राज्य कृषि समाचार (State News)

लाख की खेती भी करें किसान, बन जाएंगे जल्द ही ’लखपति’

07 जुलाई 2025, भोपाल: लाख की खेती भी करें किसान, बन जाएंगे जल्द ही ’लखपति’ – जी हां ! यदि किसान परंपरागत खेती के अलावा लाख की भी खेती करें तो ऐसे किसानों को लखपति बनने से कोई नहीं रोक सकता है। हालांकि भारत में झारखंड  इस क्षेत्र में सबसे बड़ा उत्पादक है लेकिन बावजूद इसके किसान प्रशिक्षण प्राप्त कर उचित समय पर लाख की भी खेती कर सकते है।

लाख की खेती का समय

कृषि जानकारों के अनुसार लाख की दो फसलें उगाई जाती हैं: ग्रीष्मकालीन फसल और वर्षा कालीन फसल। ग्रीष्मकालीन फसल अक्टूबर से जुलाई के बीच तैयार होती है, जबकि वर्षा कालीन फसल जून से नवंबर के बीच तैयार हो जाती है।

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लाख की खेती क्या है

लाख एक प्राकृतिक और व्यावसायिक महत्व का उत्पाद है, जो परंपरागत रूप से कीड़े से प्राप्त राल या रेज़िन है। भारत में लाख का इतिहास लगभग चार हजार वर्ष पुराना है, जिसका उल्लेख महाभारत में भी मिलता है, जब कौरवों ने पांडवों को मारने के लिए लाक्षागृह का निर्माण कराया था। लाख से प्राप्त लाल रंग का उपयोग प्राचीन काल से कपड़े रंगने में किया जा रहा है। लाख एक प्राकृतिक राल है जिसे ‘केरिया लाका’ (केर) नामक छोटे कीट द्वारा उत्पन्न किया जाता है। यह कीट ‘केरेडेई’ परिवार से संबंधित है, जिसमें नौ जातियाँ पाई जाती हैं, जबकि लाख की प्रजातियों की संख्या 87 से 100 के बीच है। लाख उन लोगों के लिए आय का महत्वपूर्ण स्रोत है जो कृषि और लघु वन उत्पादों पर निर्भर हैं। यह परजीवी कीट मुख्य रूप से पलाश, कुसुम, बेर, खैर, डूमर, और बबूल के पेड़ों में पनपता है।

भारत में लाख की खेती में ‘केरिया लैक्का’ कीट की दो नस्लों, कुसमी और रंगीनी का उपयोग होता है। झारखंड इस क्षेत्र में सबसे बड़ा उत्पादक है, जो देश का 54.60% लाख उत्पादन करता है। अन्य प्रमुख राज्य जैसे छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, और ओडिशा भी देश के लगभग 93% लाख उत्पादन में योगदान देते हैं।

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महत्वपूर्ण चरणों का पालन आवश्यक

लाख की खेती में कई महत्वपूर्ण चरणों का पालन आवश्यक है।

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उपयुक्त मेजबान पेड़ का चयन
बिहान लाख का संचरण
फूंकी लाख को हटाना
लाख कीट के प्राकृतिक शत्रुओं से सुरक्षा
लाख डंठल की कटाई
टहनियों से कच्चे लाख का संग्रहण

लाख की खेती के लिए मेजबान स्थान का चयन खुले क्षेत्रों में करना चाहिए, जहाँ आग के प्रति संवेदनशीलता कम हो और हवा का प्रवाह सुचारू हो, जिससे मेजबान पौधों का विकास बेहतर हो सके। जब नए क्षेत्रों में लाख की खेती की जाती है, तो लाख उत्पादन बढ़ाने के लिए लाख मेजबान पौधों की काट-छांट और संचारण आवश्यक होता है।

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