खरीफ फसलों में समन्वित पौध पोषण तकनीक
लेखक – डॉ. ऋषिकेश तिवारी, डॉ. बीरेन्द्र स्वरूप द्विवेदी, जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर
08 जुलाई 2024, भोपाल: खरीफ फसलों में समन्वित पौध पोषण तकनीक –
पोषक तत्व प्रबंधन
फसल उत्पादन पूर्व मृदा जांच:- खेतों में फसल उत्पादन के पूर्व मृदा जांच अवश्य करें। मृदा परीक्षण के परिणाम मुख्यत: तीन रूपों में दिया जाता है- कम, मध्यम एवं अधिक। यदि मृदा जांच परिणाम कम आता है तो सिफारिश मात्रा में 25 प्रतिशत अधिक तत्व देने की आवश्यकता पड़ती है। यदि मृदा जांच मध्यम आती है, तब केवल सिफारिश मात्रा में ही पोषक तत्वों को दिया जाता है तथा यदि मृदा जांच का परिणाम अधिक में आता है तो सिफारिश मात्रा में से 25त्न तत्व की मात्रा कम करके दिया जाये।
संतुलित मात्रा में पोषक तत्वों का उपयोग:- खेती की उपजाऊ क्षमता को चिरस्थयी बनाये रखने व भरपूर पैदावार लेने के लिए संतुलित मात्रा में पोषक तत्वों का उपयोग किया जाये। जैसे – धान्य वाली फसलों में 4:2:1, तिलहनी फसलों में 3:2:1, दलहनी फसलों में 2:6:1, तथा सब्जियों में 2:1:1, के अनुपात में नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटाष का उपयोग किया जाना चाहिए।
फसल उत्पादन में कार्बनिक पदार्थों का समावेश:- इसके उपयोग से भूमि में मुख्य पोषक तत्व के साथ – साथ सूक्ष्म पोषक तत्व भी फसल को प्राप्त होते हैं, तथा भूमि में जलवायु, पोषक तत्व धारण क्षमता मे वृद्वि होती है तथा भूमि में लाभकारी सूक्ष्म जीवों की संख्या में वृद्वि होती है।
खाद, उर्वरकों का सही समय:- कार्बनिक पदार्थ, फास्फोरस व पोटाश की पूरी मात्रा तथा नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई के पहले उपयोग करें तथा नाइट्रोजन की शेष आधी मात्रा को बुवाई के 25-30 दिन उपरान्त छिड़क कर देें। इससे पोषक तत्वों का पूरा-पूरा उपयोग किया जा सकता है। ध्यान रहें कि उर्वरक प्रयोग करते समय खेत में पर्याप्त नमीं हो।
रासायनिक उर्वरक उपयोग विधि:- रासायनिक उर्वरकों को जड़ों के पास में दें। बुवाई के समय रासायनिक उर्वरकों को बीज से 3-5 सेंमी. की गहराई पर दें। इसके लिए दुफन, नारी हल अथवा सीडड्रिल का उपयोग करें, जिससे उर्वरक बीज से नीचे गिरता है।
जैविक उर्वरकों की उपयोग विधि और समय
जैविक खाद:– जैविक खाद के अंतर्गत गोबर खाद, कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट, हरी खाद, बायो गैस स्लरी के अतिरिक्त जंतु एवं वनस्पति के मरने के उपरान्त सड़े पदार्थ एवं सूक्ष्म जैव उर्वरक आते हैं।
उपयोग विधि एवं समय:- गोबर खाद, कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट, हरी खाद, हड्डी का चूरा एवं बायो गैस स्लरी आदि को भूमि में अंतिम जुताई पूर्व अच्छी तरह मिलाकर जुताई करके हल्की सिंचाई करें। यह कार्य बुवाई के लगभग 1 माह पूर्व कर लें। जिससे पोषक तत्व पौधे के लिए समय पर उपलब्ध अवस्था में परिवर्तित हो सकें। कार्बनिक अच्छी तरह सड़ी हो, नहीं तो दीमक एवं खरपतवार की समस्या बढ़ सकती है।
सूक्ष्म जैव उर्वरक ( कल्चर ):- सूक्ष्म जैव उर्वरक के अंतर्गत नील हरित काई, एजोटोबैक्टर, एजोस्पाइरिलम, स्फुर घोलक जीवाणु, एसीटोबैक्टर, राइजोबियम इत्यादि हैं।
कल्चर प्रयोग विधि
बीजोपचार:- 3-5 ग्राम कल्चर को प्रति किलो के हिसाब से उपयोग करें। उपचारित करने के लिए बीज को पहले शक्कर व गुड़ के मिश्रण से तैयार घोल से हल्के से नम करें तथा इसके पश्चात कल्चर को बीज के उपर छिड़क कर साफ हाथों से मिश्रित करके छाये में सुखाकर बोआई करें।
जड़ डुबावन विधि:– लगभग 1 किलो ग्राम कल्चर को 10-20 लीटर पानी में घोल कर रोपाई के समय जड़ को घोल में डुबोकर रोपाई करें।
भूमि उपचार:- लगभग 1-3 किलोग्राम कल्चर केा लगभग 50 किलो गोबर खाद में समान रूप से मिलाकर प्रति एकड़ की दर से बुवाई पूर्व छिड़कें।
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