राज्य कृषि समाचार (State News)

सीमित सिंचाई में कैसे करें चने की खेती

25 सितंबर 2020, टिकमगढ़। सीमित सिंचाई में कैसे करें चने की खेती – कृषि विज्ञान केन्द्र, टीकमगढ़ के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. बी. एस. किरार, डॉ. आर. के. प्रजापति एवं डॉ. यू. एस. धाकड़ वैज्ञानिकों द्वारा बताया गया की अर्द्धसिंचित क्षेत्रों में चना की खेती कृषक एवं भूमि दोनो के लिऐ लाभदायक है। चना की फसल भूमि की उर्वरा शक्ति भी बढ़ाती है और चना का बाजार भाव भी अच्छा रहता है इसलिये जिन किसानांे के पास सीमित सिंचाई या एक-दो सिंचाई की व्यवस्था है उनके लिये चना की उकठा निरोधक किस्में जे.जी.-12, जे.जी.-63, जे.जी.-14, जे.जी.-130 आदि किस्मों का चयन करना चाहिये और प्रति एकड़ 30 कि.ग्रा. बीज का प्रयोग करना चाहिये, चना फसल को उकठा रोग, कॉलर रोड एवं सूखा जड़ सड़न रोग से बचाने के लिये बीज को बुवाई के पूर्व फफूंदनाषक दवा थायरम या कार्बेण्डाजिम 2-3 ग्राम प्रति कि.लो. ग्राम या जैविक फफूंदनाषक दवा ट्राइकोडर्मा विरडी 10 मि.ली. प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचार करने के बाद जैव उर्वरक राइजोवियम एवं पी.एस.बी. कल्चर से 10-10 मि.ली. प्रति कि.ग्रा. बीज की दर से उपचार कर बुवाई करने से फसल को बीमारी से मुक्ति और वायुमण्डल से नत्रजन की प्राप्ती तथा भूमि में अघुलनषील स्फुर की फसल को प्राप्ती होगी। बीज की बुवाई कतारों में 30 से.मी. की दूरी पर करे और बुवाई के समय यूरिया 13 कि.ग्रा., सिंगल सुपर फास्फेट 125-150 कि.ग्रा. और म्यूरेट ऑफ पोटाष 10-12 कि.ग्रा. प्रति एकड़ प्रयोग करें।

महत्वपूर्ण खबर : छोटे किसानों के लिए उपयोगी कृषि यंत्र बनाएं- श्री तोमर

Advertisement
Advertisement
Advertisements
Advertisement5
Advertisement