राष्ट्रीय गाजरघास जागरूकता सप्ताह 16 -22 अगस्त तक आयोजित
18 अगस्त 2022, इंदौर: राष्ट्रीय गाजरघास जागरूकता सप्ताह 16 -22 अगस्त तक आयोजित – खरपतवार अनुसन्धान निदेशालय, जबलपुर द्वारा 17 वां राष्ट्रीय गाजरघास जागरूकता सप्ताह का आयोजन 16 से 22 अगस्त तक किया जा रहा है, जिसमें राज्यों के कृषि वि वि ,भाकृअप की समस्त संस्थाएं , कृषि विज्ञान केंद्र ,राज्यों के कृषि विभाग ,अ भा खरपतवार प्रबंधन केंद्र , स्कूल ,कॉलेज और समाजसेवी संस्थाएं शामिल होंगी। इस अवसर के लिए विशेष रूप से तैयार पोस्टर और प्रसार सामग्री पूरे देश के हितधारकों को वितरित की जाएंगी।
खरपतवार अनुसन्धान निदेशालय, जबलपुर के निदेशक डॉ जे एस मिश्र ने कहा कि गाजरघास से मनुष्यों में कई बीमारियां आँखों/त्वचा की एलर्जी , बुखार और श्वास संबंधी संबंधी समस्याएं पैदा होती है। गाजरघास , कृषि उत्पादकता को भी कम कर देती है। इस समस्या का समाधान जागरूकता और प्रशिक्षणों के माध्यम से ही किया जा सकता है। डॉ मिश्र ने बताया कि गाजर घास , गाजर जैसा दिखने वाला खरपतवार है ,जिसका वैज्ञानिक नाम पार्थेनियम हिस्टोफोरस है। इसे कांग्रेस घास,सफ़ेद टोपी,छंतक चांदनी/चटक चांदनी ,गंधी बूटी आदि नामों से भी जाना जाता है। यूँ तो कई खरपतवार किसानों और फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन गाजरघास फसलों के साथ ही मनुष्यों और जानवरों को भी नुकसान पहुंचाता है। इसकी मौजूदगी के कारण स्थानीय वनस्पति नहीं उग पाती है। जिससे जैव विविधता पर प्रभाव पड़ता है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है। गाजरघास से ग्रसित जगहों में रहने वाले लोगों में त्वचा और श्वास संबंधी रोगों में अधिक वृद्धि देखी गई है। यह जानवरों में भी कई रोग फैला देता है। आपने प्रगतिशील किसानों और आमजनों से जन भागीदारी द्वारा गाजरघास मुक्त करने का आह्वान किया।
कार्यक्रम संयोजक डॉ सुशील कुमार ने गाजरघास के प्रभाव और नियंत्रण के उपायों की विस्तृत जानकारी देते हुए गजरघास खाने वाले कीट के बारे में भी बताया जो जबलपुर क्षेत्र में अच्छा काम कर रहा है। आपने गाजरघास से कम्पोस्ट खाद बनाने की विधि भी बताई , ताकि किसान अपनी आय बढ़ा सके।
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