खाद का संकट गहराया, किसानों पर परेशानी का साया
29 अक्टूबर 2021, इंदौर । खाद का संकट गहराया, किसानों पर परेशानी का साया – हर साल रबी का सीजन आते ही मप्र में खाद का संकट छा जाता है और किसान परेशान होते रहते हैं। इस साल भी खाद के हालात ज़ुदा नहीं है। मप्र के 25 जिलों में खाद का संकट ज़्यादा है। कृषक जगत के चुनिंदा किसानों से हुई चर्चा के सर्वे में खुलासा हुआ है कि इंदौर और आसपास के जिलों में भी यही स्थिति है। सहकारी समितियों में खाद नहीं मिल रहा है। जबकि खाद की 70 % आपूर्ति इन्हीं सहकारी समितियों के माध्यम से होना है ,जबकि 30 % खाद निजी विक्रेता बेचेंगे। रबी सीजन में बोवनी का समय नज़दीक है, इसलिए खाद पाने के लिए किसान जद्दोजहद कर रहे हैं। मांग की तुलना में आपूर्ति कम होने से यह हालात बने हैं। किसानों ने कालाबाज़ारी की भी आशंका व्यक्त की है। दूसरी तरफ कृषि विभाग द्वारा खाद की पर्याप्त उपलब्धता का दावा किया जा रहा है।
कृषक जगत की किसानों से चर्चा – इस वर्ष रबी सीजन में आगामी 15 -20 दिनों में गेहूं ,चना ,मटर, सरसों ,प्याज़ ,लहसुन आदि की बुवाई होना है, लेकिन खाद के संकट के कारण बुवाई प्रभावित हो सकती है,क्योंकि बुवाई के समय डीएपी की ज़रूरत होती है, जो मिल नहीं रहा है। हालाँकि विकल्प में एनपीके का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस मुद्दे पर कृषक जगत ने इंदौर और समीपवर्ती जिलों के किसानों से चर्चा की। तिल्लोरखुर्द (इंदौर )के किसान श्री राजकुमार भरतलाल पाटीदार को इफ्को की 25 बोरी चाहिए ,9 बोरी मित्र से उधार ले ली, लेकिन अब उसे वापस लौटाने के लिए व्यवस्था नहीं हो पा रही है। भाव बढ़ने की अफवाह से पहले खाद नहीं खरीदा। आपने बड़े किसानों को ज्यादा खाद देने की भी बात कही। इसी तरह सुखलिया (शिप्रा ) के श्री राजेंद्र सीताराम पटेल को 10 बोरी यूरिया की ज़रूरत है, लेकिन नहीं मिल रहा है। जैसे -तैसे 10 बोरी एनपीके का इंतज़ाम किया है। श्री पटेल ने कहा कि खाद तो आ रहा है, लेकिन मिल नहीं रहा है। कहाँ जा रहा है पता नहीं। आपने कालाबाज़ारी की भी शंका व्यक्त की। वहीं श्री अमृत सिंह कन्हैया सिंह रघुवंशी बरदरी पीथमपुर (धार ) को आलू फसल के लिए 15 बोरी इफ्को चाहिए जो नहीं मिल रहा है। यूरिया और डीएपी की भी कमी है। सोसायटी से खरीफ में पात्रता का आधा खाद ले लिया था। शेष खाद लेना है, परन्तु मिल नहीं रहा है। श्री संजय कैलाश चंद्र वर्मा लेकोड़ा (उज्जैन ) को गेहूं और आलू फसल के लिए 20 बोरी इफ्को और 50 बोरी यूरिया की ज़रूरत है। सोसायटी से आधा खाद पहले ले लिया था। अभी नहीं मिला है। श्री जमनालाल हीरालाल धनेरा दतौदा महू (इंदौर ) ने कहा कि सोसायटी से 3 -3 बोरी यूरिया /डीएपी मिल रहा है। खरीफ में बारिश से पहले खाद ले लिया था ,जो अब काम आएगा। श्री गंगाराम भगवान सिंह परमार को आलू, लहसुन, चना आदि फसल के लिए 20 बोरी यूरिया और 7 बोरी एनपीके चाहिए। अभी सोसायटी में नहीं है। एक दो दिन में मिलने की बात कही है। जबकि श्री बाबूलाल गोपीचंद पटेल सुतारखेड़ा (देवास ) की यूरिया /डीएपी की मांग 10 बोरी की है। नारियाखेड़ा सोसायटी में अभी नहीं मिल रहा। बोवनी से पहले खुले बाज़ार से ज़्यादा कीमत देकर खरीदना पड़ेगा। वहीं श्री बद्रीलाल कालू गुर्जर नवीपुर बरोठा (देवास ) ने कहा कि खरीफ में 15 बीघा के लिए एक बीघे पर एक बोरी के हिसाब से 15 बोरी खाद मिला था। अभी यूरिया,एनपीके और डीएपी की 30 -32 बोरी की आवश्यकता है। कैलोद सोसायटी से जो नहीं मिलेगा उसे खुले बाज़ार से ऊँची कीमत देकर खरीदेंगे ,लेकिन बोवनी में देरी नहीं करेंगे। श्री विष्णु जगदीश पटेल खाती पिपल्या बुरानाखेड़ी (इंदौर ) ने कहा कि यूरिया/डीएपी की 20 बोरी चाहिए, लेकिन सेमल्याचाऊ सोसायटी में खाता नहीं है। वहां पहले सदस्यों को खाद दिया जाएगा, इसलिए खुले बाज़ार से खाद खरीदना पड़ेगा।
मांग और पूर्ति का अंतर : मिली जानकारी के अनुसार मप्र में यूरिया की 6 लाख टन,डीएपी की 4 लाख टन और एनपीके की1 लाख टन की मांग है, जिसके विरुद्ध यूरिया 4.99 लाख टन ,डीएपी 2.12 लाख टन आवंटित हुआ है। एनपीके का आवंटन मांग के अनुरूप 1 लाख टन हुआ है। केंद्र से 12 रैक यूरिया ,5 रैक डीएपी और 10 रैक एनपीके की मिलना है, जबकि ज़रूरत 50 रैक की है। खाद की आपूर्ति के लिए प्रदेश में रेलवे के जो 10 रैक पॉइंट बनाए गए हैं,उनमें सतना मंडीदीप ,शिवपुरी ,कच्छपुरा (जबलपुर ), गाडरवारा,रायरू (ग्वालियर ), पिपरिया (होशंगाबाद ),सागर, रीवा और देवास शामिल हैं। राज्य के 25 जिले ऐसे हैं जहाँ खाद की तुरंत आपूर्ति की ज़रूरत है, इनमें भोपाल, विदिशा, भिंड ,मुरैना, दतिया ,शिवपुरी ,श्योपुर, अशोकनगर, इंदौर, उज्जैन जैसे जिले प्रमुख हैं।
पर्याप्त उपलब्धता के सरकारी दावे : कृषि विभाग द्वारा उर्वरक की पर्याप्त उपलब्धता एवं वितरण के दावे किए जा रहे हैं। झाबुआ /धार / मंदसौर जिले में इस बात की तस्दीक के लिए कृषक जगत ने जब धार जिले के बिजूर के उन्नत किसान श्री दिनेश कामदार से बात की तो उन्होंने कहा कि आधा खाद खरीफ में और बाकी का आधा खाद रबी फसल के लिए मिल गया।संबंधित सोसायटी में सभी खाद मिल रहे हैं , लेकिन छोटे किसानों को खाद पाने में ज़रूर परेशानी आ रही है।आ जा सेवा सहकारी समिति रामनगर (केसूर) के श्री विनोद केलवा ने बताया कि डीएपी/यूरिया खाद का परमिट पर सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य पर वितरण किया जा रहा है, कल तक बेचा गया। आज खत्म हो गया है। कल फिर खाद आ जाएगा। यहां कृषि संजीवनी सिंगल सुपर फॉस्फेट भी उपलब्ध है। वहीं श्री दिनेश ओंकारलाल पाटीदार साबाखेड़ा (मंदसौर ) ने कहा कि धारियाखेड़ी सोसायटी में खाद मिल रहा है। नरेंद्र पाटीदार करवड़ (झाबुआ ) ने कहा कि यहां की सोसायटी में खाद उपलब्ध है। 23 बोरी एनपीके लिया है, यूरिया /डीएपी की अभी ज़रूरत नहीं होने से नहीं लिया है । यह खाद भी यहां उपलब्ध है। निजी विक्रेता यूरिया की 266.50 मूल्य की एक बोरी 330 रुपए तक और डीएपी की 1200 की बोरी 1300 -1350 रुपए तक बेच रहे हैं।
Indore me to her saal hi aisa hota he