पंजाब के किसानों के लिए खुशखबरी: PAU ने लॉन्च किया ऑटो-स्टियरिंग सिस्टम, खेती होगी अब और आसान
21 जुलाई 2025, भोपाल: पंजाब के किसानों के लिए खुशखबरी: PAU ने लॉन्च किया ऑटो-स्टियरिंग सिस्टम, खेती होगी अब और आसान – पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (PAU), लुधियाना ने किसानों के लिए बड़ी सौगात दी है। विश्वविद्यालय ने अपने रिसर्च फार्म पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस और लाइव डेमो के दौरान ट्रैक्टर के लिए GNSS आधारित ऑटो-स्टियरिंग सिस्टम लॉन्च किया। यह खेती के पारंपरिक तरीकों से डिजिटल और प्रिसिजन फार्मिंग की ओर एक बड़ा कदम माना जा रहा है। इस कार्यक्रम की अगुवाई कुलपति डॉ. सतबीर सिंह गोसल ने की। कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिकारी, वैज्ञानिक और मीडिया प्रतिनिधि मौजूद रहे।
क्या है ऑटो-स्टियरिंग सिस्टम
यह सिस्टम सैटेलाइट से जुड़ा कंप्यूटर नियंत्रित उपकरण है, जो ट्रैक्टर को खेत में बिल्कुल सीधी और तय की गई लाइनों पर चलाता है। इसमें मल्टीपल सैटेलाइट सिस्टम के सिग्नल, सेंसर्स और एक टचस्क्रीन कंट्रोल पैनल का उपयोग होता है। इस तकनीक से ट्रैक्टर रात के समय या कम रोशनी में भी सटीक काम कर सकता है। इससे किसान की थकान कम होगी, खेत में ओवरलैप या मिस होने की समस्या भी नहीं होगी।
सिस्टम की खासियतें
इस सिस्टम में GNSS रिसीवर से सटीक पोजीशनिंग होती है। व्हील एंगल सेंसर से स्टीयरिंग की हरकत पर नजर रखी जाती है। मोटराइज्ड स्टीयरिंग यूनिट ट्रैक्टर का संचालन करती है। ISOBUS कंप्लायंट कंसोल के कारण इसमें ऑटो हेडलैंड टर्न, स्किप-रो ऑपरेशन और कस्टम टर्न पैटर्न जैसी आधुनिक सुविधाएं मिलती हैं। किसान आसानी से एक बटन से मैनुअल और ऑटोमेटिक मोड में स्विच कर सकते हैं।
खेतों में शानदार परफॉर्मेंस
PAU के ट्रायल डेटा के अनुसार, सामान्य स्टीयरिंग से डिस्क हैरो, कल्टीवेटर, रोटावेटर और स्मार्ट सीडर जैसे उपकरणों में 3 से 12 प्रतिशत तक ओवरलैप हो जाता है। लेकिन ऑटो स्टियरिंग सिस्टम के साथ यह घटकर 1 प्रतिशत तक आ गया। मिस एरिया भी 2-7 प्रतिशत से घटकर 1 प्रतिशत से नीचे आ गया। इस सिस्टम की पास-टू-पास सटीकता ±3 सेमी रही, जिससे बीज, खाद और समय की बचत के साथ फसल भी अच्छी हुई।
डिजिटल खेती की ओर बड़ा कदम
कुलपति डॉ. सतबीर सिंह गोसल ने कहा कि यह सिस्टम खेती को स्मार्ट बनाने की दिशा में विश्वविद्यालय का बड़ा प्रयास है। टेक्नोलॉजी सिर्फ फैशन नहीं है बल्कि खेती को टिकाऊ और लाभकारी बनाने का जरिया है। इससे किसानों की मेहनत भी कम होगी और आमदनी बढ़ेगी।
अन्य नई टेक्नोलॉजी का भी हुआ जिक्र
डॉ. अजय सिंह धत्त ने बताया कि बदलते वक्त में मशीन लर्निंग, सेंसर्स और नेविगेशन तकनीक जैसे डिजिटल टूल्स खेती के लिए जरूरी हो गए हैं। इसी दिशा में यह सिस्टम किसानों के लिए गेम चेंजर साबित होगा।
डॉ. ऋषि पाल सिंह ने कहा कि हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी PAU की नई तकनीक का अवलोकन किया था, जिससे इसकी राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बनी है।
डॉ. मनजीत सिंह ने विश्वविद्यालय के रिमोट कंट्रोल से चलने वाले धान रोपण मशीन की जानकारी दी, जिससे 85 प्रतिशत तक थकान कम होती है और श्रम लागत में 40 प्रतिशत की कमी आती है।
स्मार्ट सिंचाई तकनीक पर काम
PAU ने यह भी बताया कि सेंटर फॉर वाटर टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट स्मार्ट सिंचाई सिस्टम भी बना रहा है। इसमें IoT आधारित उपकरणों से मिट्टी की नमी, पानी और मौसम की रियल टाइम जानकारी मिलती है। इससे धान, गेहूं, मक्का और मूंग जैसी फसलों के लिए सिंचाई समय पर हो रही है।
किसानों के लिए सुनहरा भविष्य
इन सभी टेक्नोलॉजी से खेती स्मार्ट, सस्टेनेबल और ज्यादा मुनाफे वाली बन रही है। PAU के अधिकारीयों ने मीडिया के सवालों के जवाब में कहा कि ये सभी तकनीकें सीधे किसानों के लिए काम करेंगी और खेती को भविष्य के लिए मजबूत बनाएंगी।
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