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मध्यप्रदेश: लाड़ली बहना योजना से हर महीने मिलने वाले 1250 रुपये कैसे बदल रहे हैं महिलाओं की जिंदगी– जानिए यहां!

11 दिसंबर 2024, भोपाल: मध्यप्रदेश: लाड़ली बहना योजना से हर महीने मिलने वाले 1250 रुपये कैसे बदल रहे हैं महिलाओं की जिंदगी– जानिए यहां! – मध्यप्रदेश में महिलाओं की आर्थिक मदद के लिए चल रही मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना ने एक बार फिर अपनी उपयोगिता साबित की है। योजना की 10वीं किश्त के तहत 1.29 करोड़ लाभार्थी महिलाओं के खातों में 11 दिसंबर को कुल 1572.75 करोड़ रुपये जमा किए जाएंगे।

महिलाओं की जुबानी: कैसे बदल रही है यह योजना जिंदगी

मंडीदीप की सीमा भावर ने बताया कि योजना के तहत हर महीने खाते में आने वाली राशि से छोटे-छोटे घरेलू खर्च पूरे कर लेती हैं। इसके अलावा बचत करके भविष्य के लिए पैसे जोड़ने की कोशिश करती हैं। उनका कहना है कि इस राशि ने उन्हें अचानक आने वाले खर्चों का सामना करने का आत्मविश्वास दिया है।

रायसेन के बड़ौदा गांव की गायत्री बाई ने कहा कि इस योजना से मिलने वाली राशि रिश्तेदारी में आने-जाने और जरूरतों को पूरा करने में काम आती है। उन्होंने बताया कि समय पर पैसा मिलने से वे अपनी जरूरतों का बेहतर प्रबंधन कर पाती हैं।

दैनिक जरूरतों से लेकर बचत तकहर कदम पर मददगार

रायसेन के वार्ड 4 की शिवकुमारी अहिरवार ने बताया कि उन्हें पता होता है कि हर महीने 10 तारीख को 1250 रुपये मिलेंगे, जिससे उनके घरेलू खर्चों में बड़ी मदद मिलती है। वहीं, वार्ड 7 की श्रीमती रुबीना बी का कहना है कि वे इन पैसों से घर का जरूरी सामान, सब्जी आदि खरीदने के अलावा त्योहारों पर खर्च करती हैं।

रायसेन की शीला पंथी ने बताया कि बच्चों की पढ़ाई से लेकर त्योहारों तक, इन रुपयों का उपयोग हर जरूरत में होता है। उनके पति ऑटो चलाते हैं और जब आमदनी कम होती है तो यह राशि घर खर्च में सहारा बनती है।

अर्जुन नगर की मिश्री बाई ने अपनी कहानी साझा करते हुए बताया कि उन्होंने हर महीने 500 रुपये बचाए और अब एक बड़ी राशि जोड़ ली है। इस राशि का उपयोग जरूरत के समय किया जाएगा।

पटेल नगर की रानी ने कहा कि इस योजना ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया है। ताजपुर महल की गीता बाई ने बताया कि घर के नए सामान से लेकर त्योहारों के खर्च तक में यह राशि बहुत मददगार साबित हो रही है।

गैरतगंज की माला बाई ने कहा कि उनके पति किसान हैं और खेती में नुकसान होने पर भी यह योजना परिवार को संभालने में मदद करती है। माला खुद सिलाई का काम करती हैं और यह योजना उनके परिवार के खर्चों को पूरा करने में सहायक है।

सेमरा गांव की सीमा लोधी, जिनके पति का हाल ही में देहांत हो गया, ने बताया कि वह अपने चार बच्चों का पालन-पोषण इस योजना से मिलने वाली राशि के सहारे कर रही हैं। 17 महीनों से उन्हें इस योजना का लाभ मिल रहा है, जिससे घर चलाने में सहूलियत हो रही है।

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