राज्य कृषि समाचार (State News)

केला फसल में सिंगाटोका बीमारी के बचाव के उपाय


14 दिसंबर 2022,  बुरहानपुर: केला फसल में सिंगाटोका बीमारी के बचाव के उपाय – वर्तमान में जिले में तापमान दिन प्रतिदिन कम होता जा रहा है, जो कि सिंगाटोका बीमारी के लिए अनुकूल मौसम है। यह जानकारी उद्यानिकी  उपसंचालक श्री आर.एन.एस.तोमर ने दी। उन्होंने बताया कि, इस बीमारी को लिफ स्पॉट या लिट स्ट्रीक के नाम से भी जाना जाता है। यह एक फफूंद जनित बीमारी है, जो कि अनुकूल मौसम मिलने पर सबसे अधिक प्रभावित करती है।  इस बीमारी के कारण केला फसल का उत्पादन प्रभावित होता है एवं फल समय से पूर्व पकने लगते हैं। जिससे बाजार में उचित मूल्य नहीं मिल पाता एवं किसान को आर्थिक नुकसान होता है।

सिंगाटोका रोग के लक्षण –सिंगाटोका बीमारी का प्रकोप उस समय अधिक होता है जब वातावरण में उच्च आर्द्रता, अधिक बारिश, कम तापमान, अधिक ओस (पाला), खेत में जल निकास की उत्तम व्यवस्था न होना, अधिक सघनता में पौध रोपण करना, बगीचे की साफ.-सफाई नही करना इन परिस्थितियों में इस बीमारी का फैलाव सबसे अधिक मात्रा में होता है !  इस रोग में शुरुआत में केले के पत्तों पर पीले रंग के अण्डाकार धब्बे  बन जाते हैं!  धीरे-धीरे इन धब्बों की संख्या एवं आकार में वृध्दि होने लगती है। . धब्बों का रंग पीले से भूरा में बदल जाता है।  रोग का प्रकोप अधिक होने से पत्ते सूखने लगते हैं।  इस रोग से ग्रस्त पौध के फल भी आकार में छोटे रह जाते हैं। समय से पहले फल पक जाते हैं ओर फलों  की गुणवत्ता कम हो जाती है।

सिंगाटोका रोग से बचाव के उपाय:- इस रोग से प्रभावित क्षेत्रों से केले की खेती के लिए कंद का चयन ना करें!   केले के नवीन बगीचे में जिन पौधों पर नीचे पत्तियॉं सूख गई हैं या पीली हो रही है उन्हें निकालकर खेत के बाहर एक जगह गड्डों में इकठ्ठा कर जला देना चाहिए  एवं पौधों तथा पत्तियों पर 2 ग्राम बाविस्टीन दवाई (कार्बेन्डाजिम) प्रति लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें।  जिस दिन अधिक ठंड की संभावना हो उस दिन खेत में लकड़ी जलाकर धुआं  करना चाहिये तथा पौधों में यूरिया एवं पोटाश की थोड़ी-थोड़ी मात्रा ड्रिप के द्वारा देना चाहिये।. केले के खेत में जलजमाव न होने दें एवं उचित जल निकास की व्यवस्था की जाए ।   बगीचे में जो खरपतवार है उन्हें  निकालकर बगीचे को साफ-सुथरा रखें तथा साल में दो बार बरसात के समय एवं ठंड बढ़ने के पूर्व बगीचे की अनिवार्य रूप से साफ-सफाई करनी चाहिये! केले के तने पर एवं पत्तो पर कार्बेन्डाजिम (बाविस्टीन) 30 ग्राम दवाई एवं 50 एमएल बीनोईल ऑईल प्रति पम्प में मिलाकर स्प्रे करें या प्रोपिकोनाजोल 30 ग्राम दवाई एवं 50 एमएल बीनोईल ऑंईल प्रति पम्प में मिलाकर स्प्रे करे!

कृषक संगोष्ठी का आयोजन – जिले में सिंगाटोका बीमारी के प्रकोप को देखते हुए उद्यानिकी विभाग द्वारा कृषक संगोष्ठी के माध्यम से जागरूकता कार्यक्रम चलाया जा रहा है। जिसके तहत शाहपुर एवं फोफनार में कृषक संगोष्ठी आयोजित की गई। जिसमें लगभग 40-50 कृषक सम्मिलित हुये। आज  14  दिसंबर  को ग्राम डोईफोडिया एवं 16 दिसंबर  को ग्राम नावरा में शाम 4 बजे कृषक संगोष्ठी का आयोजन किया जायेगा। उपसंचालक उद्यानीकि श्री तोमर ने कृषकगणों से अपील की है कि, अधिक से अधिक संख्या में आयोजित संगोष्ठी में सहभागिता करें एवं सिंगाटोका बीमारी के उपाय के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त करें।

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