किसानों के अधिकार और देसी बीजों की ताकत: सीतापुर में KVK की खास पहल
31 मार्च 2025, सीतापुर: किसानों के अधिकार और देसी बीजों की ताकत: सीतापुर में KVK की खास पहल – उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) कटिया ने “पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण” पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। इस मौके पर किसानों, वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने देसी बीजों की अहमियत और किसानों के हक पर गहन चर्चा की। कार्यशाला में 208 किसानों ने हिस्सा लिया और अपने पारंपरिक बीजों को स्टॉल्स के जरिए प्रदर्शित किया।
देसी बीजों पर किसानों का हक
कार्यशाला के मुख्य अतिथि डॉ. ए.पी. श्रीवास्तव, पूर्व निदेशक, कृषि, उत्तर प्रदेश ने कहा, “किसानों को गुणवत्तायुक्त परंपरागत पौध प्रजातियों का मालिकाना हक मिलना चाहिए। इसके लिए उन्हें अपने अधिकारों को समझना होगा और KVK के वैज्ञानिकों के संपर्क में रहना जरूरी है।” वहीं, प्रो. के.एन. तिवारी, पूर्व विभागाध्यक्ष, चंद्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय, कानपुर ने जोर देकर कहा कि देसी बीज प्रकृति का तोहफा हैं, जो स्थानीय जलवायु में बेहतर ढलते हैं। उन्होंने मृदा स्वास्थ्य और बीज संरक्षण को आपस में जोड़ते हुए जैविक खेती पर ध्यान देने की बात कही।
KVK कटिया के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. दया एस. श्रीवास्तव ने बताया कि पौध किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण (PPVFRA) के जरिए किसान अपनी पारंपरिक फसल किस्मों को पंजीकृत करवा सकते हैं। उन्होंने कहा, “देसी बीज जलवायु परिवर्तन के अनुकूल हैं। इनका संरक्षण आज की सबसे बड़ी जरूरत है।” डॉ. राकेश कुमार सिंह, वरिष्ठ वैज्ञानिक, KVK लखीमपुर खीरी ने किसानों से बीजों की खासियत को वैज्ञानिकों के साथ साझा करने की अपील की।
कार्यशाला में शामिल विशेषज्ञों में डॉ. ए.के. त्रिपाठी (KVK हरदोई-2), श्री हरिनाम सिंह (श्री कृष्णा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस), और डॉ. ए.एस. यादव (इंटीग्रल यूनिवर्सिटी) जैसे नाम शामिल थे। स्थानीय किसानों ने अपने अनुभव साझा किए और देसी बीजों के महत्व को रेखांकित किया।
यह कार्यशाला न सिर्फ किसानों के अधिकारों को लेकर जागरूकता बढ़ाने में मददगार रही, बल्कि देसी बीजों के संरक्षण और उनकी ताकत को सामने लाने में भी अहम साबित हुई।
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