रासायनिक खाद का विकल्प केंचुआ खाद
लेखक: डॉ. अनिता ठाकुर, मृदा वैज्ञानिक, सुनील कुमार राठौर, खाद्य वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र, अनूपपुर, anitakvk@igntu.ac.in
26 अगस्त 2024, भोपाल: रासायनिक खाद का विकल्प केंचुआ खाद – केंचुआ खाद आजकल खेत में पैदावार बढ़ाने के लिए विभिन्न तरह के खाद का उत्पादन एवं उपयोग हो रहा है जैसे यूरिया, डीएपी, पोटाश इत्यादि। इससे उत्पन्न जहरीली कीड़ों के लिए कीटनाशक दवाई भी उपलब्ध है। इससे पैदावार तो बढ़ते हैं लेकिन इसके द्वारा खेत बंजर तथा कमजोर बन जाते हैं।
केंचुआ खाद
आजकल ऐसा खाद खोज निकाला है जो खेत को बनाता है, बिगाड़ता नहीं। इसे केंचुआ खाद कहा जाता है। केंचुआ को किसानों का मित्र कहा जाता है। विशेष प्रकार के केंचुआ (जॉकटी) द्वारा, गोबर, सड़ी गली पत्तियाँ, जलकुम्भी अन्य जैविक पदार्थ इत्यादि खाने के बाद जी माल त्याग करता है उसे ‘केंचुआ खाद’ या केंचुआ कम्पोस्ट कहते हैं। इसमें केंचुआ कोया, सूक्ष्म कार्बनिक पदार्थ आवश्यक मात्रा में नत्रजन, स्फुर एवं पोटाश के अलावा सूक्ष्म पोषक तत्य, एन्जाइम एवं वृद्धि करने वाले हारमोंस इत्यादि उपलब्ध होते हैं, जो फसलों के लिए आवश्यक होते है। ये सभी प्रकार के पौधों के लिए पूर्ण सन्तुलित आहार हैं।
जिसे विशेष प्रकार के जौकटी का प्रयोग केंचुआ कम्पोस्ट बनाने में किया जाता है उसे अंग्रेजी में ‘एसिनिया फोटिडा’ कहते हैं।
केंचुआ कस्योस्ट-जमीन का टॉनिक
- कार्बनिक वर्जित पदार्थ को लगभग एक किलोग्राम जॉकटी 24 घंटे के भीतर कम्पोस्ट में बदल देता है।
- यह एक पूर्ण सन्तुलित्, लाभदायक और प्राकृतिक आहार है।
- यह रोग एवं कीट से बचाव के लिए पौधों की प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाता है। साथ ही मिट्टी की बनावट एवं स्वास्थ्य में सुधार करने के अलावा इसमें जल-धारण क्षमता को बढ़ाता है। यह मिट्टी की पी. एच. को सुधारता है।
- यह खाद के प्रयोग से भूमि में रासायनिक खाद प्रयोग की आवश्कता नहीं है एवं कीटनाशक दवा के खर्च में भी काफी कमी आती है। केंचुआ खाद वातावरण को दूषित होने से बचाता है। रासायनिक खाद की तुलना में केंचुआ कम्पोस्ट के प्रयोग से प्रत्येक वर्ष भूमि की उर्वराशक्ति एवं पोषक तत्व में वृद्धि होती है परिणाम स्वरूप किसानों को भारी मुनाका मिलता है।
केंचुआ खाद तैयार करने की विधि
- खाद बनाने के स्थान पर सूरज की रोशनी एवं वर्षा से बचाने के लिए बस एवं फूस का साधारण छत का होना आवश्यक है। छत का आकार सड़ने वाले पदार्थ की मात्रा पर निर्भर करता है। छोटे-छोटे टुकड़े, ईख या केला का पत्ता, लकड़ी या धान का कूनी, पुआल, इत्यादि का बेड तैयार किया जाता है। दो बेडों के मध्य में लगभग डेढ़ फुट जगह हो ताकि कार्य करने में सुलभ हो।
- तीसरे वरण में आधा या पूरा सदा हुआ गोबर या गोबर गैस से निकला हुआ स्लरी का लगभग 2 से 3 इंच मोटी परत बेड के ऊपर बिछा दिया जाता है ताकि सड़न के समय अधिक गर्मी पैदा नहीं हो। अगर सड़ने वाले पदार्थ में नमी की कमी हो तो हर सतह में पानी का छिड़काव करना आवश्यक होगा। यह सतह केंदुओं को अत्याधिक ताप से बचाता है। केंचुआ इस सतह को प्रतिकूल अवस्था में भोजन के रूप में प्रयोग करने के अलावा अस्थायी निवास स्थान भी बनाता है।
- चौथे चरण में दूसरे सतह के ऊपर 25 केंचुआ प्रति वर्ग फुट की दर से रखा जाता है। केंचुआ का सामान्य रूप से बराबर रखने के कुछ ही देर बाद केंचुआ दूसरे सतह के भीतर घुस जाते हैं। क्योंकि ये ऊपर निर्भर करता है। गर्मी में दो बार एवं जाहे में एक बार आवश्यक है।
- बिछौना (बेड) के किनारे किनारे चारों और ताजा खरपतवार एवं हरे पौधों का छोटे-छोटे टुकड़े से ढक दें ताकि बाहरी कीट का प्रवेश एवं केंचुआ खाद बनाने में लाये जाने वाले केंचुआ का बहिर्गमन नहीं हो सके एवं केंचुआ सुरक्षित रहे।
- चार से छः साप्ताह के भीतर केंचुआ खाद तैयार हो जाता है। तैयार खाद का रंग काला एवं वजन में बिल्कुल हल्का होता है। इसके बाद प्रत्येक तीन से चार समाह पर केंचुआ खाद तैयार होता रहता रहता है।
- जब केंचुआ खाद तैयार हो जाता है तो 2 दिन पहले बोरे के ऊपर पानी के छिड़काव को बंद कर दें। सिर्फ चौथी परत की खाद में परिवर्तित होता है। पहली परत को कभी भी छेड़छाड़ नहीं करें। केंचुआ दी से तीन घंटे के भीतर निचली तह में प्रवेश कर जाता और कोया के साथ केंचुआ खाद ऊपरी तह पर तैयार मिलता है।
- अब तैयार केंचुआ खाद को ऊपरी तह से निकालकर छाया में सुखाने के बाद बोरे में भरकर लगभग एक साल के लिए रखा जा सकता है।
- केंचुआ खाद को निकालने के बाद पुनः ऊपर बताए विधि के द्वारा कम समय में लगातार खाद तैयार कर सकते हैं।
केंचुआ खाद प्रयोग करने की विधि
- प्रथम वर्ष एक एकड़ भूमि में 20 किंटलकेंचुआ खाद की दर से बुआई के पहले छिड़काव करें जब फसल के पौधों में दो से तीन पतियाँ आ गई हों।
- दूसरे और तीसरे साल में 15 किंटल केंचुआ खाद प्रति एकड़ की दर से प्रयोग करें।
- यदि गमले में इसका प्रयोग करना है तो गमले का आकार एवं पौधे की आयु के अनुसार 100 ग्राम से 350 ग्राम की मात्रा तक प्रयोग करें।
- केंचुआ खाद डालने के बाद गमला या खेत को सूखी पत्तियों या कूड़ा-करकट से ढक दिया जाए तो इसका अच्छा प्रभाव होता है।
सावधानियां
- क्यारियां छायादार तथा ऊँचे स्थान पर बनाय’ जहां पानी खड़ा न हो सके।
- क्यारी में ताजा गोबर नहीं डाले क्योंकि यह गर्म होता है इससे केंचुए मर जाते हैं।
- केंचुआ खाद को मेढ़क, सांप, चिडिया, कौआ, छिपकली एवं लाल चीटियों आदि शत्रुओं से बचाना चाहिये।
- गोबर अधसड़ा व पर्याप्त नमी युक्त हो।
- केंचुआ खाद का उपयोग करते समय रासायनिक खाद या दवा इस्तेमाल नहीं करें।
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