बाड़मेर में लंपी स्किन कंट्रोल की समीक्षा गोपालन मंत्री ने की
10 अगस्त 2022, जयपुर: बाड़मेर में लंपी स्किन कंट्रोल की समीक्षा गोपालन मंत्री ने की – गोपालन मंत्री श्री प्रमोद जैन भाया ने कहा कि गौवंश में आई महामारी लंपी स्किन से गौवंश को बचाना सरकार की सर्वाेच्च प्राथमिकता है एवं इस महामारी में गौवंश को बचाने के लिए हर स्तर पर उपचार के पुख्ता प्रबन्ध किए है।
श्री जैन बाडमेर के कलेक्ट्रेट सभागार में आयोजित जिला अधिकारियों, गौशाला प्रतिनिधियों एवं पशुपालन विभाग के अधिकारियों की बैठक ले रहे थे।
इस दौरान वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री हेमाराम चौधरी, पूर्व राजस्व मंत्री एवं विधायक श्री हरीश चौधरी, राज्य गोसेवा आयोग अध्यक्ष एवं विधायक श्री मेवाराम जैन, जिला प्रमुख श्री महेंद्र चौधरी, बीसूका उपाध्यक्ष फतेह खा,जिला कलक्टर लोक बंधु, पुलिस अधीक्षक श्री दीपक भार्गव उपस्थित थे।
इस मौके पर गोपालन मंत्री ने कहा कि सरकार और मुख्यमंत्री लंपी स्किन को लेकर बहुत संवेदनशील है तथा महामारी पर नियंत्रण के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस काम के लिए धन की कमी नहीं आने दी जाएंगी। उन्होंने बताया कि सरकार महमारी से बचने में कोई कसर नहीं रखेगी। उन्होंने बताया कि कोरोना की तरह ही इस महामारी पर भी सबके प्रयासों से अवश्य सफलता मिलेगी। उन्होंने बताया कि सरकार हर सम्भव कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा कि दवाई पर्याप्त है एवं सरकार पशुपालन विभाग को पूरी सहायता उपलब्ध करा रही हैं।
उन्होंने जिला प्रशासन व पशुपालन विभाग की टीम द्वारा लम्पी स्किन डिजीज में गौवंश को बचाने के लिए किए गए उपचार प्रबन्धन की भी सराहना की एवं निर्देश दिए कि वे टीम भावना से कार्य कर जो भी पशु इस बीमारी से ग्रसित है, उसकों बचाने का भरसक प्रयास करे। उन्होंने संक्रमित मृत पशुओं के निस्तारण के लिए शहरी क्षेत्र में नगरीय निकाय के माध्यम से एवं ग्रामीण क्षेत्र में ग्राम पंचायतों के माध्यम से पूरा सहयोग लेकर अच्छी तरह से निस्तारण की कार्यवाही करने पर जोर दिया। उन्होंने इस कार्य के लिए भामाशाहों एवं दानदाताओं का सहयोग लेने की भी बात कही।
इस अवसर पर वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री हेमाराम चौधरी ने कहा कि कोरोना के समान लम्पि वायरस भी बहुत घातक हैं। इसलिए इस महामारी पर नियंत्रण के लिए कोरोना की तरह सटीक रणनीति के जरिए ही संभव है। उन्होंने इसके लिए सरकार के साथ सभी की भागीदारी जरूरी हैं। उन्होंने उपचार के साथ व्यापक भागीदारी की भी जरूरत जताई।
श्री चौधरी ने कहा कि गौवंश को बचाने के लिए हमें दवाईयों के साथ प्राचीन पद्धति के उपचार को भी काम में लेना है, जिससे की हम गौवंश को बचा सके, इसके लिए उन्होंने पशुपालकों को जागरूक कर बीमार पशुओं का फिटकरी की पानी से नहाने, नीम के पतों के पानी से नहाने एवं गुड का पानी पिलाने की सलाह दे।
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