के लिए किसानों को 1200 रुपये की सब्सिडी भी दी जा रही है। इससे प्रदूषण कम होगा और पर्यावरण संरक्षण में मदद मिलेगी। राज्य में किसानों की ओर से इस पहल को अच्छी प्रतिक्रिया मिली है और उम्मीद है कि इस बार पराली जलाने की समस्या नहीं होगी।
मंडी में पूरी तैयारी, किसानों को नहीं होगी कोई दिक्कत
मंडी में धान की खरीद के लिए सभी आवश्यक इंतजाम किए गए हैं। कृषि मंत्री ने आश्वासन दिया है कि किसानों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद मंडियों में खरीद प्रक्रिया सुचारू रूप से चल रही है।
प्राकृतिक खेती और सूखा-प्रतिरोधी फसल पर ध्यान
श्याम सिंह राणा ने कहा कि सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने बताया कि रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है कि वे प्राकृतिक खेती अपनाएं। साथ ही कृषि वैज्ञानिकों को सूखा और जलभराव से बचाव करने वाली फसलें विकसित करने के लिए कहा गया है ताकि मौसम की चुनौतियों से किसानों को बचाया जा सके।
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