राज्य कृषि समाचार (State News)

सफेद दूध से रंगीन होती जिंदगी

(प्रकाश दुबे, 9826210198)

मंदसौर। दूध एवं उससे निर्मित पदार्थों का शहरी हो या ग्रामीण प्राय: सभी आयु वर्ग के मनुष्य जीवन से गहरा नाता है। देश में दुग्ध उत्पादन की बढ़ती खपत के कारण यह व्यवसाय आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का साधन है। जिले के युवा कृषक श्री नवीन व्यास पिता श्री विनोद व्यास ने इंदौर में उच्च पढ़ाई उपरांत इस कार्य को व्यवसाय की तरह अपनाया। नतीजा यह हुआ कि गांव में प्रतिदिन 600 लीटर दूध का उत्पादन होने लगा। श्री नवीन के दादा जी श्री कंवर लाल व्यास ग्राम के पहले दूध व्यवसायी हैं। 70 वर्षीय श्री व्यास दुधारू पशुओं नस्ल देखने दूर दराज तक भी जाते हैं। युवा उद्यमी नवीन ने दादा जी के 35 वर्ष पुराने पुश्तैनी दुग्ध व्यवसाय की बागडोर पिछले दो वर्षों से निजी डेयरी प्रारंभ कर संभाली। प्रारंभ में 10-12 लीटर दूध किसानों से क्रय कर समीप ग्राम गर्रावद में स्थापित सांची दुग्ध शीत केंद्र को विक्रय किया। धीरे-धीरे स्वयं की जर्सी गाय खरीदी एवं गांव में दुग्ध उत्पादन में मुनाफे से इस व्यवसाय को गति मिली। वर्तमान में आपके पास 10 गायों से लगभग 50 लीटर एवं ग्रामीणों से 300 लीटर दूध एकत्र होता है। जिसमें ग्राम गर्रावद शीत केंद्र में विक्रय करते हैं। (ग्राम के अन्य कृषक 300 लीटर दूध अपने स्तर पर विक्रय करते हैं।) गाय का दूध 30 से 35 रू. प्रति ली. एवं भैंस का 45 से 50 रू. प्रति लीटर दाम स्थानीय किसानों को मिलने लगा। श्री व्यास स्वयं के वाहन से प्रतिदिन सुबह 5 बजे इस कार्य में जुट जाते हैं। किसानों से क्रय दूध की राशि का 11वें दिन नगद भुगतान करते हैं। इनके इस व्यवसाय से ग्राम में दूध के भाव अच्छे मिलने लगे। तो और अधिक पशुपालन के प्रति जागरूकता लाने के लिये पशुचिकित्सक की सेवाएं भी उपलब्ध कराई। पशु आहार एवं अन्य सुविधा से प्रतिदिन दुधारू पशुओं की संख्या में वृद्धि हो रही है। ग्राम में लगभग 650 लीटर दूध का प्रतिदिन उत्पादन हो रहा है। इससे प्रभावित गा्रम के युवा भी पशुपालन के प्रति जागरूक हो रहे हैं। 1200 की आबादी का यह ग्राम दूध उत्पादन के कारण रोजगार पैदा कर रहा है। श्री नवीन व्यास अपने इस व्यवसाय से प्रति माह 15 से 20 हजाररूपये का लाभ कमाते हैं। कृषक जगत के पाठक आपसे मो.नं. 9713200384 पर संपर्क कर सकते हैं।

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