जलवायु परिवर्तन की चुनौती से जूझते मध्य प्रदेश में फल उत्पादन
लेखक: डॉ. संदीप शर्मा, मो. : 9303133157, sharma.sandeep1410@gmail.com
10 अप्रैल 2025, नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन की चुनौती से जूझते मध्य प्रदेश में फल उत्पादन – कृषि क्षेत्र के एक विविध कार्य के रूप में बागवानी क्षेत्र अतिरिक्त आय का एक आशाजनक स्त्रोत बन गया है। बागवानी फसलों में सब्जियों के बाद एक बड़ा हिस्सा फलों का भी है। मध्य प्रदेश बागवानी फसलोत्पादन में एक अग्रणी राज्य के रूप में विकसित हो रहा है और रोजगार सृजन, अतिरिक्त आय तथा निर्यात प्रोत्साहन के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इसको गति देने के लिए बेहतर संसाधन, बुनियादी ढाँचें का विकास, तकनीकी उन्नयन और अनुकूल नीतियों की आवश्यकता है। वर्तमान में जलवायु परिवर्तन के दौर में प्रभावी उपाय अपनाना आज की आश्यकता है।
फलों की पारम्परिक खेती में आधुनिक तकनीकी के विवेकपूर्ण समायोजन से फलोत्पादन में वृद्धि सम्भावित है। फल उत्पादकों को नवीनतम तकनीकों और टिकाऊ खेती के उपायों के बारे में शिक्षित करने का दायित्व सरकारों का है।
पौष्टिक सुरक्षा
अपने चारों ओर सुरक्षा चक्र बनाने में मानव आहार में मौसमी फलों का योगदान अनुपम है। विभिन्न पोषक तत्वों, खनिजों और विटामिन डी को छोड़कर अन्य सभी आवश्यक विटामिन्स के प्रचुर स्त्रोत होने के कारण फलों का नियमित सेवन मानव को पौष्टिक सुरक्षा उपलब्ध कराता है। जिस प्रकार खराब पोषण आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर सकता है, इसके विपरीत संतुलित पोषण मनुष्य की प्रतिरोध क्षमता को मजबूती देता है। इसी कारण फलों को परिरक्षी आहार भी कहा जाता है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की अनुशंसा के अनुसार एक सामान्य वयस्क को प्रतिदिन कम से कम 80 ग्राम ताजे फलों का नियमित सेवन करना चाहिए।
मानव स्वास्थ के लिए फलदायी फल
फलों में शर्करा की प्रचुर मात्रा होती है। फलों में विद्यमान स्टार्च पकने पर फ्रक्टोज़, सूक्रोज़, डेक्ट्रोज़ और ग्लूकोज़ शर्करा में बदल जाता है। पोषण की दृष्टि से फल अनेक विटामिन्स, खनिज लवणों तथा आहारीय रेशों के प्रचुर स्त्रोत हैं जो मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी होते हैं। अनेक फल आहारीय रेशों की पूर्ति करते हैं जिससे कब्ज की समस्या का निदान किया जा सकता है। अतएव, मनुष्य को फलों के नियमित सेवन करने की सलाह दी जाती है।
फलदार फसलों की वर्तमान स्थिति
वैश्विक फलोत्पादन में 11 प्रतिशत के योगदान से भारतवर्ष का चीन के बाद दूसरा स्थान है। चीन और भारत के अलावा ब्राजील, तुर्किए और मेक्सिको प्रमुख फल उत्पादक देश हैं। वर्ष 2023-24 में हमारे देश में 7.05 मिलियन हेक्टर रकबे से 112.97 मिलियन टन फल उत्पादित किए गए जिनमें उत्पादन की दृष्टि से केला (33.29 प्रतिशत), आम (19.82 प्रतिशत), नींबू वर्गीय फल (12.88 प्रतिशत), अमरूद (4.75 प्रतिशत), तथा पपीता (4.68 प्रतिशत) प्रमुख फल रहे। देश के कुल फलोत्पादन में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात का योगदान क्रमश: 15.74, 13.68, 11.91, 8.73 तथा 7.42त्न रहा।
भारतीय राज्यों में उत्तर प्रदेश आम, तमिलनाडु केला, महाराष्ट्र अंगूर, मध्य प्रदेश अमरूद, आंध्र प्रदेश पपीता, गुजरात चीकू, महाराष्ट्र अनार, पंजाब संतरा, आंध्र प्रदेश नींबूवर्गीय फल, हिमाचल प्रदेश नाशपाती और जम्मू काश्मीर सेवफल उत्पादन में अग्रणी राज्य हैं।
मध्य प्रदेश परिदृश्य
वर्ष 2023-24 में मध्य प्रदेश में 4.69 हजार हेक्टर क्षेत्र से 98.64 लाख टन फलों का उत्पादन लिया गया। इस दौरान राज्य में फलों की औसत उत्पादकता 21.04 टन प्रति हेक्टर रही जोकि इसी अवधि की राष्ट्रीय औसत उत्पादकता (16.02 टन/हेक्टर) से लगभग 31 प्रतिशत अधिक रही। मध्य प्रदेश राज्य में उत्पादित किए जाने वाले प्रमुख फलों में केले, किन्नो, अमरूद, आम तथा पपीते का राज्य के कुल फलोत्पादन में क्रमश: 24.88 प्रतिशत, 22.23 प्रतिशत, 10.67 प्रतिशत, 9.79 प्रतिशत तथा 5.86 प्रतिशत योगदान रहा। विगत दशक (2014-15 से 2023-24) के दौरान फलों के राष्ट्रीय औसत रकबे (6681.51 हजार हेक्टर) में मध्य प्रदेश की हिस्सेदारी 5.59 प्रतिशत तथा राष्ट्रीय फलोत्पादन (99937 लाख टन) में राज्य का योगदान 7.83 प्रतिशत रहा। इस अवधि के दौरान रात्य में फलों के रकबे तथा उत्पादन की वार्षिक वृद्धि दरें क्रमश: 9.15 तथा 5.64 प्रतिशत रही जोकि राष्ट्रीय स्तर से अधिक रही। उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में बागवानी फसलों के कुल उत्पादन में फल उत्पादन का योगदान 26 प्रतिशत है। मध्य प्रदेश में मुख्य रूप से उत्पादित किए जाने वाले फलों के रकबे, उत्पादन तथा उत्पादकता की जानकारी और शीर्ष जिलों के नाम तालिका में देखें। राज्य में सर्वाधिक रकबा किन्नों के अंतर्गत तथा उत्पादन एवं उत्पादकता केले की है। बुरहानपुर, आगर मालवा, छिंदवाड़ा, खरगोन और शाजापुर प्रमुख फल उत्पादक जिले हैं।
जलवायु परिवर्तन की चुनौती
वर्तमान में जलवायु परिवर्तन जैसी इस वैश्विक चिंता के बीच फलों की पैदावार तथा गुणवत्ता में उल्लेखनीय गिरावट आई है। एक अध्ययन के अनुसार उत्तराखण्ड राज्य में फलों की खेती के रकबे में जलवायु परिवर्तन के कारण 54 प्रतिशत तथा उत्पादन में 44 प्रतिशत की कमी हुई है।
जलवायु परिवर्तन की समस्या से फल उत्पादक जूझ रहे हैं। अत्यधिक गर्मी और वर्षा से सन बर्न, फलों के फटने और व्याधियों के संक्रमण के मामले बढ़े हैं। बढ़ते तापमान और बदलते वर्षा चक्र ने कीटों के आक्रमण में वृद्धि तथा परागण गतिविधियों पर व्यापक प्रभाव डाला है। इस चुनौती के उपरांत भी उत्तराखण्ड के फल उत्पादक सेव और आम उत्पादन में सक्षम हुए हैं।
कटाई उपरांत होने वाला नुकसान भी चिंतनीय है। राज्य स्तर पर फल प्रसंस्करण पर भी ध्यान दिया जाना आवश्यक है। पुराने फलोद्यानों का जीर्णोद्धार कर आधुनिक उत्पादन तकनीकी का प्रसार और अंगीकरण कर फलदार फसलों की उत्पादकता में वृद्धि सम्भव है।
मध्य प्रदेश में प्रमुख फलदार फसलों के शीर्ष जिले (2023-24) | ||||
फसल | रकबा (लाख हेक्टर) | उत्पादन (लाख टन) | उत्पादकता (टन/हेक्टर) | |
केला | बुरहानपुर (72.73%) में बड़वानी 761%) खरगोन (75%) मप्र 0.35 | बुरहानपुर (12%) खरगोन (9.71%) बड़वानी (8.07%) म.-24.54 | खरगोन (91.49), खण्डवा (85.6), बड़वानी (75) म.प्र.- 70.73 | |
किन्नो | आगर मालवय (26.91% दिवाड़ा 18.74%) राजगढ़ (15.87%) -1.31 | आगर मालवा (28.93%), চিড়া (22.34%) राजगढ़ (13.46%) मप्र-2193 | शाजापुर (22.50), धार (20.37), छतरपुर। 20) मप्र-16.74 | |
अमरूद | रोया 954% सिंगरोली (8.31%) सीधी (3.83%) -0.56 | रोवा (8.48% सिलरोली (6.23%) सीसी 16.17%) -10.52 | कटनी (34.81), सीहोर (32) हर 29.51) -18.60 | |
आम | सीधी (9.40%) सिमी (9.0% बैतूल (8.17%) -0.66 | बैतूल 13.89%), अनूपपुर (962% अलीराजपुर (8.74%) 9.66 | बैतूल (24.77), अलीराजपुर (221 खरगोन (21.90) मप्र 14.57 | |
पपीता | धार (10.34%, साना (6.69%). खरगोन | धार (18.62%), खरगोन (12.27%) सतन 16.41%) -5.78 | बड़वानी (89.58) खरगोन (76.301 बुरहानपुर (75 -40.52 | |
आँवला | सिंगरोली (17.07%), सेधा (12.28%), सीधी (9.12%) -0.32 | सिंगरोली (2286%), सीधी 11.43%) कटनी (8.33%) मद्र-487 | इन्दौर (27.53), विदिशा (26.41) थार (2452) -15.34 | |
तरबूज | खण्डवा (17.06%), ति (12.95%), झाबुआ (9.88%) म표-0.17 | खण्डवा (16.29%) झाबुआ (13.17%) छिंदवाड़ा12.86%)-460 | नरसिंहपुर (54.371, झाबुआ 36, बड़वानी (35) म.प्र.- 27 | |
नींबू | उज्जैन (5.19%) रतलाम (4.64% विदिशा (4.2%) मप्र:-0.28 | उज्जैन (7.6%), विदिशा 15.8% रतलाम (5.03%) 4.23 | शाजापुर (32.60), हरदा (22.42), कटनी (22.05) म.प्र.- 14.88 | |
खरबूज | छिंदवाड़ा (11.91त्न), धार (9.86त्न), उमरिया (9.02:) मप्र- 0.10 | छिंदवाड़ा । 15%), उमरिया (10%) शिवपुरी (9.59%) मप्र.-20.62 | बैतूल (52.50), नरसिंहपुर (52.50), शवपुरी (43) म.प्र.- 19.84 | |
बेर | रतलाम (12.13%), उमरिया (11.06%) कटनी (10.35%) -0.13 | रतलाम (15.42%), उमरिया 10.78% कटनी (10.19%) मप्र.-1.45 | बड़वानी (34), नरसिंहपुर (25), भोपाल (24.69) म.प्र.- 11.20 | |
कुल फल मध्य प्रदेश | 4.69 लाख हेक्टर | 98.64 लाख टन | 21.03 टन/हेक्टर | |
स्त्रोत: agriwelfare.gov.in # कोष्ठक में राज्य के रकबे में प्रतिशत हिस्सेदारी दर्शाई गई है। क् कोष्ठक में राज्य के उत्पादन में प्रतिशत योगदान दर्शाया गया है। | ||||
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