राज्य कृषि समाचार (State News)

उर्वरकों की कमी या वितरण में लापरवाही

22 अक्टूबर 2024, भोपाल: उर्वरकों की कमी या वितरण में लापरवाही – मानसून का मौसम समाप्त हो गया है और किसान रबी की फसलों की बोवनी की तैयारी कर रहे हैं। इस समय खाद और बीज की व्यवस्था करना किसानों की पहली प्राथमिकता रहती है। इस बीच खबरें आ रही हैं कि खाद के लिए किसान काफी परेशान हो रहे हैं। भोपाल में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता श्री दिग्विजय सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री जीतू पटवारी ने मध्यप्रदेश सरकार पर आरोप लगाए हैं कि किसान हितैषी होने का दावा करने वाली राज्य सरकार किसानों को खाद और गुणवत्ता वाले बीजों की आपूर्ति करने में बुरी तरह असफल हो रही है। किसान डीएपी की मांग कर रहे हैं लेकिन उन्हें एनपीके उर्वरक दिया जा रहा है। किसानों को नगद खाद लेने के लिए भी मजबूर किया जा रहा है। नेता द्वय ने मांग की है कि किसानों को समय पर उनकी मांग के अनुसार पर्याप्त मात्रा में खाद और उत्तम गुणवत्ता के बीज उपलब्ध कराए जाएं। इसके लिए अधिकारियों को केंद्र सरकार से सतत संपर्क में रहने और शीघ्र ही पर्याप्त मात्रा में खाद-बीज की उपलब्धता सुनिश्चित करने की भी मांग की गई है।

हाल ही में खबरें आई थीं कि मुरैना, नर्मदापुरम, बैतूल, छिंदवाड़ा, छतरपुर सहित अनेक जिलों में खाद का गंभीर संकट है। अनेक जिलों में किसानों की खाद के लिए लंबी कतारें तक लगी हुई हैं। सरकार ने सभी जिलों के कलेक्टरों को निर्देश जारी कर खाद की कमी को पूरा करने और वितरण की समुचित व्यवस्था करने के निर्देश जारी किए हैं। इस बीच राज्य के कृषि मंत्री श्री एदल सिंह कंषाना ने दावा किया है कि राज्य में खाद की कोई कमी नहीं है। कृषि मंत्री ने यह भी दावा किया है कि फसलों के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की आवश्यकता होती है लेकिन डीएपी से केवल नाइट्रोजन और फास्फोरस की ही पूर्ति होती है जबकि एनपीके से तीनों तत्वों अर्थात् नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की पूर्ति हो जाती है। श्री कंषाना कहते हैं कि कृषि वैज्ञानिक भी डीएपी के स्थान पर एनपीके का उपयोग करने की सलाह दे रहे हैं। कृषि मंत्री ने यह भी दावा किया है कि खरीफ के मौसम में किसानों को 33.69 लाख मैट्रिक टन उर्वरकों की आपूर्ति की गई थी जबकि मांग 32.62 लाख मैट्रिक टन की थी। उन्होंने बताया कि चालू रबी के मौसम में 1 से 18 अक्टूबर 2024 तक 19 लाख मैट्रिक टन उर्वरक उपलब्ध करा दिया गया है। इसमें 7.74 लाख मैट्रिक टन यूरिया, 5.21 लाख मैट्रिक डीएपी और 6.05 लाख मैट्रिक टन एसएसपी शामिल है। कृषि मंत्री ने यह नहीं बताया कि राज्य में रबी के मौसम में कितनी मात्रा में उर्वरकों की जरूरत है। उन्होंने उर्वरकों की कालाबाजारी और नकली उर्वरकों के मामलों में कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है। उन्होंने केंद्र सरकार से लगातार संपर्क में रहने तथा शीघ्र ही उर्वरकों की आपूर्ति करने की बात भी कही है।

खाद की कमी और वितरण में लापरवाही/अनियमिता के चलते किसान हर साल परेशान होते हैं। उन्हें लंबी-लंबी कतारों में रात-रात भर खड़ा रहना पड़ता है। इसके बाद भी आवश्यकता के अनुरूप खाद नहीं मिल पाता है। ऐसा लगता है कि केंद्र और राज्य सरकारें पिछले वर्षों में हो रही खाद की कमी से कोई भी सबक नहीं ले रही है। इसका परिणाम यह होता है कि हर साल किसानों को खरीफ और रबी के मौसम में खाद की कमी से जूझना पड़ता है।

खाद की कमी की समस्या स्थायी हो गई है। ऐसी स्थिति में किसानों को भी वैकल्पिक व्यवस्था तलाशनी होगी। किसान अपने संसाधन से जैविक खाद बना सकते हैं। फिलहाल जैविक खाद बनाने वाले किसानों की संख्या काफी कम है इसलिए उन्हें रासायनिक उर्वरकों पर ही निर्भर रहना पड़ता है। यदि किसान अपने खेत में ही जैविक खाद बनाने लग जाएंगे तो निश्चित ही रासायनिक उर्वरकों की कम आवश्यकता होगी। हालांकि सरकार जैविक खाद के निर्माण और जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है लेकिन इसके परिणाम आने में काफी समय लगेगा। इसलिए किसानों को भी चाहिए कि वे खाद के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बने जिससे उन्हें आर्थिक रूप से भी लाभ होगा।

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