शाजापुर जिले में 52 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में उद्यानिकी का रकबा
24 अक्टूबर 2024, शाजापुर: शाजापुर जिले में 52 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में उद्यानिकी का रकबा – शाजापुर जिले में उद्यानिकी फसलों को किसानों द्वारा प्राथमिकता दी जा रही है। यहां 52 हजार 822 हेक्टेयर क्षेत्र में उद्यानिकी फसलें लगाई जा रही हैं, जिससे 10 लाख 33 हजार 180 मैट्रिक टन का उत्पादन प्राप्त हो रहा है।
उपसंचालक उद्यानिकी श्री मनीष चौहान ने विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि जिले में प्याज, आलू, संतरा, लहसुन एवं धनिया फसल प्रमुखता से उगाई जाती है। शाजापुर जिले के किसान प्याज, आलू एवं संतरा फसल को स्थानीय मंडियों के साथ-साथ इन्दौर, दिल्ली, कानपुर, जयपुर में बिक्री के साथ ही बांग्लादेश एवं नेपाल में भी निर्यात करते हैं। जिले में 5000 हेक्टेयर क्षेत्रफल में PDMC योजना अंतर्गत अनुदान सहायता पर प्रदाय मिनी स्प्रिंकलर एवं ड्रिप संयंत्रों से कृषक उद्यानिकी की खेती कर रहे है, जिससे उत्पाद की गुणवत्ता एवं उत्पादन में काफी सुधार हुआ है। इसके साथ ही जिले में वर्षा जल को संरक्षित करने हेतु राष्ट्रीय कृषि विकास योजना अंतर्गत 50 प्रतिशत अनुदान सहायता एवं स्वयं के व्यय से लगभग 434 प्लास्टिक लाइनिंग ऑफ फॉर्म पौंड निर्मित है, जिससे लगभग 1800 हेक्टर उद्यानिकी फसलों के क्षेत्रफल में पर्याप्त सिंचाई सुविधा विकसित हुई है। इसी क्रम में जिले में विभागीय 50 प्रतिशत अनुदान पर 495 प्याज भंडार गृह कृषकों के यहां निर्मित हुए हैं। जिससे 24750 मैट्रिक टन क्षमता में प्याज का सुरक्षित भण्डारण बढ़ा है।
जिले के विकासखंड मो बड़ोदिया के ग्राम खोरिया ऐमा एवं आसपास के ग्रामों में 125 हेक्टेयर क्षेत्रफल में एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना, PDMC योजना एवं स्वयं कृषकों के द्वारा प्लास्टिक मल्चिंग एवं ड्रिप पद्धति से विभाग तकनीकी मार्गदर्शन द्वारा मिर्च फसल का नवीन क्लस्टर विकसित किया गया है। जिससे किसानों की आय में अतिरिक्त वृद्धि हुई है। PMFME योजना अंतर्गत जिले में मसाला उत्पाद, डेरी उत्पाद, बेकरी उत्पाद, फ्लोर मिल, कच्ची घानी तेल, पापड़ उद्योग एवं एनिमल फिड से संबंधित इकाइयां स्थापित होकर उत्पादों का उत्पादन एवं विक्रय कार्य किया जा रहा है। खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने एवं जागरूकता बाबत् विभागीय वरिष्ठ अधिकारियों एवं जिला प्रशासन के मार्गदर्शन में लगातार प्रचार-प्रसार हेतु कार्यशालाऐं, बायर सेलर मीट, कृषक संगोष्ठीयां की जा रही है। जिससे की कृषक अपनी फसल के उत्पादन के साथ-साथ प्रसंस्करण का कार्य भी करें, ताकि खेती को लाभ का धंधा बनाया जा सकें। जिले में किसानों का उद्यानिकी फसलों के प्रति आकर्षण बढ़ रहा है। हर वर्ष उद्यानिकी फसलों के रकबे में वृद्धि भी हो रही है। जिले के किसान नवीनतम एवं आधुनिक पद्धति से उद्यानिकी फसलों का उत्पादन प्राप्त कर रहे हैं।
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