अब मोबाइल बताएगा आपका बीज असली है या नकली! जानें पूरी प्रक्रिया
12 फ़रवरी 2025, भोपाल: अब मोबाइल बताएगा आपका बीज असली है या नकली! जानें पूरी प्रक्रिया – मध्यप्रदेश में फसलों की उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रमाणित बीजों के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। राज्य के कृषि मंत्री एदल सिंह कंषाना ने बताया कि बीज प्रमाणीकरण संस्था की स्थापना बीज अधिनियम 1966 के तहत की गई थी, जिसका उद्देश्य निर्धारित मानकों के अनुरूप गुणवत्ता युक्त बीजों का प्रमाणीकरण करना है।
बीते वर्ष में प्रदेश में बड़े पैमाने पर बीज प्रमाणीकरण का कार्य हुआ। खरीफ 2024 में 1.24 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बीज प्रमाणीकरण हुआ, जिससे 15 लाख क्विंटल बीज प्रमाणित किए गए। वहीं, रबी सीजन में 1.07 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में यह प्रक्रिया अपनाई गई और 21.86 लाख क्विंटल बीज प्रमाणित किए गए। ग्रीष्म-2024 के दौरान 9,021 हेक्टेयर क्षेत्र में बीज प्रमाणीकरण किया गया और 85 हजार क्विंटल बीज प्रमाणित हुए।
बीज की गुणवत्ता जांचने के लिए क्यूआर कोड
बीज प्रमाणीकरण प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए संस्था के टैग्स पर 2डी क्यूआर कोड जोड़े गए हैं। किसान इसे किसी भी एंड्रॉयड फोन से स्कैन कर बीज लॉट से जुड़ी सभी जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं। इसमें फसल का प्रकार, बीज की किस्म, लॉट क्रमांक, टैगों की कुल संख्या, पैकिंग साइज़, पैकिंग मात्रा, बीज परीक्षण परिणाम (अंकुरण, भौतिक शुद्धता, अन्य फसलें, अन्य पहचान योग्य बीज, खरपतवार, नमी), और बीज उत्पादन से जुड़ी संस्था व कृषकों की जानकारी शामिल होगी। इसके अलावा, यह भी पता लगाया जा सकता है कि किस सहायक बीज प्रमाणीकरण अधिकारी द्वारा पैकिंग और टैगिंग की गई है।
साथी पोर्टल से मिलेगी ट्रेसबिलिटी की सुविधा
केन्द्र सरकार द्वारा विकसित साथी पोर्टल (https://seedtrace.gov.in/ms014/) के जरिए किसान बीज उत्पादन कार्यक्रम और बीज की ट्रेसबिलिटी से जुड़ी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इस पोर्टल के माध्यम से किसान यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि उनके द्वारा खरीदे गए बीज प्रमाणित और गुणवत्ता युक्त हैं या नहीं।
राज्य में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए गुणवत्तायुक्त बीजों की उपलब्धता सुनिश्चित करना अहम माना जा रहा है। हालांकि, किसानों को प्रमाणित बीज आसानी से उपलब्ध हो रहे हैं या नहीं, इसकी जमीनी हकीकत का मूल्यांकन भी जरूरी होगा। इसके अलावा, यह देखना भी अहम रहेगा कि प्रमाणीकरण की यह प्रक्रिया किसानों के लिए कितनी प्रभावी साबित होती है।
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