राज्य कृषि समाचार (State News)

आंदोलन पर किसानों की प्रतिक्रियाएं

मोदी-शिवराज की नीतियों से निराश किसान

मोदी व शिवराज सरकार की नीतियों के कारण किसान कर्ज के बोझ तले दबता जा रहा है उसे अपनी फसलों की उत्पादन लागत भी नहीं मिल पा रही है। वो अपनी मेहनत से उगाई फसल को सड़कों पर न चाहकर भी फेंकने को मजबूर है वो पिछले कई माह से सरकार से राहत की मांग कर रहा था लेकिन कुंभकर्णी नींद में सोई सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही थी, इसलिए उसने शांतिपूर्ण अहिंसक ढंग से हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया लेकिन किसान पुत्र शिवराज ने उनकी मांगें मानने की बजाय उन पर गोलियां, लाठियां बरसा दीं। पूरी शिवराज सरकार शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे किसानों का दमन करने में लग गयी। मंदसौर में शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे किसानों पर शिवराज सरकार के इशारे पर गोलियां चलाई गयी। निहत्थे आंदोलनकारी किसानों को मौत के आगोश में सुला दिया गया। किसानों का यह बलिदान यूं ही व्यर्थ नहीं जायेगा। पूरे प्रदेश में विभिन्न जिलों के निहत्थे किसानों पर लाठियां बरसाई जा रही हैं। किसानों पर झूटे मुकदमे लादे जा रहे हैं। किसान आंदोलन को कुचलने की साजिश शिवराज सरकार रच रही है। जिन किसान संगठनों का इस आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं है उनसे बंद कमरे में समझौता कर हड़ताल खत्म करने की साजिश रच रहे हैं। झूठी घोषणाओं के दम पर खुद का सम्मान करवाने की तैयारी कर रहे हैं लेकिन किसान उनकी चालबाजियां व जादूगरी को समझ गया है। वो उनके झांसे में आने वाला नहीं है। खेती को लाभ का धंधा बनाने वाले किसानों को उनकी लागत का 50 प्रतिशत मुनाफा देने वाले किसानों का कर्ज माफ करने वाले 5 कृषि कर्मण पुरस्कार पाने वाली शिवराज सरकार के दावों की पोल इस किसान आंदोलन ने खोल कर रख दी है। प्रदेश के लिए शर्म की बात है कि प्रदेश का अन्नदाता पिछले 8-10 दिनों से भूखा-प्यासा सड़कों पर अपनी जायज व वाजिब मांग को लेकर संघर्षरत है और शिवराज सरकार उनका ही दमन करने में जुट गयी। अब किसान ही प्रदेश से भाजपा व शिवराज सरकार की रवानगी करेंगे उसकी शुरुआत इस आंदोलन से हो चुकी है।

– जयनारायण पाटीदार
ग्राम-खरदौन कलाँ, कालापीपल
जिला-शाजापुर (म.प्र.)

Advertisement
Advertisement

किसानों के हाथ आई सरकार की पोल

सरकार की दोहरी नीत से घबराये किसान अब समझ गए हैं कि यह सरकार किसान पुत्र मुख्यमंत्री का ढिंडौरा पीटने वाली व्यापारी की सरकार होती नजर आ रही है। यदि यह सरकार किसान हितैषी मानती है तो किसानों को अपने उत्पादन का उचित मूल्य दे और ऋण माफ करें। सभी फसल पर समर्थन मूल्य निर्धारित करें। सरकार की योजनाओं का अधिकारी, कर्मचारियों ने दरकिनार किया जिससे किसानों का आंदोलन उग्र हुआ। किसानों ने अपने फसलों को गेहूं, चना, मसूर, सोयाबीन, अरहर, मूंग, उड़द, सब्जियों में आलू, प्याज, टमाटर, मिर्च, अदरक, धनिया, गोभी औने-पौने दाम में बेचने को मजबूर हुआ किसान। सरकार को समय रहते चेत जाना चाहिए।
– ईश्वर चौरसिया, ग्राम-उमरानाला, जिला-छिंदवाड़ा

केन्द्र सरकार दोषी

किसानों की ऐसी दुर्दशा के लिए केन्द्र सरकार को दोषी मानते हैं। सरकार खेती को लाभ का धंधा बनाने के लिए कर्ज माफी की जगह सुविधाएं बढ़ायें। श्री पाटीदार ने 1 बीघा में 3 क्विंटल सोयाबीन के उत्पादन की लागत का विवरण बताया-
खेत की तैयारी 1000 रु.
खाद/ उर्वरक 1000 रु.
बीज 30 कि.ग्रा. 1500 रु.
निंदाई-गुड़ाई 2 बार 1200 रु.
दो स्प्रे कीटनाशक के 600 रु.
कटाई 1200 रु.
थ्रेशिंग 800 रु.
कुल खर्च 7300 रु.
इतनी लागत के बाद स्वयं का परिश्रम भी जोड़े। सोयाबीन का बाजार भाव अनुमानित 3000/- रु. है तो हुआ 9000 रु. खर्च घटाकर हाथ में आये 1700 रु., ठनठन गोपाल।
– सत्यनारायण पाटीदार
ग्राम- लासूर, जिला-नीमच

Advertisement8
Advertisement

हर सामान महंगा  फसल सस्ती

खरीफ फसलों का 6000 रु. प्रति बीघा एवं रबी फसलों का 8000 रु. प्रति बीघा खर्च आता है। किसान की उपज की कोई कीमत नहीं जबकि बाजार में हर वस्तु के दाम महंगे होते जा रहे हैं। उपज का सही दाम आधी लागत के बाद आधी राशि किसान को मिलना चाहिए तभी अच्छे दिन आयेंगे और खेती फायदे का सौदा बनेगी।

Advertisement8
Advertisement

– बद्रीलाल कुमावत (ओझा)
ग्राम-कुचड़ौद, जिला-मंदसौर

सभी फसलों को समर्थन मूल्य मिले

सरकार को सभी फसलों के समर्थन मूल्य घोषित करने चाहिए। समस्त फसल की बढ़ती लागत एवं घटते मूल्य को ध्यान में रखकर यह जरूरी है। खेती में मजदूरी, महंगे बीज, कीटनाशक, कृषि यंत्र से उत्पादित फसल का सही दाम मिलेगा तो खेती लाभ का धंधा बनेगी। सरकार की कर्जमाफी से कृषकों में कर्ज लेने की प्रवृत्ति बन गई है। इस ओर भी ध्यान देना जरूरी है।
– सुरेश सवजीराम पालकियां
ग्राम- बगडी, जिला- धार

देर से मिलती सब्सिडी

सरकार किसानों के साथ छलावा न करे। अब समय सरकार को किसान हित में कड़े फैसले लेने का है। सरकार फसलों का समर्थन मूल्य गेहूं- 2100 रु., उड़द, मूंग, अरहर, चना देशी 6000 से 7000 रुपये, सोयाबीन 4500-5000 रुपये प्रति क्विं. का समर्थन मूल्य घोषित कर खरीददारी करें। तब खेती लाभ का धंधा बनेगी। प्याज को 16 रु. प्रति किलो की दर से सरकार खरीदें एवं सिंचाई के लिए 18 घंटे लगातार बिजली दे। सब्सिडी का लाभ किसान को तुरंत मिले। खाते में सब्सिडी बहुत देर से आती है।
– बैजनाथ पटेल, ग्राम- रिठवाड़
तह.- नसरुल्लागंज, जिला- सीहोर

सही लागत मूल्य मिले

जब तक किसान को उसकी फसल का सही लागत मूल्य नहीं मिलेगा तब तक खेती को लाभ का धंधा नहीं बनाया जा सकता है। मण्डी में किसान की उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर नहीं खरीदी जानी चाहिए। मण्डी की नीलामी भी न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर ही होनी चाहिए, चाहे वह कोई भी फसल हो।
– आनन्द पटेल, ग्राम- गाडरिया
सिवनी मालवा, जिला- होशंगाबाद

लाभकारी मूल्य मिलना चाहिए

खेती में लागत के अनुसार उपज की कीमत मिलना चाहिए। उपलब्ध खाद्यान्न होने पर आयात निर्यात नियमों को किसानों के हित को ध्यान में रखकर बनाने चाहिए। खेती को लाभकारी बनाने के लिए लाभकारी मूल्य ही काफी है। भले ही सब्सिडी या सुविधा किसानों को नहीं मिले।
– कैलाश पाटीदार (पापाजी)
ग्राम-गाजनोद, जिला- धार

Advertisement8
Advertisement

कर्ज में दबाने की नीति

हम सरकार के काम काज से खुश नहीं है। सरकार की नीति केवल किसान को कर्ज में दबाने की है। सरकार को सभी क्षेत्र में सब्सिडी न देते हुए केवल उपयोगी स्थान पर ही सब्सिडी देना चाहिए। बीज की जगह ड्रिप पर सब्सिडी बढ़ाना चाहिए। जिससे पानी की भी बचत होगी और उत्पादन भी बढ़ेगा। सरकार को अपना विज्ञापन नहीं बल्कि काम करना चाहिए। जब सरकार खेती को लाभ का धंधा बनाना चाहती है तो स्वामीनाथन की सिफारिशें क्यों नहीं मानती।
– मुकेश कपूर
ग्राम- सराय, जिला- खंडवा

कृषि महोत्सव में बजट खराब न करें

यह आन्दोलन किसानों का है इससे राजनैतिक पार्टी को दूर रहना चाहिए और किसान भी अपने आंदोलन से नेताओं को दूर रखें। शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर सरकार तक अपनी राय पहुंचाएं। आंदोलन से किसी के साथ कोई घटना न होने दें। लोगों से अपना समर्थन शांतिपूर्ण ढंग से मांगें, उपद्रवियों जैसा माहौल न बनायें। सरकार को कृषि महोत्सव जैसे कार्यक्रम में बजट खराब नहीं करना चाहिए। ऐसे आयोजनों पर पैसा खर्च न करते हुए इसका लाभ किसानों को उसके फसल समर्थन मूल्य पर खरीदें तब खेती लाभ का धंधा बनेगी। स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करे सरकार।
राजकुमार पटेल,
ग्राम-जामनी, जिला- खंडवा

जय जवान जय किसान

वो नहीं है किसान
जिनने मचाया घमासान
तोड़ी गाडिय़ां लगाई आग
माँ बहिनों और बच्चों को किया परेशान
वो नहीं है किसान….

जिनने चक्का जाम किया
जिनने पुलिस पर हमला किया
जिनने जलाये पुलिस थाने
और जलाये बेबसों के मकान
वो नहीं है किसान….

माना सही मूल्य नहीं मिला
माना व्यवस्था ने तुम्हें छला
लेकिन तुमसे है यह गिलॉ
तुमने घटाया पूर्वजों का मान
वो नहीं है किसान….

किसान तो होता है अन्नदाता
जिसका होता है जन-जन से नाता
पेट पालता है गरीब और अमीर का
जिसकी मेहनत पर होता है अभिमान
और पूरा राष्ट्र कहता है
जय जवान जय किसान

अब भी जागो मेरे भाई
व्यवस्था से है तुम्हारी लड़ाई
अपनी बात सही ढंग से करो
बरना होगी जग हंसाई
मिथ्या भटकावे में मत आओ
किसी के बरगलाने से अपना घर मत जलाओ
इसी नादानी में चले गये
होनहार नौजवानों के प्राण
समझदार है इस देश का किसान
करेगा देश का कल्याण

– महेश शर्मा, मो. : 9407281746

Advertisements
Advertisement5
Advertisement