जैविक खाद से बढ़ती है भूमि की उपजाऊ क्षमता- श्री आम्रवंशी
10 सितम्बर 2024, जबलपुर: जैविक खाद से बढ़ती है भूमि की उपजाऊ क्षमता- श्री आम्रवंशी – कृषि विभाग द्वारा जिले के किसानों को खाद के विभिन्न प्रकारों, उसकी निर्माण प्रक्रियाओं एवं लाभों से अवगत कराया गया है। खाद का उपयोग करके किसानों द्वारा कम लागत में किसी हानिकारक प्रभाव के बिना अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। साथ ही खाद का उपयोग करने से मृदा में एनपीके के साथ-साथ सभी सोलह सूक्ष्म पोषक तत्वों की भी पूर्ति होती है। जिससे भूमि की उपजाऊ क्षमता बढ़ जाती है।
सहायक संचालक कृषि श्री रवि आम्रवंशी ने किसानों को बताया कि मृदा को उपजाऊ बनाने के लिए खाद का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने गोबर खाद के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह खाद के सबसे सरल रूपों में से एक है, जो पशुओं एवं कृषि के अपशिष्ट पदार्थों से बनाई जाती है। इस खाद में कार्बनिक पदार्थ अथवा ह्यूमस भरपूर मात्रा में उपस्थित होता है। गोबर खाद में 0.5 प्रतिशत नाइट्रोजन, 0.2 प्रतिशत फास्फोरस और 0.5 प्रतिशत पोटेशियम पाया जाता है। किसानों द्वारा इसे गोबर, पौधे के कचरे, पुआल और घास को पशु धन कूड़े के साथ या उसके बिना अपघटित कर सरलता पूर्वक प्राप्त किया जा सकता है।
श्री आम्रवंशी ने कम्पोस्ट खाद के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि यह पत्तियां, बचा हुआ खाना, फलों के छिलके, पुआल, गोबर आदि जैविक पदार्थों के अपघटन से बनती है। वहीं इसके विपरीत कृमियों (केंचुए) की मदद से पत्तियों, बचे हुए भोजन, फलों के छिलकों, पुआल एवं गोबर जैसे कार्बनिक पदार्थों के अपघटन से काली मिट्टी के रूप में वर्मीकम्पोस्ट खाद का निर्माण होता है। कम्पोस्ट खाद में नाइट्रोजन 2 प्रतिशत, फास्फोरस 0.5 से 1 प्रतिशत तथा पोटेशियम की मात्रा 2 प्रतिशत पायी जाती है। उन्होंने बताया कि केंचुए अपशिष्ट को संशोधित करते हैं और पचाते हैं, फिर वर्मीकम्पोस्ट का उत्सर्जन करते हैं। इस खाद में बदबू नहीं होती है और मक्खी एवं मच्छर भी नहीं बढ़ते हैं। इस कारण वातावरण स्वस्थ रहता है। वर्मी कम्पोस्ट खाद मे नाइट्रोजन 2-3 प्रतिशत, फास्फोरस 1-2 प्रतिशत तथा पोटाश 1- 2 प्रतिशत मिलता है।
श्री आम्रवंशी ने किसानों को खाद के लाभ की जानकारी देते हुए बताया कि खाद प्राकृतिक उर्वरक का स्रोत है। खेत तैयार करते समय इसका इस्तेमाल करने से पौधों को सभी पोषक तत्व एवं कार्बनिक पदार्थ संतुलित मात्रा में प्राप्त हो जाते हैं। साथ ही मिट्टी भी भुरभुरी और हवादार बनती है। खाद के इस्तेमाल से मिट्टी में लाभकारी माइक्रोब्स की संख्या और क्रियाशीलता भी बढ़ जाती है। जिससे मिट्टी और भी ज्यादा उपजाऊ बनती है तथा अधिक पैदावार होती है| उन्होंने बताया कि खाद के इस्तेमाल से खेतों में खरपतवार कम उगते हैं तथा फसलें कीट, रोगों से कम प्रभावित होती हैं। पौधों तथा भूमि के बीच आयनों के आदान-प्रदान में वृद्धि होती हैं। मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ जाती हैं और सिंचाई की भी कम आवश्यकता होती है। खाद प्रयोग से फल, सब्जी, अनाज की गुणवत्ता में सुधार आता है, जिससे किसान को उपज का बेहतर मूल्य प्राप्त होता है। ग्रामीण क्षेत्रों में इसके उपयोग से रोजगार की संभावनाएं उपलब्ध हो जाती हैं। यह बहुत कम समय में तैयार हो जाता है।
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