राज्य कृषि समाचार (State News)

मध्यप्रदेश में लाखों महिलाएँ बन रही हैं सुपोषण की ताकत, 73 लाख से अधिक को मिल रहा लाभ

04 अक्टूबर 2024, भोपाल: मध्यप्रदेश में लाखों महिलाएँ बन रही हैं सुपोषण की ताकत, 73 लाख से अधिक को मिल रहा लाभ –  मध्यप्रदेश में 97 हजार से अधिक आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से 73 लाख से अधिक हितग्राहियों को नियमित पोषण सेवाएँ मिल रही हैं। इन सेवाओं का लाभ बच्चों, गर्भवती और धात्री माताओं को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 के तहत मिल रहा है। आंगनवाड़ी केंद्रों में 6 माह से 6 साल तक के बच्चों, गंभीर कुपोषित बच्चों, गर्भवती महिलाओं और किशोरियों को प्रोटीन और कैलोरी की निर्धारित मात्रा दी जाती है।

पोषण ट्रैकर एप से मॉनिटरिंग

मध्यप्रदेश में पोषण ट्रैकर एप के जरिए आंगनवाड़ी केंद्रों पर आने वाले बच्चों और महिलाओं की उपस्थिति और उनके पोषण स्तर की निगरानी की जा रही है। यह एप रियल-टाइम डेटा रिकॉर्ड करता है, जिससे पूरक पोषण आहार की मांग और उपलब्धता सुनिश्चित होती है। एप के जरिए प्राप्त आँकड़ों का सटीक विश्लेषण किया जाता है, जिससे सेवाओं में सुधार हो रहा है।

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गोल्डन डेज़ के तहत विशेष ध्यान

शिशु के जीवन के पहले 1000 दिन, जिन्हें ‘गोल्डन डेज़’ कहा जाता है, पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। गर्भावस्था से लेकर शिशु के 2 वर्ष की उम्र तक के इस समय को महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस दौरान बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास तेजी से होता है। महिला-बाल विकास विभाग इस दौरान सही पोषण उपलब्ध कराकर बच्चों के समग्र विकास को बढ़ावा दे रहा है।

ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में अलग-अलग व्यवस्थाएँ

ग्रामीण क्षेत्रों में 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों को आंगनवाड़ी केंद्रों में नाश्ता और दोपहर का भोजन दिया जाता है, जबकि शहरी क्षेत्रों में स्व-सहायता समूहों के माध्यम से ताजा पका हुआ भोजन उपलब्ध कराया जाता है। टेक होम राशन और ताजे पके भोजन से बच्चों को सुपोषित रखने की दिशा में सरकार की यह पहल लगातार प्रभावी हो रही है।

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