फसल विविधीकरण में तिलहनी फसलों की अतिमहत्वपूर्ण भूमिका
10 अगस्त 2022, जबलपुर: फसल विविधीकरण में तिलहनी फसलों की अतिमहत्वपूर्ण भूमिका – जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय द्वारा तिलहनी फसलों को बढ़ावा देने हेतु एक दिवसीय प्रशिक्षण एवं प्रदर्शन का आयोजन, कृषि विज्ञान केन्द्र, जबलपुर के तत्वाधन में आयोजित किया गया। जिले में तिलहनी फसलों के उत्पादन एवं क्षेत्रफल में वृद्धि हेतु कृषि विज्ञान केन्द्र, जबलपुर की वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. रश्मि शुक्ला के मार्गदर्शन में समूह तिलहनी फसल प्रदर्शन के अन्तर्गत समूह तिलहन प्रदर्शन के प्रभारी डॉ. डी. के. सिंह द्वारा रामतिल की उन्नत प्रजाति जे. एन. एस. 30 का प्रदर्शन कुण्डम विकासखण्ड के ग्राम बड़खेडा व कुरगांव के 20 हेक्टेयर क्षेत्रफल में कुल 50 किसानों के खेतों पर प्रदर्शित किया गया। इस दौरान किसानों को जागरूक करने हेतु ग्राम बड़खेड़ा व कुरगांव में रामतिल उत्पादन तकनीक पर प्रशिक्षण देकर, किसानों के ज्ञान व दक्षता में बढ़ोत्तरी की गई।
प्रशिक्षण के दौरान कुल 50-50 किसानों ने भाग लिया। इस अवसर पर डॉ. डी. के. सिंह द्वारा किसानों को रामतिल की उन्नत खेती के महत्व के बारे में जानकारी दी गई। तथा डॉ. नीलू विश्वकर्मा ने फफूंदनाशी व जैविक कल्चर के उपयोग से बीज उपचार करने के फायदें व तरीकों को समझाया। डॉ. अक्षता तोमर ने तिलहनी फसलों में सल्फर के महत्व को बताया तथा डॉ. निहारिका शुक्ला ने बोनी से पहले बीजों का अंकुरण परीक्षण व उचित दूरी पर बोनी करने की बात कही।
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