राज्य कृषि समाचार (State News)

अन्तर्राष्ट्रीय बाजार मांग एवं आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए करें अनुसंधान : डॉ. चंदेल

20 मई 2022, रायपुर । अन्तर्राष्ट्रीय बाजार मांग एवं आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए करें अनुसंधान : डॉ. चंदेल इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने कृषि वैज्ञानिकों से आव्हान किया है कि वे बदलते वैश्विक परिवेश के अनुरूप राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय बाजार की आवश्यकताओं एवं मांग को ध्यान में रखते हुए अनुसंधान कार्य करें। उन्होंने कहा कि विभिन्न फसलों की ऐसी किस्में विकसित की जानी चाहिए जिनकी किसानों के बीच ज्यादा मांग है। इसके साथ ही खेती की लागत कम करने तथा किसान की आय बढ़ाने पर जोर दिया जाना चाहिए। डॉ. चंदेल यहां कृषि महाविद्यालय, रायपुर में विभिन्न कृषि अनुसंधान परियोजनाओं से जुड़े हुए वैज्ञानिकों को संबोधित कर रहे थे। डॉ. चंदेल ने कृषि अनुसंधान कार्या  में केन्द्र एवं राज्य प्रवर्तित योजनाओं का लाभ प्राप्त करने पर बल दिया। कुलपति डॉ. चंदेल ने इस अवसर पर कृषि महाविद्यालय, रायपुर के नवीनीकृत सभाकक्ष का लोकार्पण भी किया।

कृषि वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कुलपति डॉ. चंदेल ने कहा की आज देश में कृषि के क्षेत्र में अनेक चुनौतियां विद्यमान है जिनमें मौसम का बदलता मिजाज़, खेती की बढ़ती लागत, कम उत्पादकता और अधिक जोखिम मुख्य रूप से शामिल हैं। उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों को इन चुनौतियों से निबटते हुए कृषि उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने तथा किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए अनुसंधान कार्य करना चाहिए। उन्होंने कहा कि फसलों की ऐसी किस्में विकसित की जानी चाहिए जो मौसम की विषमताओं का सामना करने में सक्षम हो तथा अधिक उत्पादन देने में समर्थ हों। उन्होंने कहा कि युवा वैज्ञानिकों को अपने अनुसंधान एवं उत्पाद को पेटेन्ट करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। डॉ. चंदेल ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा उत्पादित बीजों को किसानों एवं खुले बाजार में ‘‘इंदिरा बीज’’ के नाम से विक्रय किया जाएगा।

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बैठक की शुरूआत में संचालक अनुसंधान डॉ. विवेक त्रिपाठी ने कृषि विश्वविद्यालय में संचालित अनुसंधान कार्याें की जानकारी देते हुए बताया कि विश्वविद्यालय में स्थित 18 अनुसंधान केन्द्रों के माध्यम से 5 अन्तर्राष्ट्रीय अनुसंधान परियोजनाएं तथा 42 अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाएं संचालित की जा रही है। इसके साथ ही विश्वविद्यालय स्तर पर 176 परियोजनाएं संचालित की जा रही है। विश्वविद्यालय द्वारा अब तक 36 विभिन्न फसलों की लगभग 150 प्रजातियां विकसित की गई हैं। विश्वविद्यालय द्वारा किसानों के लिए 100 से अधिक नवीन कृषि तकनीकें विकसित की गई हैं। निदेशक विस्तार सेवाएं डॉ. पी.के. चन्द्राकर ने विश्वविद्यालय द्वारा संचालित विस्तार गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।

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