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मध्यप्रदेश: 8 लाख हेक्टेयर में सिंचाई, 44 लाख लोगों को पानी: केन-बेतवा और पार्वती लिंक परियोजनाओं

14 दिसंबर 2024, भोपाल: मध्यप्रदेश: 8 लाख हेक्टेयर में सिंचाई, 44 लाख लोगों को पानी: केन-बेतवा और पार्वती लिंक परियोजनाओं – मध्यप्रदेश में जल-संसाधन प्रबंधन की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है। केन-बेतवा और पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजनाओं का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 25 दिसंबर को किया जाएगा। ये दोनों परियोजनाएं बुंदेलखंड और मालवा क्षेत्रों के लिए जल संकट से राहत देने वाली साबित हो सकती हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 दिसंबर को खजुराहो, छतरपुर में केन-बेतवा लिंक परियोजना और जयपुर (राजस्थान) में पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना का शिलान्यास करेंगे। इन दोनों परियोजनाओं के लिए बीते 20 वर्षों से प्रयास जारी थे। इनसे मध्यप्रदेश के कई जिलों में सिंचाई और पेयजल की समस्याएं कम होने की उम्मीद है।

समीक्षा बैठक में तय हुई योजनाएं

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार को समत्व भवन (मुख्यमंत्री निवास) से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए परियोजनाओं की तैयारियों की समीक्षा की। बैठक में जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट, अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा और अन्य अधिकारी उपस्थित थे। संभागीय आयुक्त और जिलों के कलेक्टर भी वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से बैठक में शामिल हुए।

मुख्यमंत्री ने बैठक में निर्देश दिए कि जल के महत्व और इसके सदुपयोग का संदेश प्रदेश के हर गांव तक पहुंचाया जाए। उन्होंने कहा कि गांव-गांव में किसान सम्मेलन, कलश यात्रा, प्रभात फेरियां, भजन मंडलियां और लोक कलाकारों की प्रस्तुतियों के जरिए जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। साथ ही विद्यालय और महाविद्यालयों में चित्रकला, निबंध और वाद-विवाद प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी।

पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना से क्या बदलेगा?

जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट ने बताया कि संशोधित पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना से मालवा और चंबल क्षेत्र के 6 लाख 13 हजार 520 हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा मिलेगी और 40 लाख की आबादी को पेयजल उपलब्ध होगा।

इसके अलावा, 60 वर्ष पुरानी चंबल दाईं मुख्य नहर और वितरण-तंत्र प्रणाली का आधुनिकीकरण भी किया जाएगा, जिससे भिंड, मुरैना और श्योपुर जिलों के 1205 ग्रामों में 3 लाख 62 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में किसानों को उनकी मांग के अनुसार पानी उपलब्ध होगा। इस परियोजना का लाभ गुना, मुरैना, शिवपुरी, भिंड, श्योपुर, उज्जैन, सीहोर, मंदसौर, इंदौर, देवास, आगर मालवा, शाजापुर और राजगढ़ जिलों के 3217 गांवों को मिलेगा।

केन-बेतवा लिंक परियोजना: बुंदेलखंड के लिए राहत की उम्मीद

केन-बेतवा लिंक परियोजना के तहत दौधन गांव में बांध का निर्माण किया जाएगा। केन नदी के जल को 221 किलोमीटर लंबी लिंक कैनाल के माध्यम से मार्ग में दोनों ओर सिंचाई सुविधा प्रदान की जाएगी। अतिरिक्त जल को बेतवा नदी में छोड़ा जाएगा।

इस परियोजना से प्रदेश के 8 लाख 11 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी। इसके अलावा, छतरपुर, पन्ना, दमोह, टीकमगढ़, शिवपुरी, निवाड़ी, दतिया, रायसेन, विदिशा और सागर जिलों के 2013 गांवों को लाभ मिलेगा। परियोजना से 44 लाख लोगों को पेयजल की सुविधा भी मिलेगी। जल विद्युत उत्पादन के रूप में 103 मेगावाट और सोलर ऊर्जा के रूप में 27 मेगावाट का उत्पादन भी किया जाएगा।

जागरूकता अभियान और आयोजन

अपर मुख्य सचिव डॉ. राजौरा ने बताया कि 25 दिसंबर तक जन-जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। इस अभियान के तहत ग्रामों में कलश यात्राएं और प्रभात फेरियां निकाली जाएंगी। किसान सम्मेलन, जल के महत्व को दर्शाते नुक्कड़ नाटक, भजन और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

शैक्षिक संस्थानों में जल संरक्षण और संवर्धन से संबंधित विभिन्न प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाएंगी। इन परियोजनाओं के भूमि-पूजन और शिलान्यास कार्यक्रमों का सीधा प्रसारण सभी ग्राम पंचायतों में किया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक लोग इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बन सकें।

प्रदेश की नदियों को जोड़ने की योजना

मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि राष्ट्रीय परियोजनाओं के साथ ही प्रदेश के भीतर भी नदियों को जोड़ने का काम किया जा रहा है। उज्जैन में कान्ह नदी को गंभीर नदी से जोड़ने के लिए 20 किलोमीटर लंबी डक्ट बनाई जा रही है। इसी तरह सीवरखेड़ी-सिलारखेड़ी परियोजना भी प्रारंभ की जा रही है। राज्य सरकार का लक्ष्य हर खेत तक सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध कराना है।

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