Indore: ग्रीन फील्ड कॉरिडोर के खिलाफ किसानो का बड़ा प्रदर्शन, भावंतरयोजना से नाखुश किसान
10 अक्टूबर 2025, इंदौर: Indore: ग्रीन फील्ड कॉरिडोर के खिलाफ किसानो का बड़ा प्रदर्शन, भावंतर योजना से नाखुश किसान – इंदौर से उज्जैन के बीच बन रहे ग्रीन फ़ील्ड
कॉरिडोर को शासन ने सिंहस्थ के मद्देनजर मंजूरी दी है। किसान इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे है।
इसमें 28 गांवों की जमीनें अधिगृहित की जा रही है। जिसमें सांवेर और हातोद तहसील के 20 गांव है। बाकी गांव उज्जैन जिले के है।
ग्रामीणों व किसानों ने इंदौर के पास बनाए जा रहे इस ग्रीन फील्ड कॉरिडोर का विरोध शुरू कर दिया है। किसानों ने बुधवार को हातोद से इंदौर तक ट्रैक्टर रैली निकाली। हजारो की संख्या में किसान ट्रैक्टरों पर सवार होकर गांधी नगर, सुपर कॉरिडोर, नावदा पंथ के साथ सिरपुर पहुंच रहे है। यहां टैक्टरों को खड़ा कर कलेक्टर कार्यालय तक पैदल मार्च निकलने की तैयारी थी।
ट्रैक्टर की शहर में इंट्री न मिलने से किसान नाराज हुए हैं। दरअसल किसान शहर के भीतर ट्रैक्टर के साथ प्रवेश करना चाहते थे, लेकिन प्रशासन की अनुमति न मिलने के बाद उन्होंने मजबूरी में ट्रैक्टर को सिरपुर तालाब के पास पार्किंग में खड़ा किया है। इससे प्रदर्शनकारी किसान नाराज होकर वही सड़क पर चक्काजाम कर दिया। एसडीएम रोशन रॉय व अन्य अफसर कुछ देर बाद किसानो से ज्ञापन लेने सिरपुर पहुंचे। उन्होंने किसानों से बात करी, किसानों को कहना था कि अधिगृहण के बदले पर्याप्त मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। किसानों ने भाजपा और कांग्रेस के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शन के कारण धार रोड पर दो घंटे तक यातायात भी प्रभावित रहा।
यह सड़क हातोद से कांकरिया,अजदोन, चंद्रावती गंज होते हुए उज्जैन में चिंतामण गणेश मंदिर वाले क्षेत्र से निकलेगी।
किसानो का कहना है कि इससे कृषि योग्य उपजाऊ भूमि का रकबा कम होगा। दरअसल, परियोजना के लिए 188 हेक्टेयर उपजाऊ जमीन अधिग्रहीत की जा रही है। इससे सांवेर और हातोद तहसीलों के करीब 20 गांव तथा उज्जैन जिले के आठ गांव प्रभावित हो रहे हैं।
किसान नेताओं ने कहा कि सरकार ने इस योजना के लिए सर्वे व आकलन का काम नहीं किया है। इस योजना के तहत किसानों की बहुमुल्य भूमि सड़क निर्माण में चली जाएगी। यही कारण है कि किसान संगठित होकर इसका विरोध कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि योजना सिंहस्थ महाकुंभ के लिए बनाई जा रही है, लेकिन जब उज्जैन जाने के लिए पहले से ही कई मार्ग हैं तो उन्हें चौड़ा कर यह उद्देश्य पूरा किया जा सकता है और कृषि योग्य जमीन भी बच जाएगी।
भावांतर भुगतान योजना से नाखुश किसान
भावांतर भुगतान योजना का विरोध करते हुए किसान सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सोयाबीन खरीदने की मांग कर रहे हैं। किसानों का आरोप है कि सरकार लगातार नीतियों और योजनाओं को लेकर हमारी अनदेखी कर रही है। उनका कहना है कि “सरकार योजनाएं तो बना देती है, लेकिन अन्नदाता की स्थिति को समझने की कोशिश नहीं करती। जिसकी वजह से हमें काफी परेशानियों का सामनाकरना पड़ता है।
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