लाल साग की खेती में न ज्यादा मेहनत और न ज्यादा खर्च
08 दिसंबर 2025, भोपाल: लाल साग की खेती में न ज्यादा मेहनत और न ज्यादा खर्च – जी हां ! लाल साग की खेती ऐसी होती है जिसमें न तो किसानों को ज्यादा मेहनत करना होती है और न ही ज्यादा खर्च. जबकि मुनाफा अधिक होता है..दरअसल आजकल कई किसान परंपरागत खेती के साथ अन्य ऐसे खेती भी कर रहे है जो फायदेमंद अधिक रहे. ऐसी ही एक खेती है लाल साग की क्योंकि इसकी मांग पूरे वर्ष भर बनी रहती है.
लाल साग की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसकी खेती में न ज्यादा मेहनत लगती है और न ज्यादा खर्च. बीज की कीमत कम होती है, खेत की तैयारी आसान रहती है और सिंचाई भी कम मात्रा में करनी पड़ती है. इसके बावजूद यह फसल बाजार में अच्छे दामों पर बिकती है और किसान इसकी मदद से महीने भर में बढ़िया आमदनी कर सकते हैं. शहरों से लेकर कस्बों तक, बाजारों में इसकी डिमांड लगातार बनी रहती है. लाल साग की एक और बड़ी विशेषता यह है कि यह कम जगह में भी अच्छी तरह उग जाता है. इसलिए बड़े किसान ही नहीं, छोटे किसान और किजन गार्डन बनाने वाले लोग भी इसे आसानी से उगा सकते हैं.
लाल साग की खेती के लिए दोमट या हल्की रेतीली मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है. खेत की मिट्टी का पीएच स्तर 6 से 7 के बीच होना चाहिए, जिससे पौधे तेजी से विकसित हो सकें. खेत में पानी की निकासी की व्यवस्था बेहतर होना जरूरी है, क्योंकि जलभराव होने पर पौधों की बढ़वार रुक जाती है. लाल साग को साल के अधिकतर महीनों में उगाया जा सकता है, लेकिन इसकी खेती के लिए ठंड का मौसम सबसे अनुकूल माना जाता है. अक्टूबर से फरवरी के बीच बोई गई फसल से बेहतरीन उपज मिलती है. लाल साग की फसल तेजी से बढ़ती है. बुवाई के लगभग 25–30 दिनों के भीतर पौधे कटाई योग्य हो जाते हैं. यही वजह है कि किसान चाहे तो एक ही मौसम में कई बार इसकी कटाई कर बेच सकते हैं.
बाजार में लाल साग की कीमत 25 से 40 रुपये प्रति किलो तक मिल जाती है, और शहरी इलाकों में यह भाव और भी अधिक हो सकता है. किसान थोड़े से खेत में भी इसकी खेती करके महीने भर में अच्छी कमाई कर सकते हैं.
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