राज्य कृषि समाचार (State News)

पांढुर्ना जिले में प्रमुख उर्वरकों की कमी से किसान परेशान

21 मई 2025,( उमेश खोड़े, पांढुर्ना): पांढुर्ना जिले में  प्रमुख उर्वरकों की कमी से किसान परेशान – खरीफ फसल के लिए इन दिनों किसान खाद -बीज की तैयारी  में लगे हुए हैं। खरीफ सत्र के प्रारम्भ में ही किसानों को  उर्वरक की समस्या से जूझना पड़ रहा है । पांढुर्ना सोसायटी में डीएपी एवं अन्य प्रमुख उर्वरक की कमी से किसान परेशान हो रहे हैं।  कृषि  विभाग द्वारा डीएपी के विकल्प के रूप में उर्वरक 12 :32 :16  को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

ग्राम बोरखेड़ी के किसान श्री राहुल बेलखड़े ने कृषक जगत को बताया कि  पांढुर्ना सोसायटी में डीएपी एवं अन्य प्रमुख उर्वरक उपलब्ध नहीं है , जबकि दूसरे अन्य उर्वरक  हैं।  कपास फसल  के लिए हमेशा डीएपी खाद का ही इस्तेमाल करते हैं , लेकिन वह फिलहाल नहीं मिल रहा है। एनपीके 12 :32 :16  और सुपर फास्फेट पाउडर  खाद भी नहीं है। एनपीके 12 :32 :16  की कीमत अब 1720 रु / बोरी कर दी गई है, जो पहले 1450  की आती थी।  इससे किसानों की लागत और बढ़ जाएगी। श्री राहुल  ने कहा  कि खाद के दाम तो बढ़ जाते हैं , लेकिन उसके अनुपात में  फसलों  की एमएसपी क्यों नहीं बढ़ती है ? उन्होंने नैनो डीएपी का गत वर्ष इस्तेमाल किया था , लेकिन उसके नतीजे अच्छे नहीं मिले इसलिए इस साल उसका प्रयोग नहीं करेंगे।ऐसे में डीएपी उर्वरक की सख्त ज़रूरत है।  वहीं पांढुर्ना  के किसान श्री रामभाऊ लेन्डे  ने भी कहा कि पांढुर्ना सोसायटी में डीएपी खाद नहीं मिल रहा है। नैनो डीएपी का इस्तेमाल नहीं  करते हैं, ऐसे में  डीएपी उर्वरक कब मिलेगा पता नहीं है।  

पांढुर्ना सोसायटी के मैनेजर श्री मोहम्मद यासिफ मो सफी कुरैशी ने बताया कि 19 मई की स्थिति में  यूरिया  61 .335 ,पोटाश 22. 450 , एनपीके 78 .500 ,ट्रिपल सुपर फास्फेट पाउडर 1.500 और सुपर फास्फेट (दानेदार ) 101.150 टन उपलब्ध है , लेकिन डीएपी और  एनपीके 12 :32 :16  उपलब्ध नहीं है।  जबकि अन्य उर्वरक एवं नैनो डीएपी भी उपलब्ध है। इसी तरह घनपेठ सोसायटी  के मैनेजर श्री गजानन बालपांडे ने भी  कहा कि डीएपी नहीं है , जबकि अन्य उर्वरक उपलब्ध है। राजोराकला सोसायटी में भी डीएपी की कमी है।मैनेजर श्री शरद चंद्र खुरसंगे ने कहा कि नवगठित पांढुर्ना जिले में गोडाउन, वेयरहाउस और रेलवे की सुविधा होने के बावजूद यहां खाद की रैक नहीं आती है।  इसे शुरू किया जाना चाहिए।

इस बारे में  कृषि विभाग छिंदवाड़ा के जिला एसएडीओ श्री दीपक चौरसिया ने डीएपी की कमी  को स्वीकारते हुए कहा कि  संतुलन के लिए उर्वरक 12 :32 :16  को प्रोत्साहित किया जा रहा है।  किसानों को निरंतर उर्वरक मिलेगा। डीएपी की दो रैक और मंगवाई है। कृषि विभाग सीधे उर्वरक नहीं भेजता है, वह डीएमओ के माध्यम से भेजा जाता है। पांढुर्ना डीएमओ श्री मनोज थेपे द्वारा  पांढुर्ना में  डीएपी की कमी बताए जाने पर  श्री चौरसिया ने कहा कि पांढुर्ना समिति द्वारा मांग  भेजे जाने  पर उर्वरक उपलब्ध करा दिया जाएगा। पांढुर्ना के एसएडीओ श्री सुनील गजभिए ने भी पांढुर्ना में डीएपी उर्वरक उपलब्ध नहीं होने की बात कही है। फ़िलहाल तो यहां के किसान डीएपी  उर्वरक नहीं मिलने से परेशान हैं। देखते हैं उनकी यह परेशानी कब दूर होती है ?

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisements