गहरी जुताई का कृषि में महत्व
02 जुलाई 2024, भोपाल: गहरी जुताई का कृषि में महत्व –
गर्मियों की गहरी जुताई के लाभ:
- गर्मी की जुताई से सूर्य की तेज किरणें भूमि के अंदर प्रवेश कर जाती हैं, जिससे भूमिगत कीटों के अंडे, प्यूपा, लार्वा, लटें व व्यस्क नष्ट हो जाते हैं।
- फसलों में लगने वाले भूमिगत रोग जैसे उखटा, जडग़लन के रोगाणु व सब्जियों की जड़ों में गांठ बनाने वाले सूत्रकृमि भी नष्ट हो जाते हैं।
- गहरी जुताई से दूब, कांस, मोथा, वायासुरी आदि खरपतवारों से भी मुक्ति मिलती है।
- गर्मी की गहरी जुताई से गोबर की खाद व खेत में उपलब्ध अन्य कार्बनिक पदार्थ भूमि में भली-भांति मिल जाते हैं, जिससे अगली फसल को पोषक तत्व आसानी से शीघ्र उपलब्ध हो जाते हैं।
- खेत की मिट्टी में ढेले बन जाने से वर्षाजल सोखने की क्षमता बढ़ जाती है जिससे खेत में ज्यादा समय तक नमी बनी रहती है।
- ग्रीष्मकालीन जुताई से खेत का पानी खेत में ही रह जाता है, जो बहकर बेकार नहीं होता तथा वर्षाजल के बहाव के द्वारा होने वाले भूमि कटाव में भारी कमी होती है।
- जुताई करने से खेत की भूमि में उपलब्ध पोषक तत्वों का वायु द्वारा होने वाला नुकसान व मृदा अपरदन कम होता है।
जुताई कब करें : गर्मियों की जुताई का उपयुक्त समय यथासंभव रबी की फसल कटते ही आरंभ कर देना चाहिए क्योंकि फसल कटने के बाद मिट्टी में थोड़ी नमी रहने से जुताई में आसानी रहती है तथा मिट्टी के बड़े- बड़े ढेले बनते हैं। जिससे भूमि में वायु संचार बढ़ता हैं। जुताई के लिए प्रात: काल का समय सबसे अच्छा रहता है क्योंकि कीटों के प्राकृतिक शत्रु परभक्षी पक्षियों की सक्रियता इस समय अधिक रहती है अत: प्रात: काल के समय में जुताई करना सबसे ज्यादा लाभदायक होता है।
गर्मियों की जुताई कैसे करें : गर्मी की जुताई 15 सेमी गहराई तक किसी भी मिट्टी पलटने वाले हल से ढलान के विपरीत करें। बारानी क्षेत्रों में किसान ज्यादातर ढलान के साथ- साथ ही जुताई करते हैं जिससे वर्षाजल के साथ मृदा कणों के बहने की क्रिया बढ़ जाती है। अत: खेतों में हल चलाते समय इस बात का ख्याल रखेेंं कि यदि खेत का ढलान पूर्व से पश्चिम दिशा की तरफ हो तो जुताई उतर से दक्षिण की ओर यानी ढलान के विपरीत ढलान को काटते हुए करें।
गर्मी की जुताई करते समय सावधानियां
- मिट्टी के ढेले बड़े-बड़े रहें तथा मिट्टी भुरभुरी न होने पाए अन्यथा गर्मियों में तेज हवा द्वारा मृदा अपरदन की समस्या बढ़ जाएगी।
- ज्यादा रेतीले इलाकों में गर्मी जुताई न करें।
- बारानी क्षेत्रों में जुताई करते समय इस बात का ख्याल रखना भी जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा फसलों के अवशेषों को जमीन पर आवरण की तरह ही पड़ा रहने दें। इससे मृदा को वर्षाजल द्वारा होने वाले मृदा अपरदन के नुकसान से बचाया जा सकता है और वर्षा के पानी के साथ बह रही मृदा को भी रोका जा सकता है।
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