खेती का ज्ञान किसानों तक पहुंचकर ही सार्थक बनेगा: श्री मिश्रा
मध्य प्रदेश के कृषि उत्पादन आयुक्त से कृषक जगत की बातचीत
लेखक: श्री. अतुल सक्सेना
15 जुलाई 2024, भोपाल: खेती का ज्ञान किसानों तक पहुंचकर ही सार्थक बनेगा: श्री मिश्रा – मध्य प्रदेश में दलहन उत्पादन बढ़ाने के निरन्तर प्रयास किए जा रहे हैं। वैसे दलहन उत्पादन में प्रदेश पहले नम्बर पर है परन्तु देश के दलहन आयात को कम करने में सहयोग देने के उद्देश्य से इसका उत्पादन बढ़ाना अतिआवश्यक हो गया है। प्रदेश के किसानों से दलहन उत्पादन बढ़ाने के लिए जल्दी पकने वाली किस्म अरहर पूसा-16 को अपनाने का आव्हान किया गया है। इसके साथ ही कृषि अधिकारियों को भी पूसा-16 किस्म के प्रति किसानों को प्रोत्साहित करने को कहा गया है। क्योंकि अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार खेती है इससे बड़ी संख्या में रोजगार का सृजन होता है। सही कार्ययोजना बनाकर खेती का विकास किया जा सकता है। कृषि वैज्ञानिक एवं अधिकारियों को मिट्टी, पानी, तापमान के अनुकूल फसल तकनीकों की जानकारी किसानों तक पहुंचाना चाहिए, क्योंकि खेती का ज्ञान किसानों तक पहुंचकर ही सार्थक होगा। यह जानकारी म.प्र. के कृषि उत्पादन आयुक्त श्री एस.एन. मिश्रा ने कृषक जगत को एक विशेष मुलाकात में दी।
खरीफ सीजन पूर्व संभागीय बैठकों का महत्व बताते हुए श्री मिश्रा ने कहा कि भौतिक रूप से पूरे प्रदेश के सभी संभागों में संभागीय बैठकें आयोजित कर प्रदेश की कृषि को नजदीक से देखने का मौका मिला, क्योंकि पूर्व के 2-3 वर्षों में ऑनलाईन बैठकें होती रहीं। उन्होंने बताया कि इन बैठकों के दौरान खेतों का भी भ्रमण किया और किसानों से भी रूबरू हुए। उन्होंने कहा कि बैठकों में निर्देश दिए गए थे कि किसानों को खरीफ में ही 4 माह की फसल अरहर पूसा-16 का भरपूर उत्पादन लेना चाहिए। जिनके दो फायदे मिलेंगे। एक तो भूमि में नाइट्रोजन की उपलब्धता बढ़ेगी दूसरा बेहतर उत्पादन की अच्छी कीमत मिलेगी, जिससे किसानों की आय में इजाफा होगा।
प्रदेश की तीसरी फसल मूंग को लेकर कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि मूंग नगदी फसल है इसका एमएसपी भी लगभग साढ़े 8 हजार रुपए प्रति क्विंटल से अधिक है इसलिए किसानों को अच्छा लाभ होगा, जबकि गेहूं जैसी फसल में लगभग चार-पांच सिंचाई के कारण लागत बढ़ जाती है और लाभ कम होता है।
श्री मिश्रा ने बताया कि देश एवं प्रदेश में उद्यानिकी फसलों का उत्पादन कृषि की तुलना में अधिक है इसके और अधिक बढऩे की संभावना है। क्योंकि प्रदेश की जलवायु भी उद्यानिकी फसलों के अनुकूल है। उन्होंने बताया कि अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि उद्यानिकी से जुड़ी योजनाओं के क्रियान्वयन की नियमित समीक्षा करें। एपीसी ने बताया कि इस आधुनिक युग में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग भी जरूरी हो गया है। उन्होंने बताया कि हैप्पी सीडर, सुपर सीडर एवं पैडी ट्रांसप्लांटर जैसे कृषि यंत्रों से समय, श्रम एवं धन की बचत होती है। उन्होंने बताया कि हैप्पी सीडर जैसे यंत्र से नरवाई बिना काटे ही बोनी की जा सकती है इसमें समय भी कम लगता है और बीज की भी कुछ बचत होती है।
श्री मिश्रा ने बताया कि हैप्पी सीडर से जीवंत मूंग बोनी का प्रदर्शन जबलपुर संभागीय बैठक के दौरान देखा। वहां उपयोग कर रहे कृषक ने बताया कि इस यंत्र से बोनी करने में पूर्व की अपेक्षा लगभग 7 दिन कम लगे एवं 10 किलो बीज की बचत भी हुई।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने बताया कि हैप्पी सीडर जैसे उपयोगी कृषि यंत्र से तीनों सीजन खरीफ, रबी एवं जायद में बुवाई करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है जिससे नरवाई जलाने की नौबत नहीं आएगी।
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