राज्य कृषि समाचार (State News)

मालवा के किसानों पर खाद का संकट, केन्द्रों पर अन्नदाताओं की लंबी कतार

16 अक्टूबर 2024, उज्जैन: मालवा के किसानों पर खाद का संकट, केन्द्रों पर अन्नदाताओं की लंबी कतार – सूबे की सरकार भले ही किसानों को खाद का संकट नहीं होने देने का दंभ भर रही हो लेकिन स्थिति कुछ अलग ही बयां करती है क्योंकि किसानों का यह कहना है कि उन्हें डीएपी खाद जरूरत के अनुसार नहीं मिल रहा है और खाद के लिए उन्हें खाद वितरण केन्द्रों, पर कतार में लगना पड़ रहा है। मालवा के किसान फिलहाल खाद के लिए परेशान हो रहे है।

प्रदेश में रबी फसल की बोवनी का काम तेजी से जारी है, जिसकी वजह से अब किसानों को डीएपी खाद की जरूरत पड़ रही है, लेकिन व्यवस्था ऐसी हैं कि खाद जरुरत के मुताबिक नहीं मिल पा रहा है। यही वजह है कि किसानों को खाद के लिए देर रात से खाद वितरण केंद्रों पर देर रात से ही लंबी-लंबी लाइनों में लगना पड़ रहा है। इसके बाद भी उन्हें निराशा ही हाथ लग रही है। अगर ऐसी ही स्थिति कुछ दिनों तक बनी रही तो किसानों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा।  किसान को जितनी मात्रा में डीएपी की जरूरत है उतनी मात्रा में उन्हें नहीं मिल पा रहा है। इसकी वजह से उनकी फसल बुबाई तक प्रभावित होने लगी है। दरअसल प्रदेश में इस सीजन में करीब 42 लाख मीट्रिक टन खाद की जरूरत होती है। इसमें यूरिया के बाद दूसरे नम्बर पर डीएपी की मांग होती है। किसानों को खाद की सप्लाई समितियों और निजी दुकानों के जरिए की जाती है। 5 अक्टूबर तक 1 लाख मीट्रिक टन डीएपी की ही सप्लाई हुई है। अहम बात यह है कि खुले बाजार में महंगे दामों में आसानी से डीएपी उपलब्ध है।  किसानों का आरोप है कि उन्हें खाद के लिए लगातार खाद के लिए संकट का सामना करना पड़ रहा है जबकि बाजार में आसानी से उपलब्ध है। ऐसे में किसान ब्लैक मार्केटिंग के आरोप लगाने में पीछे नहीं रह रहे हैं। दरअसल, डीएपी खाद के एक थैली 1350 की है, जबकि ब्लैक में उसकी 1500 रुपए की बेची जाने की शिकायतें आ रही हैं। किसानों का आरोप है कि समिति में बैठे अधिकारी कर्मचारी भी इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। मजबूरी है इसलिए महंगे दामों पर खाद खरीदना पड़ रहा है। डीएपी फसलों की जड़ों का विकास करती है, जैसे आपने कोई फसल बोई है और उसमें यह खाद डाली है तो यह खाद पौधों की जड़ों एवं कोशिकाओं का विभाजन कर देती है। जैसे किसी पौधे की शाखाएं बढ़ रही हैं, तो यह उस पौधे की जड़ों को मजबूती प्रदान करता है। हालांकि इसका विकल्प एनपीके भी है पर किसान इसे नहीं लेते हैं। इसकी वजह से हालत यह है कि मुरैना कृषि उपज मंडी में खाद वितरण केंद्र के बाहर सुबह से ही बड़ी संख्या में किसान, महिलाएं खाद लेने के लिए जमा होने का मजबूर हो रहे हैं। टोकन वितरण शुरू होते ही किसानों का हंगामा शुरू हो जाता है। प्रशासन के हस्तक्षेप से पुलिस की निगरानी में टोकन बांटना पड़ रहे हैं। यहां अलसुबह रात 4 बजे से मार्कफेड के गोदाम पर कतारें लग रही हैं। 

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