राज्य कृषि समाचार (State News)फसल की खेती (Crop Cultivation)

छत्तीसगढ़ के सुकमा में धान की फसल पर पत्ती मोड़क कीट का हमला, कृषि वैज्ञानिकों ने दिए प्रभावी उपचार के सुझाव

23 अगस्त 2024, रायपुर: छत्तीसगढ़ के सुकमा में धान की फसल पर पत्ती मोड़क कीट का हमला, कृषि वैज्ञानिकों ने दिए प्रभावी उपचार के सुझाव – छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के धान के खेतों में पत्ती मोड़क कीट (जिसे चितरी या सोरटी भी कहा जाता है) का प्रकोप देखा गया है, जिससे किसानों में चिंता बढ़ गई है। इस कीट की इल्ली अवस्था फसल को नुकसान पहुंचाती है इस कीट की इल्ली अपने लार द्वारा पत्ती की नोंक को या पत्तियों के दोनों सिरो को चिपका लेती है इस तरह इल्ली इसके अंदर रहकर पत्तियों के हरे भाग (क्लोरोफिल) को खुरच खुरच कर खा जाती है जिसके कारण पत्तियों पर सफेद धारियां दिखाई देती है, जिसकी वजह से पत्तियों में भोजन बनाने  की प्रकिया नहीं हो पाती है। कीट द्वारा ग्रसित पत्तियाँ बाद में सुखकर मुरझा जाती हैं व फसल की बढवार भी रूक जाती हैं।

कृषि विज्ञान केंद्र, सुकमा के कृषि वैज्ञानिकों ने जिले के विभिन्न गांवों का दौरा कर इस समस्या की पहचान की और किसानों को इसे नियंत्रित करने के उपाय बताए। उन्होंने किसानों को खेतों और मेड़ों को खरपतवार मुक्त रखने, संतुलित पोषक तत्वों का उपयोग करने, और पक्षियों के बैठने के लिए टी-आकार की मीनारें लगाने की सलाह दी। रात्रि चर कीट को पकड़ने के लिए प्रकाश प्रंपच या लाइट ट्रैप खेतो में लगाए। अण्डे या इल्ली दिखाई देने पर उसे इकट्ठा करके नष्ट करें। कीट से प्रभावित खेतों में रस्सी चलाएं।

कृषि वैज्ञनिकों ने बताया कि बारिश रुकने व मौसम खुला होने पर कोई एक कीटनाशक का स्प्रे काराये। क्लोरोपायरीफास 20 ई.सी. 1250 मि.ली. प्रति हेक्टेयर  या कर्टाफ हाइड्रोक्लोराइड 50रू एस.पी. 1000 ग्राम प्रति हेक्टेयर या क्लोरेटानिलिप्रोएल 18.5 एस.सी. 150 ग्राम प्रति हेक्टेयर या इंडोक्साकार्ब 15.80 प्रतिशत ई.सी.200 मि.ली. प्रति हेक्टेयर का उपयोग करके प्रभावी नियंत्रण कर सकते हैं, ठीक न होने पर 15 दिन बाद दूसरे कीटनाशक का छिडकाव करें।

किसानों को अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अधिकारियों से संपर्क करने के लिए भी कहा गया है ताकि कीटनाशकों का सही और प्रभावी उपयोग सुनिश्चित हो सके।

इस समय पर दिए गए सुझावों का पालन कर किसान अपनी फसल को इस कीट के प्रकोप से बचा सकते हैं और बेहतर उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।

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