महाराष्ट्र में सोयाबीन खरीदी में देरी से किसान नाराज, चुनाव से पहले सरकार पर बढ़ा दबाव
11 नवंबर 2024, नई दिल्ली: महाराष्ट्र में सोयाबीन खरीदी में देरी से किसान नाराज, चुनाव से पहले सरकार पर बढ़ा दबाव – महाराष्ट्र में सोयाबीन की सरकारी खरीदी में देरी के कारण किसानों में असंतोष बढ़ रहा है। मजबूरी में किसानों को अपनी फसल न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम दामों पर बेचनी पड़ रही है। केंद्र सरकार ने सितंबर में मूल्य समर्थन योजना के तहत सोयाबीन की खरीद की अनुमति दी थी, लेकिन अब तक खरीद प्रक्रिया शुरू नहीं हो सकी है। इससे किसानों को MSP के निर्धारित 4,892 रुपये प्रति क्विंटल के बजाय 3,800 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर फसल बेचनी पड़ रही है, जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है।
करीब 15 दिन पहले फसल कटाई पूरी करने वाले किसानों ने सरकारी हस्तक्षेप की उम्मीद की थी, लेकिन खरीदी में देरी के चलते उन्हें निजी व्यापारियों को कम कीमत पर फसल बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा है। विशेष रूप से मराठवाड़ा और पश्चिम विदर्भ जैसे प्रमुख सोयाबीन उत्पादक क्षेत्रों में किसानों की नाराजगी बढ़ रही है, जो आगामी विधानसभा चुनावों में महायुति सरकार के लिए चुनौती बन सकती है।
भारत के दूसरे सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में इस वर्ष व्यापक स्तर पर सोयाबीन की खेती हुई है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के मुताबिक, 2024-25 के खरीफ मौसम में देशभर में कुल 133.60 लाख टन सोयाबीन उत्पादन का अनुमान है, जबकि सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) ने महाराष्ट्र में 50.16 लाख टन उत्पादन की संभावना जताई है। इससे यह आवश्यक हो जाता है कि सरकार त्वरित खरीदी सुनिश्चित करे ताकि किसानों को सही दाम मिल सकें।
बुलढाणा जिले के किसान गजानन लांडे ने बताया कि उन्होंने दो एकड़ भूमि से 10 क्विंटल सोयाबीन की फसल काटी है, लेकिन मंडी में कीमतें कम होने के कारण उन्होंने अभी तक फसल नहीं बेची है। लांडे को उम्मीद है कि जल्द ही सरकारी खरीदी शुरू होगी, ताकि उन्हें उचित मूल्य मिल सके।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट की MSP समिति के सदस्य और किसान नेता अनिल घनवट ने कहा कि सरकारी खरीदी में देरी से किसान निराश हैं और मौजूदा बाजार मूल्य उनकी लागत से बहुत कम है, जिससे किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ रहा है।
स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के प्रमुख और पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने भी महाराष्ट्र में सोयाबीन किसानों की समस्या पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि एक समय में सोयाबीन का भाव 9,000 रुपये प्रति क्विंटल था, जो अब 4,000 रुपये रह गया है। शेट्टी ने इसके लिए सरकार की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया, जिसमें बड़े पैमाने पर पाम तेल आयात और आयात शुल्क में कमी शामिल हैं, जिसने सोयाबीन की कीमतों पर दबाव डाला है। उन्होंने सरकार से इन नीतियों पर पुनर्विचार करने और तुरंत खरीदी शुरू करने का आग्रह किया, ताकि किसानों को राहत मिल सके और राजनीतिक दबाव भी कम हो।
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