सोयाबीन किसानों से खरीदी में लूट
07 जनवरी 2025, भोपाल: सोयाबीन किसानों से खरीदी में लूट – देश के कुल सोयाबीन उत्पादन का लगभग आधा उत्पादन मध्यप्रदेश में होता है। मध्यप्रदेश देश में सोयाबीन उत्पादन में प्रथम स्थान पर है। किसानों के परिश्रम और किसानों के हित में शासन द्वारा की गई व्यवस्थाओं से मध्यप्रदेश इस उपलब्धि को प्राप्त कर सका है। कृषि अर्थव्यवस्था को व्यापक पैदावार से महत्वपूर्ण योगदान मिलता है। खरीफ की फसलों में सर्वाधिक बोई जाने वाली फसल सोयाबीन ही है। गत वर्ष की तुलना में प्रदेश में सोयाबीन के रकबे में लगभग 2 प्रतिशत वृद्धि हुई है। वर्तमान में प्रदेश का सोयाबीन का रकबा 66 लाख हैक्टयर से अधिक है। प्रदेश में 31 दिसम्बर तक लगभग 6.5 से 7 लाख मीट्रिक टन तक सोयाबीन का उपार्जन हो जाने का अनुमान है। परन्तु दूसरी तरफ प्रदेश में सोयाबीन की खरीदी को नेफेड के सर्वेयर पलीता लगा रहे हैं। कहीं औने-पौने दाम पर खरीदी हो रही है तो कहीं गुणवत्ता में कमी का हवाला देकर सोयाबीन से भरी ट्राली वापस की जा रही है। सर्वेयर लगभग मनमानी पर उतर आए हैं तथा खुले आम रिश्वत की मांग कर रहे जिससे तौल का नम्बर आगे लग सके। किसानों को यह लूट भारी पड़ रही है। जानकारी के मुताबिक लगभग 400 रुपए प्रति बोरा की मांग करने की जानकारी आयी है। यही कारण है कि प्रदेश में एमएसपी पर सोयाबीन खरीदी की गति धीमी है। क्योंकि सभी किसान नेफेड सर्वेयर की मांग पूरी नहीं कर पा रहे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ ने भी सोयाबीन खरीदी को लेकर एक्स पर लिखा है कि किसानों के साथ यह धोखाधड़ी है। वे सोयाबीन किसानों के समर्थन में उतर आए हैं। श्री कमलनाथ ने कहा है प्रदेश के सोयाबीन किसान भ्रष्टाचार का शिकार बन रहे हैं। सोयाबीन की सरकारी खऱीद में हर बोरे पर 400 रुपये की रिश्वत लेने के आरोप अत्यंत गंभीर हैं। इसी भ्रष्टाचार का नतीजा है कि प्रदेश में तय सीमा से आधा सोयाबीन ही रूस्क्क पर खऱीदा जा सका है। मध्य प्रदेश के किसान के दर्द को इसी बात से समझा जा सकता है कि कभी तो उसे सही समय पर खाद नहीं मिलता, उसके बाद नक़ली बीज उसे परेशान करते हैं और जब फ़सल बेचने की बारी आती है तो रिश्वतख़ोरी और भ्रष्टाचार से उसकी मेहनत की कमाई पर डाका डाला जाता है।
इधर प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव निर्देश दे रहे हैं कि किसानों को सोयाबीन भुगतान में परेशानी नहीं होना चाहिए, जबकि फसल तुलाने में किसानों को पसीना आ रहा है। जेब खाली हो रही है तो अलग। सरकार का कहना है मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर किसानों से उपार्जित सोयाबीन के लिए राशि का भुगतान बिना कठिनाई के किया जा रहा है। सोयाबीन के भण्डारण और उपार्जित सोयाबीन की सुरक्षा के प्रबंध भी किए गए हैं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव के निर्देश हैं कि किसानों को उपार्जन की आधुनिक व्यवस्थाओं का लाभ दिलवाया जाए। प्रदेश में पहली बार सोयाबीन का समर्थन मूल्य पर उपार्जन किया जा रहा है। ई-उपार्जन पोर्टल का उपयोग भी किया जा रहा है। किसानों को ऑन लाइन राशि के भुगतान की व्यवस्था की गई है।
सरकारी आकड़ो के मुताबिक प्रदेश में लगभग दो लाख किसानों को 1957.1 करोड़ रूपए की राशि का भुगतान उपार्जन के रूप में अब तक किया जा चुका है। प्रदेश में भुगतान का प्रतिशत 70.41 है। राशि के भुगतान में नीमच जिला अग्रणी है, जहां शत-प्रतिशत किसानों को राशि दी जा चुकी है। नीमच सहित विदिशा,राजगढ़, नर्मदापुरम, आगर मालवा, शहडोल, अनूपपुर, जबलपुर, उमरिया और खरगौन ऐसे दस शीर्ष जिलों में शामिल हैं, जहां 75 प्रतिशत से अधिक किसानों को राशि का भुगतान किया जा चुका है। अब जमीनी हकीकत और सरकारी आकड़ों में विरोधाभास क्यों है, इसका जवाब किसी भी जिम्मेदार अधिकारी के पास नहीं है।
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