राज्य कृषि समाचार (State News)

मध्यप्रदेश: केन-बेतवा लिंक परियोजना से बुंदेलखंड की तकदीर बदलेगी, मगर कुछ चुनौतियाँ भी

24 दिसंबर 2024, भोपाल: मध्यप्रदेश: केन-बेतवा लिंक परियोजना से बुंदेलखंड की तकदीर बदलेगी, मगर कुछ चुनौतियाँ भी – मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि केन-बेतवा लिंक परियोजना, जिसे पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के नदी जोड़ो अभियान के तहत आगे बढ़ाया गया, न केवल जल संकट का समाधान करेगी बल्कि बुंदेलखंड की तस्वीर और तकदीर को बदलने की क्षमता रखती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 दिसंबर को छतरपुर जिले के खजुराहो में इस परियोजना का शिलान्यास करेंगे, जिससे मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में जल, सिंचाई और रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होंगे।

परियोजना का उद्देश्य और प्रभाव

केन-बेतवा लिंक परियोजना का उद्देश्य केन नदी से अधिशेष जल को बेतवा नदी में हस्तांतरित करना है। इस परियोजना के तहत मध्यप्रदेश के छतरपुर और पन्ना जिलों में दौधन बांध और एक 221 किलोमीटर लंबी नहर बनाई जाएगी, जिससे कृषि क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा मिल सकेगी। इस परियोजना से लगभग 8.11 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि पर सिंचाई होगी, जिससे करीब 7 लाख किसानों को लाभ होगा। इसके अलावा, 44 लाख लोगों को पेयजल की सुविधा भी मिलेगी।

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परियोजना का अन्य बड़ा लाभ यह है कि यह मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश में जल संकट को दूर करने में मदद करेगा। सूखाग्रस्त क्षेत्र बुंदेलखंड में भूजल स्तर में सुधार होगा, और पानी की किल्लत से जूझ रहे किसानों को राहत मिलेगी। साथ ही, 103 मेगावाट जल विद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन होगा, जिससे ऊर्जा क्षेत्र को भी मजबूती मिलेगी।

ऐतिहासिक और पर्यावरणीय पहल

इस परियोजना के तहत मध्यप्रदेश के छतरपुर, टीकमगढ़ और निवाड़ी जिलों में चंदेल कालीन 42 ऐतिहासिक तालाबों का जीर्णोद्धार भी किया जाएगा। इन तालाबों की मरम्मत से वर्षा के दौरान जल का भंडारण होगा, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में जल स्तर में वृद्धि होगी और भूजल संरक्षण होगा।

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इसके अलावा, दौधन बांध के निर्माण से उत्तरप्रदेश के बांदा जिले में बाढ़ की समस्या का समाधान होगा। पन्ना टाइगर रिजर्व में जंगली जानवरों को वर्षभर पानी की सुविधा मिलेगी, जिससे वन्यजीवों का पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षित रहेगा।

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चुनौतियाँ और स्थिरता

हालांकि यह परियोजना व्यापक फायदे का वादा करती है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियाँ भी हो सकती हैं। पर्यावरणीय सुरक्षा और पारिस्थितिकी तंत्र पर इसके असर को लेकर कुछ चिंताएँ उठाई जा रही हैं। जलाशय निर्माण के साथ जुड़े पारिस्थितिकी तंत्र पर संभावित प्रभाव और वन्यजीवों के आवास में बदलाव से संबंधित मुद्दे हैं, जिन्हें समय रहते ध्यान में रखना आवश्यक है।

इसके अतिरिक्त, बड़े पैमाने पर विस्थापन के कारण कुछ स्थानीय समुदायों की चिंताएँ भी सामने आ सकती हैं। हालांकि, राज्य सरकार ने विस्थापितों के लिए पुनर्वास पैकेज तैयार किया है, लेकिन यह सुनिश्चित करना जरूरी होगा कि प्रभावित लोगों की जीवनशैली और पारंपरिक संसाधन सुरक्षित रहें।

स्थानीय समुदायों की भागीदारी

इस परियोजना में स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी भी आवश्यक है। जल संरक्षण, सिंचाई और परियोजना की अन्य तकनीकी गतिविधियों में स्थानीय किसानों और ग्रामीणों का सहयोग बढ़ाने से इसकी सफलता की संभावना अधिक होगी। राज्य सरकार द्वारा तालाबों की मरम्मत और जल स्तर में सुधार के कार्यों से गांवों में जल संकट के समाधान के प्रति जागरूकता बढ़ाने के प्रयास किए गए हैं, जो दीर्घकालिक परिणामों के लिए महत्वपूर्ण होंगे।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार जल संसाधन के क्षेत्र में दीर्घकालिक समाधान सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। केन-बेतवा और पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजनाओं से सिंचाई रकबे में अभूतपूर्व वृद्धि होगी। प्रदेश सरकार का लक्ष्य 2028-29 तक प्रदेश की सिंचाई क्षमता को 1 करोड़ हेक्टेयर तक पहुंचाना है, जिससे कृषि क्षेत्र में सुधार होगा और किसानों की आय में वृद्धि होगी।

मध्यप्रदेश सरकार ने जल संसाधन विभाग के लिए आगामी बजट में 13,596 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है, जो परियोजनाओं की सुसंगतता और स्थिरता को सुनिश्चित करेगा।

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केन-बेतवा लिंक परियोजना बुंदेलखंड और आसपास के क्षेत्रों के लिए एक ऐतिहासिक कदम है, जो जल संकट और विकास की दिशा में बदलाव का संकेत देती है। हालांकि, परियोजना के कार्यान्वयन के दौरान ध्यान देने योग्य पर्यावरणीय और सामाजिक मुद्दे होंगे, जिन्हें समग्र दृष्टिकोण से सुलझाना होगा। इससे क्षेत्रीय जलवायु में सुधार, कृषि उत्पादन में वृद्धि, और रोजगार के अवसरों का सृजन हो सकता है, लेकिन इसके साथ साथ इसका पर्यावरणीय और सामाजिक असर भी सुनिश्चित करना आवश्यक होगा।

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