फसल अवशेष जलाने की घटनाओं को लेकर बैठक
23 अक्टूबर 2025, बैतूल: फसल अवशेष जलाने की घटनाओं को लेकर बैठक – प्रदेश में फसल अवशेष जलाने की बढ़ती घटनाएं मृदा और पर्यावरण के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गई हैं। देश के अन्य राज्यों की तुलना में मध्यप्रदेश में ऐसे मामलों की संख्या अधिक पाई गई है। रबी और खरीफ फसलों की कटाई के बाद खेतों में फसल अवशेष जलाने की प्रथा न केवल भूमि की उर्वरता को प्रभावित कर रही है, बल्कि वायु प्रदूषण में भी वृद्धि कर रही है। इसी उद्देश्य से गत दिनों कलेक्टर श्री नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी के निर्देश पर फसल अवशेष जलाने की घटनाओं पर नियंत्रण के लिए बैठक आयोजित की गई।
इस दौरान अपर कलेक्टर सुश्री वंदना जाट ने फसल अवशेष जलाने की रोकथाम के लिए व्यापक स्तर पर जनजागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए। वहीं जिले में फसल अवशेष प्रबंधन के लिए जिला स्तरीय समिति का गठन किया गया। समिति द्वारा फसल अवशेष जलाने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी तथा कानून की अवहेलना करने पर किसानों को मिलने वाले शासकीय लाभ, जैसे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद रोकने की कार्यवाही भी की जाएगी।
कृषि परियोजना संचालक आत्मा डॉ. आनंद कुमार बडोनिया ने बताया कि एक टन धान के भूसे में लगभग 5.5 किलोग्राम नाइट्रोजन, 2.3 किलोग्राम फास्फोरस, 25 किलोग्राम पोटेशियम, 1.2 किलोग्राम सल्फर, और 400 किलोग्राम कार्बन होता है। साथ ही धान द्वारा अवशोषित 50 से 70 प्रतिशत सूक्ष्म पोषक तत्व भी उसमें शामिल रहते हैं, जो जलाने से पूरी तरह नष्ट हो जाते हैं। इससे न केवल मिट्टी की उर्वरता कम होती है, बल्कि पर्यावरणीय असंतुलन भी बढ़ता है। बैठक में डॉ. प्रमोद मीणा एवं अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।
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