सही समय पर सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन से कैसे बढ़े सरसों की पैदावार
15 दिसंबर 2025, भोपाल: सही समय पर सिंचाई और उर्वरक प्रबंधन से कैसे बढ़े सरसों की पैदावार – सरसों की अच्छी उपज के लिए सिंचाई प्रबंधन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है, खासकर तब जब जल संसाधन लगातार सीमित होते जा रहे हैं। रबी फसलों में सरसों की जल मांग अपेक्षाकृत कम होती है, फिर भी यदि सही समय पर दो सिंचाई की जाए तो 25 से 30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है।
पहली सिंचाई बुवाई के लगभग 30–35 दिन बाद करनी चाहिए। इस समय फसल इसके लिए पूरी तरह तैयार रहती है। ध्यान रखने वाली बात यह है कि खेत में पानी भराव की स्थिति न बने, हल्की सिंचाई अधिक लाभकारी रहती है। जिन क्षेत्रों में केवल एक ही सिंचाई की व्यवस्था हो, वहां पाले की संभावना के समय सिंचाई करना अधिक उपयोगी होता है, जिससे फसल को ठंड से भी सुरक्षा मिलती है।
उर्वरक प्रबंधन की बात करें तो यह धारणा गलत है कि सरसों बिना पोषण के भी अच्छी उपज दे सकती है। नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की संतुलित आपूर्ति आवश्यक है। फास्फोरस और पोटाश की पूरी मात्रा बुवाई के समय तथा नाइट्रोजन की आधी मात्रा बुवाई के समय और आधी पहली सिंचाई के बाद देनी चाहिए। नाइट्रोजन को दो या तीन बार में देने से इसकी उपयोग दक्षता बढ़ जाती है।
सूक्ष्म पोषक तत्वों में जिंक और बोरोन की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। जिंक की कमी वाले क्षेत्रों में 2.5 किलोग्राम जिंक सल्फेट को आधा किलोग्राम चूने के साथ 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से फसल की बढ़वार और फली विकास बेहतर होता है। बोरोन की कमी होने पर ऊपरी फलियों में दाना नहीं भरता, जिसे बोरैक्स के छिड़काव से सुधारा जा सकता है।
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