पंजाब की शान: काबुली चने की पीबीजी 7 किस्म की खासियत
सस्ती खेती, बढ़िया मुनाफा: काबुली चने की पीबीजी 7 किस्म
07 जनवरी 2025, नई दिल्ली: पंजाब की शान: काबुली चने की पीबीजी 7 किस्म की खासियत – काबुली चना (Chickpea) एक प्रमुख दलहन फसल है, जो न केवल प्रोटीन से भरपूर है, बल्कि इसकी खेती किसानों के लिए लाभकारी भी है। इस फसल की मांग घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बढ़ती जा रही है, खासकर स्वास्थ्य के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं के बीच। आइए जानते हैं काबुली चने की खेती की प्रमुख बातें और इसकी विशेषताएं।
पीबीजी 7: उच्च उपज और गुणवत्ता
काबुली चने की पीबीजी 7 किस्म पंजाब राज्य के लिए उपयुक्त मानी जाती है। इसकी खेती सिंचित क्षेत्रों में सफलतापूर्वक की जा सकती है। यह किस्म 6.5 से 8.0 क्विंटल प्रति एकड़ तक उपज देती है और इसकी प्रोटीन सामग्री 20-22% होती है, जो इसे पोषण और स्वास्थ्य के लिहाज से बेहतरीन बनाती है।
खेती से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां
किस्म : पीबीजी 7
क्र. | विवरण | विवरण |
1 | क्षेत्र के लिए किस्म की उपयुक्तता – कृषि-जलवायु क्षेत्र | सम्पूर्ण पंजाब राज्य में सिंचित स्थिति |
2 | क्षेत्र का चयन/भूमि की तैयारी | अच्छी जल निकासी वाली हल्की से मध्यम बनावट वाली मिट्टी अनुकूल होती है। भूमि को ढेले और खरपतवार से मुक्त रखें। |
3 | बीज उपचार (अनुशंसित रसायन खुराक के साथ) | मेसोरहिजोबियम + राइजोबैक्टेरियम कल्चर के साथ बीज का टीकाकरण @ एक पैकेट प्रति एकड़ बीज-कैप्टान 3 ग्राम या बाविस्टान 2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज पर झुलसा और उकठा रोग के विरुद्ध, रोवराल 2.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज पर बीजीएम – राइजोबियम और कवकनाशी के विरुद्ध एक साथ प्रयोग किया जा सकता है।दीमक : बुवाई से पहले बीज को क्लोरपाइरीफॉस 20 EC @ 10 मिली/किग्रा बीज से उपचारित करें। 180 मिली कीटनाशक को आधा लीटर पानी में घोलकर इस्तेमाल करें। बुवाई से पहले बीज को छाया में सुखाएं। |
4 | बुवाई का समय | 25 अक्टूबर से 10 नवंबर |
5 | बीज दर/बुवाई विधि, पंक्ति से पंक्ति तथा पौधे से पौधे की दूरी के साथ पंक्तिबद्ध बुआई/सीधी बुआई | 15-18 किग्रा प्रति एकड़; बीज ड्रिलअंतराल: 30 x 10 सेमीचावल की कटाई के बाद, विशेष रूप से भारी बनावट वाली मिट्टी में, फसल को उभरे हुए बीजों में बोएं (67.5 सेमी चौड़ी उभरी हुई क्यारी पर 2 पंक्तियां) |
6 | उर्वरक की खुराक समय के साथ | 6 किग्रा एन (13 किग्रा यूरिया), 8 किग्रा पी 2 ओ 5 (50 किग्रा एसएसपी) – बुवाई के समय सभी उर्वरकों को डालें |
7 | खरपतवार नियंत्रण – खुराक और समय के साथ रसायन | -बुवाई के 30 और 60 दिन बाद दो बार गुड़ाई करें।- ट्रेफ्लान 48 ईसी @ 1.0 लीटर/एकड़ का पौधा-पूर्व प्रयोग।बुवाई के बाद पाटा न लगाएं।- उगने से पहले (बुवाई के दो दिन के अंदर) स्टॉम्प 30 ई.सी. @ 1.0 लीटर/एकड़ का छिड़काव करें। 150-200 लीटर पानी/एकड़ का प्रयोग करें |
8 | रोग और कीट नियंत्रण – खुराक और समय के साथ रसायन | एस्कोकाइटा ब्लाइट : रोग के दिखने पर 100 मिली/एकड़ प्रोपिकोनाज़ोल 25 ईसी का 3-5 छिड़काव 10 दिनों के अंतराल पर या इंडोफिल एम-45 या कवच का 360 ग्राम/एकड़ 100 लीटर पानी में मिलाकर 15 दिनों के अंतराल पर करें।- बोट्राइटिस ग्रे मोल्ड: इंडोफिल एम-45 का एक स्प्रेरोग दिखने पर @350 ग्राम/एकड़ या बेयटन/बेयलेटन @200 ग्राम प्रति एकड़ 100-120 लीटर पानी में घोलेंचने की फली छेदक: स्पिनोसेड 45 एससी @ 60 मिली/एकड़ या इंडोक्साकार्ब 14.5 एससी @ 200 मिली/एकड़ या डेसिस 2.8 ईसी (डेल्टामेथ्रिन) @ 160 मिली/एकड़ 80-100 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ फली बनते समय छिड़काव करें तथा यदि आवश्यक हो तो दो सप्ताह बाद दोहराएं। |
9 | सिंचाई कार्यक्रम | फसल को रौनी सिंचाई के बाद बोएं। बुवाई की तिथि और वर्षा के आधार पर मध्य दिसंबर और मध्य जनवरी के बीच एक सिंचाई करें। यदि फसल चावल के बाद बोई गई है, तो सिंचाई न करें, खासकर भारी मिट्टी पर, जैसे कि समतल बुवाई। यदि फसल को ऊँची क्यारियों पर बोया गया है, तो ऐसी मिट्टी पर सिंचाई की जा सकती है। |
10 | फसल काटने वाले | फसल की कटाई तब करें जब फलियाँ पक जाएं (लगभग 159 दिन) |
11 | किस्म की गुणवत्ता विशेषताएँ, यदि कोई हो | प्रोटीन सामग्री 20-22% |
12 | किस्म की अपेक्षित उपज | 6.5 से 8.0 क्विंटल/एकड़ |
काबुली चने की उन्नत खेती किसानों की आय बढ़ाने का एक शानदार जरिया बन सकती है। इसकी उचित देखभाल, सिंचाई और रोग नियंत्रण से बेहतर उपज प्राप्त की जा सकती है। इस फसल को अपनाकर किसान आर्थिक रूप से सशक्त बन सकते हैं।
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