UP में ग्राम-ऊर्जा मॉडल शुरु: बायोगैस से बनेगी LPG और खाद, किसानों को मिलेगा दोहरा लाभ
17 जुलाई 2025, भोपाल: UP में ग्राम-ऊर्जा मॉडल शुरु: बायोगैस से बनेगी LPG और खाद, किसानों को मिलेगा दोहरा लाभ – उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रामीण इलाकों में ऊर्जा आत्मनिर्भरता बढ़ाने और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए नई पहल की है। प्रदेश में पहली बार ‘ग्राम-ऊर्जा मॉडल’ की शुरुआत की गई है। इस योजना के तहत गांवों में बायोगैस प्लांट लगाए जाएंगे, जिससे ग्रामीण रसोई में एलपीजी की खपत कम होगी और किसानों को रसोई गैस के साथ जैविक खाद भी आसानी से उपलब्ध हो सकेगी।
एलपीजी का खर्च होगा कम
योजना का मुख्य उद्देश्य गांवों में एलपीजी की खपत को लगभग 70 प्रतिशत तक कम करना है। राज्य सरकार ने इसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) से जोड़ा है ताकि ज्यादा से ज्यादा ग्रामीण परिवारों को इसका लाभ मिल सके।
घर बैठे मिलेगी गैस और खाद
गांवों में व्यक्तिगत गोशालाएं (काउ शेड) बनेंगी। इन गोशालाओं में पशुओं से मिलने वाले गोबर को बायोगैस प्लांट में इस्तेमाल किया जाएगा। इससे घर के पास ही रसोई गैस बनेगी और गोबर से बचा हुआ अपशिष्ट जैविक खाद के रूप में खेतों में काम आएगा। किसानों को रसोई गैस के लिए बाहर खर्च नहीं करना पड़ेगा और जैविक खेती के लिए अच्छी खाद भी उपलब्ध होगी।
कमाई का भी मिलेगा मौका
बायोगैस से जो स्लरी (बचा हुआ पदार्थ) तैयार होगी, किसान उसे अपने खेतों में खाद के रूप में उपयोग कर सकते हैं या आसपास के किसानों को बेचकर अतिरिक्त आमदनी भी कमा सकते हैं। इससे किसानों की आय के नए रास्ते खुलेंगे।
43 गोशालाओं में लगेंगे बड़े प्लांट
राज्य सरकार के मुताबिक पहले चरण में प्रदेश की 43 चयनित गोशालाओं में बड़े बायोगैस और खाद प्लांट लगाए जाएंगे। हर गोशाला से लगभग 50 क्विंटल स्लरी प्रति माह का उत्पादन होगा, जो किसानों के लिए जैविक खेती में वरदान साबित होगी। यह योजना गांवों में सस्टेनेबल विकास, रोजगार के नए अवसर, और कृषि लागत में कमी लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। सरकार को उम्मीद है कि यह मॉडल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और किसानों के जीवन में बदलाव लाने का जरिया बनेगा।
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