राज्य कृषि समाचार (State News)

खेतों की नरवाई नहीं जलाएं किसान, होगी कार्रवाई

उप संचालक (कृषि ) सतना की अपील

01 मई 2024, सतना: खेतों की नरवाई नहीं जलाएं किसान, होगी कार्रवाई – रबी फसल के तहत  गेहूं  एवं अन्य  फसलों की कटाई हो चुकी है। अधिकतर कृषक हार्वेस्टर से कटाई करते हैं, जिसके बाद शेष डंठल या फसल अवशेष जमीन में लगा हुआ 90 प्रतिशत भाग बच जाता है, जिसे नष्ट करने के लिए किसान आग लगा देते हैं। आग लगाना खेत में बहुत घातक होता है। कृषि विकास एवं किसान कल्याण विभाग ने जिले के किसानों से अपील की है कि नरवाई के निष्पादन के लिये खेतों में आग नहीं  लगाएं । आग लगाने से जमीन में उपलब्ध लाभदायक सूक्ष्म जीव नष्ट हो जाते हैं। जिससे मिट्टी की उपजाऊ शक्ति कम या नष्ट हो जाती है।

 किराये पर उपलब्ध हैं कृषि यंत्र –  उप संचालक (कृषि ) सतना ने बताया कि किसान नरवाई को न जलाकर उन्नत कृषि  यंत्रों  का उपयोग कर पशुओं के लिये भूसा बनवा सकते हैं। इसके लिये उन्नत कृषि यंत्र जैसे रीपर, स्ट्री-रीपर को प्राथमिकता दें। सतना और मैहर जिले में कस्टम हायरिंग सेंटर उपलब्ध हैं। कृषक, कृषि यंत्रों को किराये पर ले सकते हैं। इस संबंध की जानकारी कृषि यंत्री शरद कुमार नर्वे (मो.नं. 9826289760) एवं सहायक कृषि यंत्री विशारद प्रसाद त्रिपाठी (मो.नं. 8224029722) से संपर्क कर प्राप्त की जा सकती है।

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नरवाई जलाने पर होगी कार्रवाई –  उप संचालक (कृषि )ने बताया कि जिले गेहूं फसल की कटाई के बाद नरवाई (फसल अवशेषों) जलाने पर प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किया है। जारी आदेशानुसार यदि किसी भी व्यक्ति या कृषक द्वारा नरवाई जलाने की सूचना संज्ञान में आती है तो संबंधित के विरुद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी। उन्होने बताया कि पर्यावरण विभाग द्वारा पर्यावरण की सुरक्षा के लिये नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश के क्रम में एयर एक्ट 1981 (प्रिवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ पॉल्युशन) के तहत फसल कटाई के बाद फसल अवशेष जलाने को प्रतिबंधित किया गया है।

नष्ट हो जाते हैं  लाभदायक सूक्ष्म जीव-  बिना विचार कर खेत में आग लगा देने से जमीन में विद्यमान लाभदायक सूक्ष्म जीव जो कि खेती के लिए बहुत ही लाभदायक होते हैं और मिट्टी को उपजाऊ बनाने में सहायता करते हैं, वह सभी नष्ट हो जाते हैं। साथ ही किसान का मित्र केंचुआ भी नष्ट हो जाता है, जो खाद बनाने का कार्य करता है, जिसे खाद बनाने की मशीन भी कहते हैं। इसलिए कभी भी खेत में आग नहीं लगाना चाहिए। एक इंच मिट्टी के बनने में हजारों वर्ष लग जाते हैं लेकिन छोटे से फायदे के लिए खेत में आग लगाना नुकसानदायक हो सकता है। घास तथा पत्तियों को जलाने पर उससे जो अवशेष बचता है जिसको राख या भस्म कहते हैं, इसमें बीज को या पौधों को उगा नहीं सकते हैं। इसलिए कृषकों से अनुरोध है कि आग लगाने के बजाय कटाई के बाद जो फसल का अवशेष बचता है उसमें कल्टीवेटर की सहायता से या हेरो की सहायता से या प्लाऊ की सहायता से उसी खेत में मिट्टी में मिला दें जिससे खेत में ही बिना खाद डालें खाद बनकर तैयार हो जायेगी। जिससे जमीन की मिट्टी की उपजाऊ शक्ति भी बढ़ेगी और फसलों की पैदावार में भी बढ़ोतरी होगी।

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