राज्य कृषि समाचार (State News)किसानों की सफलता की कहानी (Farmer Success Story)

कम पानी, कम खर्च, लाखों की कमाई: बीजापुर के किसान आजमा रहे पाम ऑयल खेती

28 जून 2025, रायपुर: कम पानी, कम खर्च, लाखों की कमाई: बीजापुर के किसान आजमा रहे पाम ऑयल खेती – छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के किसानों ने पारंपरिक खेती के मुकाबले बेहतर मुनाफे के विकल्प की तलाश में पाम ऑयल (तेल पाम) की ओर कदम बढ़ाया है। जिले के ग्राम रेड्डी में 9 जून को पाम ऑयल पौधारोपण की शुरुआत हुई, जिससे स्थानीय किसान अब उम्मीद कर रहे हैं कि उनकी मेहनत का फल लंबे समय में लाखों की कमाई के रूप में मिलेगा।

रतनैया और संजय के खेत में लगे 286 पाम ऑयल के पौधे

ग्राम रेड्डी के किसान रतनैया मरकाम और संजय हेमला ने अपने खेतों में कुल 286 पाम ऑयल पौधे लगाए हैं। पौधारोपण का यह काम भारत सरकार की ‘नेशनल मिशन ऑन एडीबल ऑयल–ऑयल पाम’ योजना के तहत किया गया है, जिसमें राज्य उद्यान विभाग की भी भूमिका है। इस मौके पर हैदराबाद की प्रियूनिक एशिया प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर डॉ. प्रसाद राव पासम, सहायक संचालक रामचंद्र राव और स्थानीय किसान मौजूद रहे।

Advertisement
Advertisement

पाम ऑयल एक दीर्घकालिक फसल है, जो एक बार लगने के बाद 30 साल तक उत्पादन देती है। विशेषज्ञों के अनुसार, एक हेक्टेयर भूमि से सालाना 3 से 4 लाख रुपये तक की आमदनी संभव है, बशर्ते सिंचाई और रखरखाव की व्यवस्था सही हो।

शुरुआती सालों में पाम के साथ दूसरी फसल की भी छूट

पाम के पौधे बड़े होने में समय लेते हैं, इसलिए पहले दो–तीन वर्षों तक किसान बीच की जगह में दूसरी फसलें भी ले सकते हैं। इससे अतिरिक्त आमदनी का रास्ता खुलता है और जमीन की उपजाऊ क्षमता का भी पूरा उपयोग होता है।

Advertisement8
Advertisement

योजना के तहत किसानों को पौधों के अलावा सिंचाई साधन जैसे बोरवेल, बिजली पंप, और फेंसिंग के लिए भी वित्तीय सहायता दी जा रही है। हालाँकि, योजना की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि किसानों को तकनीकी जानकारी, बाजार तक पहुँच और समय पर सहायता मिलती है या नहीं।

Advertisement8
Advertisement

बीजापुर के कई गांवों में किसानों को इस योजना की जानकारी दी जा रही है। इच्छुक किसान जिले के उद्यान रोपणी कार्यालय—बैदरगुड़ा, पामलवाया, गौराबेड़ा, उसूर और पेगड़ापल्ली में संपर्क कर सकते हैं।

लंबी अवधि की खेती, लेकिन उम्मीदें मजबूत

तेल पाम की खेती से तुरंत फायदा नहीं होता, लेकिन जिन किसानों के पास भूमि है और लंबा इंतजार करने का धैर्य है, उनके लिए यह विकल्प आर्थिक रूप से फायदे का सौदा हो सकता है।

बीजापुर के किसानों की यह पहल दिखाती है कि अब गांवों में भी खेती को लेकर सोच बदल रही है—जहां परंपरा के साथ-साथ लाभ को भी महत्व दिया जा रहा है।

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

Advertisement8
Advertisement

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisements
Advertisement5
Advertisement