एमपीयूऐटी बना गाँवों में सौर वृक्ष स्थापित करने वाला देश का पहला विश्वविद्यालय
7 अक्टूबर 2021, भोपाल । एमपीयूऐटी बना गाँवों में सौर वृक्ष स्थापित करने वाला देश का पहला विश्वविद्यालय – माननीय राज्यपाल महोदय के स्मार्ट विलेज इनिशिएटिव के तहत् महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के चयनित गाँव मदार में राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट फण्ड (आर्र.आइ.पी.एफ.) के तहत् मदार गाँव के उच्च माध्यमिक विद्यालय में सौर वृक्ष स्थापना हेतु रूपये 9.80 लाख की एक योजना स्वीकृत की गई जिसमें नाबार्ड द्वारा रू. 8.82 लाख व विश्वविद्यालय की भागीदारी रू. 0.98 लाख है।
माननीय कुलपति डाॅ. नरेन्द्र सिंह राठौड़ के नेतृत्व में निदेशक प्रसार शिक्षा, डाॅ. एस.के. शर्मा के प्रयासों से यह प्रोजेक्ट स्वीकृती से स्थापित किये जाने तक का कार्य एक माह से भी कम समय में पूर्ण किया गया।
नाबार्ड के चेयरमेन डाॅ. जी.आर. चिंतला ने उदयपुर प्रवास के दौरान अपने वरिष्ठ अधिकारियों श्रीमती सुशीला चिंतला, मेनेजिंग डायरेक्टर एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी नब किसान फाईनेन्स, श्री जयदीप श्रीवास्तव, सी.जी.एम. राजस्थान, श्री पाण्डे, जी.एम. व अन्य अधिकारियों के साथ मदार पहुंचे तथा सौर वृ़क्ष का निरिक्षण किया। उन्होनें विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. नरेन्द्र सिंह राठौड़, निदेशक प्रसार शिक्षा, डाॅ. एस.के. शर्मा, विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारियों, सौर ऊर्जा विशेषज्ञ डाॅ. एन.एल. पंवार के साथ सौर वृक्ष से किसानों को ऊर्जा की आपूर्ति पर चर्चा की। उन्होनें बताया कि मेवाड़ का यह कृषि विश्वविद्यालय गाँव में सौर वृक्ष स्थापित करने वाला देश का पहला विश्वविद्यालय है। उन्होनें कहा कि भविष्य में इसकी लागत में कमी आयेगी व किसानों के बीच यह ज्यादा स्वीकार्य होगा। उन्होनें विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को सौर वृक्ष से उत्पन्न बिजली के विभिन्न पहलुओं पर अध्ययन करने का सुझाव दिया। इस अवसर पर आयोजित संगोष्ठ में किसानों से बातचीत करते हुए उन्होनें ग्राम वासियों को आश्वासन दिया कि ग्रामीण विकास की परियोजनाओं हेतु नाबार्ड प्रयत्नशील है।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय कुलपति डाॅ. राठौड़ ने बताया कि 2030 तक वर्तमान में काम में लिए जाने वाले ऊर्जा के संसाधन, डीजल पेट्रोल व गैस समाप्त हो जायेगें व ऊर्जा आपूर्ति हेतु नवीकरणीय ऊर्जा जिसमें सौर ऊर्जा प्रमुख है पर निर्भर रहना पड़ेगा। डाॅ. राठौड़ ने बताया कि 5 केवी के सौर वृक्ष से प्रतिदिन लगभग 20 यूनिट बिजली का उत्पादन होगा जिसका उपयोग स्कूल में विद्यार्थियों को स्वच्छ जल हेतु नल कूप, रात्रि कालीन अध्ययन हेतु प्रकाश व्यवस्था तथा आॅनलाईन अध्ययन हेतु कम्प्यूटर से जोड़ा जायेगा जिससे विद्यार्थियों को उच्च गुणवŸाा वाली शिक्षा प्राप्त हो सकेगी। उन्होनें नाबार्ड को सौर वृक्ष स्वीकृत करने हेतु धन्यवाद दिया व आशा व्यक्त की कि भविष्य में विश्वविद्यालय द्वारा प्रेषित प्रोजेक्ट्स शीघ्र स्वीकृत कर वैज्ञानिकों का मनोबल बढ़ाया जायेगा।
निदेशक प्रसार शिक्षा डाॅ. एस.के. शर्मा ने अपने उद्बोधन में स्मार्ट विलेज के उद्देश्यों, नवाचारों द्वारा आजीविका सुरक्षा, कौशल विकास द्वारा रोजगार पर किये गये कार्यों की विस्तृत चर्चा की। नोडल अधिकारी डाॅ. एस.के. इन्टोदिया ने चयनित गाँवों में समन्वित कृषि पद्धति तकनीकीयों की जानकारी दी। स्मार्ट विलेज समन्वयक डाॅ. इन्द्रजीत माथुर ने चयनित गाँवों में सी.एस.आर. फण्ड द्वारा व विभिन्न संस्थाओं द्वारा किये गये कार्यों के बारे में बताया। कार्यक्रम का संचालन व धन्यवाद डाॅ. लतिका व्यास द्वारा किया गया।