राज्य कृषि समाचार (State News)

GIS-भोपाल में 4,000 करोड़ का कृषि निवेश, क्या किसान को मिलेगा सीधा लाभ?

04 मार्च 2025, भोपाल: GIS-भोपाल में 4,000 करोड़ का कृषि निवेश, क्या किसान को मिलेगा सीधा लाभ? – ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट (GIS) भोपाल में कृषि, खाद्य प्रसंस्करण और दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में 4,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव मिले हैं। इससे राज्य में हरित और श्वेत क्रांति को गति मिलने की संभावना जताई जा रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश की कृषि और दुग्ध उत्पादन क्षमताओं को देखते हुए यह निवेश प्रदेश को खाद्य प्रसंस्करण और जैविक खेती के क्षेत्र में नई दिशा देगा।

जैविक खेती और दुग्ध उत्पादन में बढ़त

मध्यप्रदेश देश का सबसे बड़ा जैविक खेती वाला राज्य है और इसका कुल जैविक खेती में 40% योगदान है। राज्य सरकार ने इस क्षेत्र का विस्तार कर 17 लाख हेक्टेयर से 20 लाख हेक्टेयर तक करने का लक्ष्य रखा है। सरकार किसानों को सौर ऊर्जा आधारित पंप उपलब्ध करा रही है ताकि पर्यावरण अनुकूल खेती को बढ़ावा दिया जा सके।

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बागवानी फसलों का क्षेत्र भी बढ़ा है। पहले यह 27 लाख हेक्टेयर था, जो अब 32 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है। इससे फलों और सब्जियों का उत्पादन बढ़ने की संभावना है, जिससे किसान सीधे लाभान्वित होंगे।

मध्यप्रदेश का देश के कुल दुग्ध उत्पादन में 9% योगदान है और इसे 20% तक ले जाने का लक्ष्य रखा गया है। वर्तमान में प्रदेश में प्रतिदिन 591 लाख किलो दूध का उत्पादन हो रहा है, जिससे यह देश का तीसरा सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक राज्य बन चुका है। ‘सांची’ ब्रांड की पहुंच राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक बढ़ी है, जिससे डेयरी क्षेत्र में विस्तार की संभावनाएं बनी हैं।

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खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में निवेश

GIS-भोपाल में “सीड-टु-शेल्फ” थीम पर केंद्रित विशेष सत्र में निवेशकों ने मध्यप्रदेश की संभावनाओं को पहचाना। राज्य में 8 फूड पार्क, 2 मेगा फूड पार्क, 5 एग्रो-प्रोसेसिंग क्लस्टर और एक लॉजिस्टिक्स पार्क की स्थापना की जा रही है। प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण योजना के तहत 930 करोड़ रुपये की सहायता स्वीकृत की गई है।

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राज्य में पहले से ही 70 बड़ी औद्योगिक इकाइयां और 3,800 से अधिक सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम इकाइयां कार्यरत हैं। इनसे कृषि उत्पादों की प्रोसेसिंग को बढ़ावा मिलेगा।

प्रदेश का सिंचित क्षेत्र 2003 में 3 लाख हेक्टेयर था, जो अब 50 लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुका है। सरकार ने इसे 2028-29 तक 1 करोड़ हेक्टेयर तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। नर्मदा, चंबल, ताप्ती, बेतवा, सोन, क्षिप्रा, कालीसिंध और तवा नदियों पर सिंचाई परियोजनाओं के जरिए यह विस्तार किया जाएगा।

GIS-भोपाल में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में मिले निवेश प्रस्तावों से प्रदेश में 8,000 से अधिक रोजगार सृजित होने की संभावना है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में बढ़ोतरी से किसानों को अपने उत्पाद का बेहतर मूल्य मिलने की उम्मीद जताई जा रही है, जिससे राज्य की आर्थिक स्थिति को मजबूती मिल सकती है।

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